EOW इंदौर ने नगर निगम के दरोगा मुकेश पांडे पर 3 साल पहले छापा मार करोड़ों की संपत्ति बताई, अब बताया मासूम

ईओडब्ल्यू ने इंदौर नगर निगम के दरोगा मुकेश पांडे पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप लगाया था, लेकिन तीन साल की जांच के बाद उन्हें निर्दोष पाया गया। क्या है पूरा मामला चलिए जानते हैं...

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Sanjay Gupta
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इंदौर नगर निगम के दरोगा, बैलदार, इंजीनियर कई अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हैं। इनके खिलाफ जांच एजेंसियों के पास केस हैं। मामला ईडी तक गया हुआ है, इसमें चर्चित असलम बेलदार भी है और हाल ही में 150 करोड़ के बिल घोटाले में चर्चा में आए इंजीनियर अभय राठौर भी। इसी तरह एक नाम ने और सुर्खियां बटोरी थी, वह हैं नगर निगम के दरोगा मुकेश पांडे (Mukesh pandey)। यह तत्कालीन अपर आयुक्त निगम आईएएस भव्या मित्तल के पीए भी रहे हैं। इसी दौरान उन पर जून 2022 में ईओडब्ल्यू इंदौर ने छापा मारा था।

ईओडब्ल्यू ने छापे में यह पाया और बताया

ईओडब्ल्यू ने जून 2022 में मध्यप्रदेश राजस्व विभाग में पदस्थ और 1996 में निगम की सेवा में आए दरोगा पांडे के घर, स्कूल व अन्य ठिकानों पर 50 अधिकारी लेकर छापे मारे थे। बताया गया कि यह छापे एक ठेकेदार की शिकायत के आधार पर हुए। इसमें आय से अधिक कमाई का मामला था। जिसमें ईओडब्ल्यू ने अपनी खुफिया जानकारी में पाया कि पांडे ने अपनी आय से 431 फीसदी अधिक कमाई की है। इस पर उनके खिलाफ अपराध क्रमांक 58/2022 धारा 7 व 13(1) बी, 13(2) भ्रष्टाचार निवारण एक्ट 1988 के तहत केस पंजीबद्ध किया गया।

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आय 60 लाख, संपत्ति 2.61 करोड़ की पाई गई

ईओडब्ल्यू ने बताया कि पांडे को निगम की 26 साल की सेवा के दौरान वेतन के रूप में 60.32 लाख रुपए की आय हुई। वहीं उनकी चल-अचल संपत्ति 1.14 करोड़ रुपए पाई गई। वहीं कुल सभी संपत्तियां दो करोड़ 61 लाख रुपए की पाई गई हैं। छापे के दौरान भी पांडे के नकदी और ज्वेलरी व अन्य प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे।

अब चार साल में ही ईओडब्ल्यू ने ऐसे पांडे को बताया मासूम

अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने तीन साल की विस्तृत और बारीक जांच के बाद जिला कोर्ट में खात्मा लगा दिया है। इसे जिला कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। इसमें पांडे को इस हद तक ईमानदार बताया गया कि उनके द्वारा आय से भी कम खर्च किया गया और सारी संपत्तियां वैध हैं।

छापे के दौरान नौ चल-अचल संपत्तियों की जांच की गई, पत्नी, पुत्र व पुत्री के नाम की संपत्तियां

पांडे के अवंतिका नगर के लाखों रुपए की कीमत का प्लॉट 1993 में खरीदी पाया गया वह भी आईडीए से 1973 रुपए में। इस पर बने निर्माण की लागत करीब 35 लाख को संपत्ति में जोड़ा गया।

पत्नी प्रीति के नाम पर नरीमन कॉलोनी का 1500 वर्गफीट का भूखंड, योजना 51 में 2400 वर्गफीट का प्लॉट, स्कीम 51 में 600 वर्गफीट का प्लॉट, इसी तरह उज्जैन में 2.48 हेक्टेयर की जमीन, छोटा बांगड़दा में 1400 वर्गफीट का प्लॉट यह सभी ससुर स्वर्गीय शिवनारायण तिवारी की वसीयत बताया गया। इसमें जांच में कहा गया कि तिवारी की जांच की गई तो पाया गया कि वह आर्थिक रूप से सक्षम थे। इन सभी को संपत्ति में नहीं जोड़ा गया।

  • योजना 51 का प्लॉट 1500 वर्गफीट का प्रीति के नाम पर ही इसकी कीमत 36 लाख है इसे संपत्ति में जोड़ा गया।
  • इसी तरह छोटा बांगड़दा का प्लॉट 1440 वर्गफीट जिसकी कीमत 8.86 लाख इसे भी संपत्ति में जोड़ा गया।
  • इस तरह संपत्ति में पांडे व उनकी पत्नी के नाम की संपत्ति (विरासत में मिली संपत्ति को छोड़कर) को ही आय में जोड़ा गया जो 81.76 लाख की थी।
  • छापे में मिले वाहन, अन्य निवेश, नकदी कुल 29.35 लाख के थे।
  • इस तरह चल व अचल संपत्ति मिलकर पांडे की कुल 1.14 करोड़ संपत्ति मानी गई। वहीं पांडे को कुल वेतन 60 लाख रुपए मिला।

54 लाख व अन्य आय को इस तरह रिपोर्ट में समायोजित किया

पांडे की संपत्ति 1.14 करोड़ पाई गई और वहीं वेतन 60 लाख। अभी भी 54 लाख अधिक था। अब ईओडब्ल्यू ने और जांच की और इस तरह इसे वैध बताया। जांच में कहा गया कि पत्नी प्रीति शिक्षिका हैं और उन्हें भी वेतन, किराए की आय और ट्यूशन फीस से इस अवधि में 40.42 लाख की आय हुई। सास सुशीला बाई साथ में रहती हैं, उन्हें पेंशन, जमा राशि में 10.70 लाख रुपए मिले। आरोपी की मां सिद्दी देवी की पेंशन व खाते की आय 16.75 लाख, कर्ज से आय 36 लाख, किराए से आय 43.49 लाख, खुद के भूखंड बेचने से आय 38 लाख, मां को मिली पेंशन आदि से कुल आय 2.61 करोड़ रुपए होती है। पत्नी व सास की आय को आरोपी की नहीं गिन सकते इसलिए इनकी आय घटाकर कुल आय 2.10 करोड़ होती है।

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पांडे ने तो 24 लाख कम संपत्ति बनाई

इस तरह सभी वैध स्रोत की गणना कर ईओडब्ल्यू ने बताया कि पांडे के पास 2.10 करोड़ की संपत्ति है जबकि उनके द्वारा सभी कमाई से जो संपत्तियां बनाई जा सकती थीं वह कहीं ज्यादा हो सकती थीं। पांडे के पास तो आय से 11.53 फीसदी यानी 24.22 लाख रुपए कम संपत्ति है। ऐसे में आय से अधिक कमाई का मामला नहीं बनता है। इसे मान्य करते हुए विशेष न्यायाधीश पीसी एक्ट धर्मेंद्र सोनी ने खात्मा रिपोर्ट को मंजूर कर लिया।

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