/sootr/media/media_files/2025/08/20/himanshu-srivastava-sanmati-2025-08-20-17-21-03.jpg)
धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रहे मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के तीन डायरेक्टर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) परिसर में खुलेआम घूमते दिखाई दिए। उनकी मौजूदगी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
कटनी में दर्ज है करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला
बता दें कि मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल के खिलाफ कटनी के कोतवाली और माधवनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की FIR दर्ज है। इस मामले में इन तीनों ही आरोपियों की जमानत अर्जियां पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी हैं।
हाल ही में कोलकाता पुलिस ने अनूपपुर में इन आरोपियों को पकड़ने के लिए महेंद्र गोयनका के ठिकानों पर छापेमारी की थी, लेकिन तीनों आरोपी वहां से भागने में सफल हो गए थे।
अदालत परिसर में घूमते नजर आ रहे
वायरल वीडियो में फरार आरोपी अदालत परिसर में मौजूद नजर आ रहे हैं। ऐसे में मप्र पुलिस की सक्रियता पर सवाल खड़े हो गए हैं। बड़ा सवाल है कि जब शीर्ष अदालत स्पष्ट निर्देश दे चुकी है, तो पुलिस की ओर से ऐसी ढिलाई न केवल न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करती है।
फर्जी साइन कर कंपनी हड़पने के आरोप
मध्यप्रदेश के जबलपुर के सिहोरा स्थित मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री के डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा (Surendra Saluja) और हरनीत सिंह लांबा ( Harnit Singh Lamba ) ने महेंद्र गोयनका ( Mahendra Goenka ) के साथ ही हिमांशु श्रीवास्तव ( Himanshu Srivastava ), सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और कंपनी सेक्रेटरी लाची मित्तल पर धोखाधड़ी के आरोप हैं।
आरोप है कि कंपनी के चार लोगों ने साजिश रचकर उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से बाहर कर दिया। फर्जी तरीके से हटाए गए डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा और हरनीत सिंह लांबा ने कटनी और माधवनगर थाने में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
कंपनी की जनरल मीटिंग पर भी हाईकोर्ट की रोक कायम
इस मामले से जुड़े एक अन्य आदेश में, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस विशाल मिश्रा ने यूरो प्रतीक इस्पात की प्रस्तावित जनरल मीटिंग (AGM) पर रोक लगाई थी। आरोप था कि वर्तमान प्रबंधन कंपनी पर एकतरफा नियंत्रण स्थापित करने हेतु AGM की आड़ में महत्वपूर्ण निर्णय ले रहा है।
जब यह मामला चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच के समक्ष पहुंचा, तब वहां भी इस रोक को बरकरार रखा गया। डबल बेंच ने स्पष्ट कहा कि जब तक मामले का अंतिम निपटारा नहीं हो जाता, कंपनी की संरचना से जुड़े किसी भी प्रकार के निर्णय पर रोक लगी रहेगी। यह निर्देश कंपनी के ढांचे की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया गया।
ऐसे समझें पूरा मामला ?
सुरेंद्र सिंह सलूजा ने बताया कि वे मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड में वर्ष 2018 में डायरेक्टर बने थे। यह कंपनी लौह अयस्क यानी आयरन ओर का काम करती है। सलूजा ने कंपनी में रुपए भी इन्वेस्ट किए हैं। बकौल सलूजा, शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था। कंपनी अच्छे से रन हो रही थी।
जब उन्हें पता चला कि कंपनी में मनमानी होने लगी। डायरेक्टर्स को भरोसे में लिए बिना ही लौह अयस्क बेचे जाने लगे। इसे लेकर उन्होंने जबलपुर कलेक्टर से शिकायत की। जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कलेक्टर ने सलूजा को बुलाया। जब वे पहुंचे और अपना परिचय दिया तो पास में खड़े वकील ने उन्हें बताया कि वे अब कंपनी में डायरेक्टर नहीं हैं। यह सुनकर सलूजा को विश्वास ही नहीं हुआ। पुख्ता जानकारी लेने के लिए उन्होंने सीए से संपर्क किया। उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की। तभी से मामला पुलिस और कोर्ट में चल रहा है। अब सभी आरोपी मुंबई के कोर्ट परिसर में बेखौफ नजर आए।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢
🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩