ई-व्हीकल पॉलिसी पर 3 हजार करोड़ का भार, इसलिए वित्त विभाग ने लगाया अड़ंगा
मध्य प्रदेश की नई ई-व्हीकल पॉलिसी पर वित्त विभाग ने आपत्ति जताई है। नीति के तहत भारी छूट प्रस्तावित है, जिससे सरकार पर 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नगरीय विकास विभाग ने भारी छूट प्रस्तावित की है। इसी वजह से वित्त विभाग ने पॉलिसी पर आपत्ति दर्ज कराई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने पॉलिसी का प्रेजेंटेशन रखा गया। इस दौरान वित्त विभाग ने प्रस्तावित सब्सिडी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।
सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित छूट से सरकार पर 3 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। वित्त विभाग ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। अब 12 फरवरी को नगरीय विकास विभाग और वित्त विभाग के बीच फिर से बैठक होगी। इसके बाद ही अंतिम रूप देकर प्रस्ताव को कैबिनेट में भेजा जाएगा।
जानिए, वित्त विभाग की पॉलिसी को लेकर आपत्ति
पॉलिसी में सब्सिडी और इन्सेंटिव की छूट देने का प्रावधान किया गया है, जिससे सरकार पर 3021.37 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। वित्त विभाग को इस पर आपत्ति है। हालांकि, पॉलिसी में डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर 10 पैसे प्रति लीटर का प्रदूषण टैक्स लगाने और 25 लाख से ज्यादा कीमत वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोड टैक्स बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
वित्त विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जितनी छूट दी जा रही है, उसकी तुलना में टैक्स से आय नहीं होगी। इसके अलावा केंद्र के 15वें वित्त आयोग ने सिलेक्टेड शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधारने के लिए जो फंड दिया है, उसका भी इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है।
नीति के तहत शहरों को ईवी सिटी बनाने की योजना
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन को अगले 5 वर्षों में ईवी सिटी बनाया जाएगा। यात्री बसों और नगर निगम की गाड़ियों को भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदला जाएगा।