SC का प्रमाणपत्र लगाकर 200 जवान कर रहे नौकरी, IG ने लिया संज्ञान

मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाने का मामला सामने आया है। बाताया जा रहा है कि प्रदेश में 200 से ज्यादा ऐसे कर्मचारी हैं जो सरकार के नाक के नीचे सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी पाने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, इस समय राज्य पुलिस और एसएएफ में 200 से ज्यादा ऐसे जवान काम कर रहे हैं, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई है। खबरों की मानें तो पुलिस और प्रशासन दोनों को पता है कि ये लोग फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन दोनों की लापरवाही के कारण इन मामलों में कोर्ट से मिले स्थगन आदेश को निरस्त नहीं किया जा रहा है और इनकी नौकरी यथावत जारी है।

सवालों के घेरे में प्रमाण पत्र 

जानकारी के अनुसार वर्तमान में हेड कांस्टेबल राम सिंह मांझी दतिया के बड़ौनी थाने में पदस्थ हैं। कांस्टेबल धर्मेंद्र मांझी स्पेशल ब्रांच (अशोकनगर) में कार्यरत हैं। ये नाम तो महज उदाहरण हैं, जबकि हकीकत में प्रदेश पुलिस और एसएएफ में 200 से ज्यादा ऐसे अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र सवालों के घेरे में हैं।

हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक फर्जी जाति प्रमाण पत्र (एसटी) के मामले में राम सिंह और धर्मेंद्र समेत 10 लोगों के खिलाफ मार्च 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इन सभी लोगों के खिलाफ अप्रैल 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, पहली सुनवाई में ही सभी को राहत मिल गई थी। हाईकोर्ट में 5 साल तक चली सुनवाई के बाद भी जांच एजेंसी स्टे हटवा नहीं पाई। नतीजतन, मामले में अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि तब से इन सभी का प्रमोशन रुका हुआ है।

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शिकायत पर हुआ खुलासा

जानकारी के लिए बता दें कि ग्वालियर निवासी गोविंद पाठक नामक व्यक्ति ने टिहौली के कई युवकों के अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की शिकायत की थी। दावा किया था कि ये युवक भोई और बाथम जाति के हैं और ओबीसी से आते हैं। शिकायत दर्ज होने के बाद आरोप की जांच की गई, जिसमें कुल 10 युवकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इसी आधार पर 13 मार्च 2019 को थाना सीआईडी ​​मुख्यालय में धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।

मामले की शिकायत एसडीएम से की गई

इसके अलावा फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र को लेकर ग्वालियर के तत्कालीन एसडीएम से शिकायत की गई थी। आवेदन में दी गई जानकारी की पुष्टि होने पर एसडीएम ने कर्मचारी रमेश श्रीवास को नोटिस जारी कर 11 लोगों के जाति प्रमाण पत्र के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था। जब रिकॉर्ड  की जांच की गई तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इस मामले में कर्मचारी ने बताया कि वह 6 साल पहले रिटायर हो चुका है और दायरा पंजी में एंट्री उसके द्वारा नहीं कराई गई है। इस आधार पर एसडीएम ने प्रमाण पत्र निरस्त करने की सिफारिश की।

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एसटी प्रमाण पत्र पर रोक

इन सबके अलावा मगरौनी स्थित डाकघर में पदस्थ आरती मांझी का जाति प्रमाण पत्र भी सवालों के घेरे में है। उनके प्रमाण पत्र को लेकर भी शिकायत हुई है। कलेक्टर ग्वालियर ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मामले से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। मामला यहीं खत्म नहीं होता। एमपी पुलिस में कार्यरत गीतिका बाथम का प्रमाण पत्र भी सवालों के घेरे में है। 16 अप्रैल 2018 को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ग्वालियर ने मुरैना एसपी को लिखे पत्र में कहा था कि गीतिका बाथम निवासी रमटापुरा, ग्वालियर का जाति प्रमाण पत्र रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। वह अभी भी नौकरी कर रही हैं।

फर्जी पुलिसकर्मियों पर की जाएगी कार्रवाई

इस मामले पर ग्वालियर आईजी अरविंद सक्सेना का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि संविधान में आरक्षण की जो व्यवस्था की गई है उसी का फायदा उठाकर ऐसे लोग फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे हैं। आगे कोर्ट से आदेश मिलने पर ऐसे फर्जी पुलिसकर्मियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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