नर्सिंग कॉलेज घोटाला : देश की सबसे भरोसेमंद जांच एजेंसियों में से एक सीबीआई ( Central Bureau of Investigation ) को माना जाता है लेकिन अब इसमें भी भ्रष्टाचार अपने पैर पसारने लगा है। दरअसल, CBI के अधिकारी दलाल के साथ मिलकर रिश्वतखोरी का धंधा चला रहे थे। नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने वाली हर टीम का सदस्य इस भ्रष्टाचार में शामिल था। सभी का रेट फिक्स था। अब तक 23 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। अब इस केस में लगातार गिरफ्तारी हो रही है। इस मामले में कई बड़े- बड़े नाम सामने आ रहे हैं। आइए जानते हैं कि नर्सिंग कॉलेज घोटाला केस में अब क्या-क्या हुआ...
FIR में हुआ हर जिले में CBI के दलाल खुलासा
सीबीआई की एफआईआर में खुलासा हुआ है कि कॉलेजों को सूटेबल बताने के लिए भोपाल सीबीआई अधिकारियों ने 2 से 10 लाख रुपए तक का रेट फिक्स कर रखा था। जांच टीम में शामिल नर्सिंग ऑफिसर को 50 हजार और पटवारी को 20 हजार रुपए तक के रेट तय किए गए थे। अलग- अलग दलालों को एमपी के अलग- अलग हिस्सों का जिम्मा सौंपा गया था। दिल्ली सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट ( Delhi CBI's Anti Corruption Unit ) के अधिकारियों ने अब तक इस केस में सीबीआई के डीएसपी और 3 इंस्पेक्टर सहित 23 लोगों को आरोपी बनाया है। वहीं मंगलवार को सीबीआई ने भोपाल ब्रांच में पदस्थ डीएसपी आशीष प्रसाद और इंस्पेक्टर रिषिकांत असाठे को भी नामजद किया।
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इस केस में अब तक 2.33 करोड़ की जब्ती
इससे दो दिन पहले सीबीआई ने इंस्पेक्टर राहुल राज और सुशील मजोका को भोपाल और रतलाम से रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया था। राहुल राज के घर से 7.88 लाख नकद और 100 ग्राम के चार सोने के बिस्किट जब्त किए थे। अब तक सीबीआई इस मामले में 2.33 करोड़ रुपए नकद जब्त कर चुकी है।
600 कॉलेजों की जांच के लिए बनाई थी अलग-अलग टीम
सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की उसके अनुसार सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, इंस्पेक्टर राहुल राज, इंस्पेक्टर सुशील मजोका और इंस्पेक्टर रिषिकांत असाठे की अगुआई में नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए अलग अलग टीमें बनाई गई थी। इनमें सीबीआई अफसरों के अलावा इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा नामित नर्सिंग स्टाफ और पटवारियों को शामिल किया गया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर इन्हें मध्य प्रदेश के करीब 600 कॉलेजों की जांच करनी थी। सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने 308 कॉलेजों की जांच कर इसकी रिपोर्ट इसी साल जनवरी में हाईकोर्ट में पेश की थी। इसमें 169 कॉलेजों को सूटेबल, 74 को डिफिशिएंट और 65 कॉलेजों को अनसूटेबल की कैटेगरी में रखा था।
कॉलेजों को सूटेबल बनाने के लिए लगते थे 2 से 10 लाख रुपए
बाकी बचे हुए कॉलेजों के इंस्पेक्शन की रिपोर्ट हाईकोर्ट में सब्मिट करनी थी। इसके लिए सीबीआई अधिकारियों ने कॉलेज संचालक और दलालों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का एक पूरा रैकेट तैयार किया। इसमें हर किसी की भूमिका तय थी। सीबीआई अधिकारियों का ये पूरा रैकेट अनसूटेबल कॉलेजों को सूटेबल बनाने के लिए 2 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक की रिश्वत लेता था। रिश्वत का ये पैसा बाद में सीबीआई अफसर, नर्सिंग स्टाफ और पटवारियों के बीच बांटा जाता था। जांच टीम में शामिल नर्सिंग स्टाफ को 25 हजार से 50 हजार, पटवारियों को 5 हजार से 20 हजार रुपए दिए जाते थे। पटवारी और नर्सिंग स्टाफ को ये पैसा इंस्पेक्शन के दिन या उसके अगले दिन पहुंचा दिया जाता था।
नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा | MP Nursing College Scam