इंदौर नगर निगम के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के ज्वाइंट डायरेक्टर नीरज आनंद को जबलपुर हाईकोर्ट ने राहत दी। जातीय प्रमाण पत्र विवाद में डिवीजन बेंच ने कहा कि फिलहाल कोई सख्त कार्रवाई नहीं होगी। इससे पहले एकलपीठ ने उन्हें पद के कार्यों से हटाने का आदेश दिया था। 26 मई 2025 को सुनवाई में यह निर्णय दिया गया।
भाई के फर्जी जाति प्रमाण पत्र से उठे थे सवाल
यह पूरा मामला तब तूल पकड़ गया जब नीरज आनंद के बड़े भाई अजय लिखार का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया और उन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद भोपाल निवासी समाजसेवी सतीश नायक ने जनहित याचिका दायर कर नीरज आनंद के जातीय प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठाए। याचिका में कहा गया कि जब एक ही परिवार के दो लोग एक ही जाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं, और एक का प्रमाण पत्र फर्जी साबित हो गया है, तो दूसरे की वैधता पर भी स्वाभाविक रूप से संदेह होगा।
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एकलपीठ ने दिया था कार्य से हटाने का आदेश
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 19 मई को दिए अपने आदेश में कहा था कि जब तक उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती, तब तक नीरज आनंद को नगर नियोजन से संबंधित कोई भी कार्य नहीं सौंपा जाए।
डिवीजन बेंच ने कहा – अभी नहीं होगी कोई सख्त कार्रवाई
इस आदेश के खिलाफ नीरज आनंद लिखार ने रिट अपील (W.A. No. 1603/2025) दाखिल की, जिस पर 26 मई को सुनवाई हुई। उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह याचिका एक सामाजिक रूप से प्रेरित व्यक्ति द्वारा लगाई गई है, जिसका इस सेवा मामले में कोई लोकस स्टैंडी नहीं है। उन्होंने कहा कि सेवा से जुड़े मामलों में जनहित याचिका नहीं चलती।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में प्रस्तुत किया गया कि इस मुद्दे को एकलपीठ के समक्ष उठाकर उचित निर्णय लिया जा सकता है। इसके बाद डिवीजन बेंच ने नीरज आनंद को राहत देते हुए यह कहा कि एकलपीठ में उनकी सभी आपत्तियों पर विचार किया जाएगा, और तब तक उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ ही, 23 मई 2025 को नगर निगम द्वारा जारी आदेश को भी अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया है।
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फिलहाल पद पर बने रहेंगे नीरज आनंद
हाईकोर्ट के इस अंतरिम आदेश का सीधा असर यह होगा कि फिलहाल नीरज आनंद लिखार को संयुक्त संचालक के कार्यों से पूरी तरह अलग नहीं किया जाएगा और वह अपने पद पर बने रह सकेंगे। हालांकि, यह राहत अस्थायी है और एकलपीठ के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी।
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अब जांच रिपोर्ट पर टिका पूरा मामला
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक उच्च स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सकता। यह रिपोर्ट तय करेगी कि नीरज आनंद का जाति प्रमाण पत्र वैध है या नहीं, और इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
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अब निगाहें एकलपीठ के फैसले पर
फिलहाल नीरज आनंद को मिली यह राहत उन्हें अस्थायी तौर पर तो राहत देती है, लेकिन असली फैसला अब हाईकोर्ट की एकलपीठ पर टिका है। आने वाले हफ्तों में जब समिति की जांच रिपोर्ट और संबंधित दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश किए जाएंगे, तब यह तय होगा कि नीरज आनंद निखार संयुक्त संचालक के पद पर बने रहेंगे या नहीं।