फर्जी सीपेट सर्टिफिकेट लगाकर भुगतान लेने वाले 8 ठेकेदारों में से पांच पर ही FIR

मुरैना पीएचई कार्यालय में फर्जी सीपेट प्रमाण पत्र लगाकर भुगतान लेने वाले आठ ठेकेदारों में से पांच के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार तीन फर्मों के भुगतान पर संदेह बना हुआ है।

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The Sootr
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Photograph: (the sootr)

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MORENA. मुरैना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE Morena) कार्यालय में फर्जी सीपेट (CPAT Certificate) सर्टिफिकेट लगाकर भुगतान लेने का मामला प्रकाश में आया है। मुख्य अभियंता क्वालिटी (Chief Engineer Quality) द्वारा कराई गई जांच में पाया गया कि कुल आठ ठेकेदारों (Contractors) ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर विभाग से भुगतान लिया। इसके बावजूद मुरैना कोतवाली पुलिस ने केवल पांच फर्मों के खिलाफ ही FIR दर्ज किया है, जबकि तीन अन्य फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह मामला प्रशासनिक गड़बड़ी और संभावित संरक्षण की ओर इशारा करता है।

जांच रिपोर्ट में हुए ये खुलासे

जांच समिति की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आठ ठेकेदारों ने फर्जी सीपेट सर्टिफिकेट्स का इस्तेमाल कर भुगतान लिया। पुलिस ने पांच फर्मों पर FIR दर्ज की है, जिनमें मेमर्स मीरा शंकर सुतानगढ़ी कैनालस, मेमर्स कैनालस कालोनी मुरैना, सूरज शर्मा डीडी नगर क्वालियर, हरिमोहन कंट्रक्शन कंपनी, पुरुषोत्तम धड़क सुतानगढ़ी कैनालस और प्रभातप्रसाद तिवारी कालोनी मुरैना शामिल हैं।

तीन फर्मों पर FIR न होना पैदा कर रहा संदेह

जांच के दौरान डेडीटिया कंट्रक्शन, राय्या कंट्रक्शन और आर्यन कंट्रक्शन कंपनी के भी सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इन फर्मों ने विभाग से कुल मिलाकर करोड़ों रुपए का भुगतान लिया, लेकिन इनके खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है। यह तथ्य जांच और एक्शन की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।

जांच में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा

जांच रिपोर्ट में पीएचई मुरैना के कार्यपालन यंत्री सहित उपयंत्री व सहायक यंत्री को भी फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच किए बिना भुगतान करने का जिम्मेदार माना गया है। समिति ने इनके खिलाफ नियम अनुसार कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है। यह दर्शाता है कि विभागीय स्तर पर भी लापरवाही और संरक्षण की संभावना है।

मामले से जुड़े अहम तथ्य

विषयविवरण
कुल ठेकेदारों की संख्या8
FIR दर्ज फर्मों की संख्या5
बिना FIR फर्मों की संख्या3
सबसे अधिक भुगतान प्राप्त फर्मडेडीटिया कंट्रक्शन (₹57.55 लाख)
जांच में शामिल अधिकारीकार्यपालन यंत्री, उपयंत्री, सहायक यंत्री
पुलिस अधिकारीटीआई दीपक यादव

जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर

टीआई कोतवाली, दीपक यादव के मुताबिक, कार्यपालन यंत्री द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में केवल पांच फर्मों का उल्लेख था, इसलिए FIR उन्हीं के खिलाफ दर्ज की गई। तीन अन्य फर्मों पर FIR न होने के कारण अतिरिक्त जांच की संभावना बनी हुई है।

कार्यपालन यंत्री से पूछा जाएगा कारण 

पीएचई क्वालियर क्षेत्र के मुख्य अभियंता आरएलएस मौर्य ने सवाल किए जाने पर कहा कि फर्जी सीपेट सर्टिफिकेट लगाकर भुगतान लेने की जानकारी मिलने पर अधीक्षण यंत्री चंबल संभाग आरके सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की गई थी। इस टीम ने आठ फर्मों के प्रमाण पत्रों में कुटरचना कर भुगतान लेने का खुलासा किया। जांच रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए थे। लेकिन तीन फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज न किए जाने का कारण मुरैना के कार्यपालन यंत्री से पूछा जाएगा।

निष्कर्ष 

मुरैना के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का फर्जी प्रमाण पत्र मामले में पर्दाफाश होना प्रशासनिक व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती है। सरकारी ठेकों की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए यह मामला चेतावनी है। जांच रिपोर्ट और FIR के बीच अंतर प्रशासनिक प्रणाली में संभावित कमजोरियों को दर्शाता है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी निगरानी और कड़े कानून आवश्यक हैं।

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