मध्यप्रदेश सरकार की वॉर बुक खो गई है। मुख्य सचिव (सीएस) लगातार पूछ रहे हैं कि यह किताब कहां है। वॉर बुक युद्ध या आपदा की स्थिति में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
ध्यप्रदेश की वॉर बुक खो गई है। यह युद्ध और आपदा की तैयारी की महत्वपूर्ण किताब है। मुख्य सचिव अनुराग जैन रोज पूछ रहे हैं कि किताब कहां है? दरअसल वॉर बुक में युद्ध के समय क्या करना है उसकी पूरी योजना होती है। यह किताब 1971 के युद्ध के बाद बनाई गई थी।
हाल के भारत-पाक तनाव के बीच जब केंद्र सरकार ने प्रदेशों को सतर्क रहने के निर्देश दिए, तब जाकर वल्लभ भवन के अफसरों को इस किताब को लेकर होश आया। ऐसे में गंभीर सवाल खड़ा हो गया है कि सीमा पर युद्ध जैसे हालात बने तो प्रशासन प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए कौन से नियम कायदे अमल में लाएगा!
यूनियन वॉर बुक क्या है?
वॉर बुक एक महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेज होता है। यह युद्ध या आपदा की स्थिति में देश की सुरक्षा और व्यवस्था का बैकअप प्लान होता है। इस दस्तावेज को 1971 के युद्ध के बाद तैयार किया गया था।
यूनियन वॉर बुक भारत सरकार का एक अत्यंत गोपनीय दस्तावेज है। इसमें युद्ध या संकट की स्थिति में सरकार के कदम और प्रोटोकॉल तय होते हैं। यह दस्तावेज प्रमुख सचिव गृह एवं गोपनीय विभाग की देखरेख में रखा जाता है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि युद्ध की स्थिति में कौन-कौन सी एजेंसी क्या जिम्मेदारी निभाएगी। यह सुनिश्चित करता है कि सभी विभागों और एजेंसियों का काम सही समय पर और सही तरीके से हो।
युद्ध के वक्त पूरी सरकारी मशीनरी, सेना, रेलवे, नागरिक विमानन, स्वास्थ्य और अन्य विभाग सक्रिय हो जाते हैं। यूनियन वॉर बुक में इन सभी की भूमिका और जिम्मेदारी तय होती है। इससे किसी भी विभाग या एजेंसी के बीच भ्रम नहीं होता और समन्वय बेहतर होता है। यह दस्तावेज समय-समय पर अपडेट होता रहता है ताकि नई जरूरतों को ध्यान में रखा जा सके। कई राज्यों ने इस आधार पर अपनी स्टेट वॉर बुक भी तैयार की है।
यूनियन वॉर बुक को आखिरी बार दिसंबर 2001 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान आंशिक रूप से लागू किया गया था। उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव था। इस ऑपरेशन में बॉर्डर गार्डिंग और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती जैसे विवरण शामिल थे। हालांकि, पूरी यूनियन वॉर बुक तब लागू नहीं हुई थी, केवल इसके कुछ हिस्से ही लागू हुए थे।
इस दस्तावेज में युद्ध की स्थिति में सभी विभागों और एजेंसियों के बीच बिना रुकावट के समन्वय सुनिश्चित किया जाता है। इससे फैसले जल्दी लिए जा सकते हैं और गलतफहमियां कम होती हैं। युद्ध की स्थिति में सरकार के सभी सिस्टम चालू रहना जरूरी होता है। वॉर बुक में इमरजेंसी प्रोटोकॉल, वैकल्पिक सिस्टम, वित्तीय सुरक्षा, संचार नेटवर्क की सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा के नियम भी शामिल होते हैं। राशन, ईंधन, दवाइयों का वितरण और शेल्टर की व्यवस्था भी इसी में तय होती है।
वॉर बुक देश की सुरक्षा का एक अहम दस्तावेज है। इसके बिना युद्ध या आपदा की स्थिति में काम करना कठिन हो सकता है। इसलिए इसकी सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है। मध्यप्रदेश में यह दस्तावेज गायब होने की खबर चिंताजनक है और सरकार इसकी जल्द से जल्द तलाश कर सुरक्षा कड़ी करने पर काम कर रही है।
CS अनुराग जैन | IAS अनुराग जैन | भारत-पाकिस्तान
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FAQ- खबर से संबंधित सवाल
वॉर बुक क्या होती है और इसका महत्व क्या है?
वॉर बुक एक गोपनीय दस्तावेज होता है जो युद्ध या आपदा की स्थिति में सरकार की रणनीति और सभी विभागों की जिम्मेदारियां तय करता है। यह देश की सुरक्षा और प्रशासनिक समन्वय के लिए बेहद जरूरी है।
वॉर बुक को कब आखिरी बार लागू किया गया था?
यूनियन वॉर बुक को आखिरी बार दिसंबर 2001 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान आंशिक रूप से लागू किया गया था, जब भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव था।
क्या वॉर बुक को समय-समय पर अपडेट किया जाता है?
हां, युद्ध की बदलती परिस्थितियों और नई तकनीकों के आधार पर वॉर बुक को नियमित रूप से समीक्षा और संशोधन के बाद अपडेट किया जाता है ताकि यह प्रभावी बनी रहे।