MP में यहां चल रही फर्जी डॉक्टर बनाने की फैक्ट्री, बाल आयोग ने दी दबिश

दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर के पकड़े जाने के बाद अब बाल आयोग की टीम ने सागर में संचालित में एक संस्थान पर दबिश दी है। यह संस्थान फर्जी डॉक्टर तैयार कर रहा था।

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Rohit Sahu
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दमोह में फर्जी डॉक्टर द्वारा हुई मरीजों की मौत के बाद अब सागर में भी चिकित्सा क्षेत्र में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (MP Child Rights Commission) की टीम ने सागर के कालीचरण चौराहे स्थित एलआईसी बिल्डिंग में चल रहे एक कथित "राधारमण इंस्टीट्यूट" पर शुक्रवार को दबिश दी। यहां कौशल विकास की आड़ में गांव के बेरोजगार युवाओं को डॉक्टर बनाने का झांसा देकर फर्जी सर्टिफिकेट दिए जा रहे थे।

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एलआईसी बिल्डिंग में चल रहा था संस्थान

बाल आयोग को मिली शिकायत के बाद टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर यह कार्रवाई की। आरोप था कि संस्थान में कोई वैध मान्यता नहीं थी और फिर भी वहां मेडिकल से जुड़े कोर्स सिखाए जा रहे थे। दबिश के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट्स, छात्र रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए।

नकली डॉक्टर तैयार करने का गोरखधंधा चालू 

10 साल पहले खोला गया था कौशल विकास केंद्र, 2 साल बाद बंद कर दिया गया था। इसके बाद से यहां नकली डॉक्टर तैयार करने का गोरखधंधा चालू रहा। राधारमण इंस्टीट्यूट को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत शुरू किया गया था, लेकिन यह संस्थान केवल दो साल में बंद हो गया। इसके बाद यहां डॉक्टर बनाने के नाम पर धोखाधड़ी शुरू हो गई। प्रारंभिक जांच में संस्थान की किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से संबद्धता नहीं पाई गई। युवाओं से डॉक्टर बनाने के नाम पर मोटी फीस वसूली जाती है।

कॉल सेंटर के जरिए होती थी ठगी

गांवों के 10वीं-12वीं पास युवाओं को बनाया निशाना बनाकर झांसे में लिया जाता था। कॉल सेंटर के माध्यम से युवाओं को संपर्क कर डॉक्टर बनने का झूठा वादा किया जाता था। एक कोर्स और सर्टिफिकेट की कीमत 32,000 से 45,000 रुपये तक ली जाती थी। युवाओं को क्लीनिक खोलने और पैरामेडिकल कोर्स कराने का भी दावा किया जाता था।

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मौके पर मिलीं शराब की बोतलें

बाल आयोग सदस्य ने बताया कि दबिश के दौरान वहां 12 युवतियां भी मिलीं जो कॉल सेंटर में काम कर रही थीं। संस्थान से शराब की बोतलें और नोट गिनने वाली मशीन भी बरामद की गई। आयोग के सदस्य औंकार सिंह ने बताया कि पिछले 8–10 वर्षों में यहां से सैकड़ों फर्जी डॉक्टर बनाए गए होंगे। उन्होंने कहा कि मामले में कलेक्टर को कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

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