बीयू कॉलेजों में फर्जी फैकल्टी का खेल, 25 से ज्यादा फैकल्टी ने लगाए आरोप

मध्य प्रदेश के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) में फर्जी फैकल्टी का मामला सामने आया। कॉलेजों में बिना अनुमति के कई फैकल्टी के नाम दर्ज किए गए हैं।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) से संबद्ध कॉलेजों में फर्जी फैकल्टी रखने का मामला सामने आया है। यह मुद्दा तब उजागर हुआ जब बीयू ने कोड-28 के तहत फरवरी 2025 में फैकल्टी लिस्ट अपनी वेबसाइट पर जारी की थी। इस लिस्ट को लेकर कई आपत्तियां उठाई गई। इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि कई फैकल्टी के नाम बिना उनकी अनुमति के दो-तीन कॉलेजों में शामिल किए गए हैं, जबकि वे वहां कभी कार्यरत नहीं रहे।

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जानें क्या है पूरा मामला?

फर्जी फैकल्टी मामले की शुरुआत तब हुई जब फरवरी 2025 में बीयू ने कोड-28 के तहत वेबसाइट पर अपनी फैकल्टी लिस्ट जारी की। इसके बाद कई फैकल्टी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके नाम, फोटो और दस्तावेजों का अवैध रूप से उपयोग किया गया है। इनमें से अधिकतर महिलाएं थीं। इन्होंने अपनी पहचान की चोरी होने की शिकायत की।

25 से अधिक फैकल्टी सदस्य बीयू पहुंचे। इन्होंने आरोप लगाया कि उनके नाम पर कॉलेजों ने नियुक्ति दिखाकर उनका फोटो और दस्तावेज गलत तरीके से इस्तेमाल किया। बीयू प्रशासन ने 26 जून को एक ट्रिब्यूनल बैठक का आयोजन किया। इसमें केवल नाम हटाने की बात कही गई। फैकल्टी सदस्य इस फैसले से नाराज हैं। उनका कहना है कि कॉलेजों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें हर्जाना मिलना चाहिए।

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फैकल्टी की आपत्तियां

फैकल्टी सदस्यों ने कई आरोप लगाए हैं। इनमे से कुछ इस प्रकार हैं:

  • डॉ. लेखा चौरे: जो जौहरी कॉलेज, इंद्रपुरी (भोपाल) में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि राजीव गांधी कॉलेज, रायसेन ने 2017 से उनकी नियुक्ति दिखा दी, जबकि उन्होंने कभी वहां आवेदन तक नहीं किया। इसके अलावा, बीयू की लिस्ट में उनके बजाय किसी और का फोटो लगाया गया। साथ ही वेतन भी गलत बताया गया।

  • डॉ. लोकेंद्र चौकसे: जो सीहोर के श्यामपुर स्थित अल्फा कॉलेज में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि भोपाल के एमके पोंडा कॉलेज ने उन्हें मैनेजमेंट विषय में नियमित शिक्षक बता रखा है, जबकि अकाउंट नंबर तक गलत था।

  • डॉ. सुनीता सोनी: जो की मदन महाराज कॉलेज, करोंद (भोपाल) में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि आदर्श महाविद्यालय, जीरापुर ने 2017 से उनकी सहायक प्राध्यापक के तौर पर नियुक्ति दिखा रखी है, लेकिन फोटो किसी और का था।

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बीयू प्रशासन की लापरवाही

बीयू प्रशासन ने फरवरी 2025 में फैकल्टी लिस्ट को जारी किया, लेकिन उन्होंने कोई जांच नहीं की। यूनिवर्सिटी ने सिर्फ फैकल्टी से आपत्तियां मांगी और इसके बाद किसी तरह की गंभीर जांच नहीं की। इस तरह की लापरवाही के कारण कई गलत नाम और नियुक्तियां दर्ज हो गई।

संबंधित कॉलेजों के खिलाफ होगी कार्रवाई

बीयू के कुलगुरु डॉ. एसके जैन ने कहा कि फैकल्टी की आपत्ति के आधार पर संबंधित कॉलेजों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, उन फैकल्टी सदस्यों को भी स्वतंत्र रूप से विधिसम्मत कार्रवाई करने की अनुमति दी गई है, जिनके दस्तावेजों का गलत उपयोग किया गया है।

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