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Gwalior. ग्वालियर में क्राइम ब्रांच ने शादी के नाम पर ठगी करने वाले दो फर्जी मेट्रिमोनियल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। इन सेंटरों में काम करने वाली युवतियां फर्जी मॉडलिंग फोटो भेजकर, युवकों से शादी का झांसा देती थीं। आरोपियों ने अब तक करोड़ों रुपए ठगे हैं। पुलिस इस पूरे गिरोह के मास्टरमाइंड पकड़ने के लिए जांच कर रही है।
19 युवतियां गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार
क्राइम ब्रांच ने मयूर नगर और ज्योतिनगर इलाकों में दो अलग-अलग कॉल सेंटरों का खुलासा किया। इनमें से कुल 19 युवतियां गिरफ्तार की गई हैं। ये युवतियां फर्जी कॉल सेंटर चलाकर युवकों से पैसे उगाही करती थीं।
दो युवतियां कॉल सेंटर का संचालन कर रही थीं, जबकि पूरा गिरोह चलाने वाला मास्टरमाइंड फिलहाल फरार है। पुलिस के मुताबिक दोनों कॉल सेंटर से अब तक करीब 1500 लोगों से डेढ़ करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है। पुलिस अब इस मास्टरमाइंड की तलाश में जुटी हुई है।
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मयूर नगर से खुला पहला कॉल सेंटर
ग्वालियर क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि मयूर नगर में एक फर्जी मेट्रिमोनियल कॉल सेंटर संचालित हो रहा है। टीम ने तिलेश्वर उर्फ दिनेश पटेल के मकान पर दबिश दी, जहां कॉल सेंटर चला रहा था। मौके से 12 युवतियों को गिरफ्तार किया गया, जो शादी का झांसा देकर पैसे वसूल रही थीं। यह कॉल सेंटर तिलेश्वर पटेल के कहने पर 24 वर्षीय राखी गौड़ के जरिए चलाया जा रहा था।
ज्योतिनगर में दूसरा फर्जी कॉल सेंटर
मयूर नगर के कॉल सेंटर के खुलासे के बाद पुलिस ने ज्योतिनगर में स्थित दूसरे फर्जी कॉल सेंटर पर भी कार्रवाई की। यहां 7 युवतियां पकड़ी गईं, जो शादी के नाम पर लोगों से पैसे ठग रही थीं। इस कॉल सेंटर का संचालन 26 वर्षीय सीता उर्फ शीतल चौहान कर रही थी। पुलिस के मुताबिक, दोनों कॉल सेंटरों का मास्टरमाइंड तिलेश्वर पटेल है, जिसकी तलाश जारी है।
क्यूआर कोड के जरिए ठगी की पूरी प्रक्रिया
ग्वालियर पुलिस के मुताबिक, आरोपी युवकों को पहले फर्जी मेट्रिमोनियल वेबसाइट पर रजिस्टर कराते थे। फिर, उन्हें मॉडलिंग करने वाली युवतियों की फर्जी तस्वीरें भेजते थे और शादी का भरोसा दिलाते थे। जब युवक उनके झांसे में आ जाते, तो कॉल सेंटर की युवतियां उनसे क्यूआर कोड भेजकर पैसे ट्रांसफर करवा लेतीं थीं।
ठगी के लिए खास तरीके अपनाए गए
पुलिस ने यह भी पाया कि कॉल सेंटर में काम करने वाली युवतियों को साधारण मोबाइल फोन दिए जाते थे। इन मोबाइलों में सोशल मीडिया ऐप्स नहीं होते थे, ताकि किसी भी प्रकार की जांच से बचा जा सके। ठगी के बाद मोबाइल नंबर बंद कर दिए जाते थे। साथ ही, सिम कार्ड का रजिस्ट्रेशन मास्टरमाइंड और संचालक के नाम पर होता था।
नौकरी की तलाश करने वालों के लिए खतरनाक ठगी
अब तक इस गिरोह ने एक सौ से ज्यादा लोगों से शादी के नाम पर लाखों की ठगी की है। पुलिस की जांच जारी है और यह जानने की कोशिश की जा रही है कि कुल कितने लोग इस ठगी का शिकार हुए हैं और कुल कितनी रकम की धोखाधड़ी की गई है।
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