बाबा भारती की तरह ठगे गए ग्वालियर के साइंटिस्ट, भरोसा जीत कर ड्राइवर ने लगा दी 16 लाख चपत

ग्वालियर के रिटायर्ड साइंटिस्ट ओमप्रकाश सिंह से उनके ड्राइवर अमन राज ने धोखा किया। भरोसा जीतकर UPI चालू किया, 58 दिनों में 16.05 लाख निकाले। ड्राइवर की एक गलती से पूरी धोखाधड़ी पकड़ी गई।

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Anjali Dwivedi
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आपको बाबा भारती और डाकू खड़क सिंह की कहानी तो याद ही होगी। अगर नहीं है तो संक्षेप में जान लीजिए। दरअसल ग्वालियर में एक बार फिर ऐसी ही कहानी दोहराई गई है। जहां इस बार घोड़ा तो नहीं लूटा गया, मगर भरोसा जरूर लूट लिया…

पहले बाबा भारती की कहानी जानते हैं….

संत बाबा भारती अपने प्रिय घोड़े “सुल्तान” से बहुत प्रेम करते थे। डाकू खड़क सिंह उस घोड़े पर ललचा गया और एक अपाहिज बनकर राह में बाबा को धोखा देकर घोड़ा छीन लिया।

बाबा गिर पड़े पर बोले, “इस घटना को किसी से मत कहना, लोग अपाहिजों पर विश्वास करना छोड़ देंगे।” यह सुनकर खड़क सिंह भीतर से टूट गया, उसे अपनी क्रूरता पर पछतावा हुआ। रात में वह सुल्तान को मंदिर में वापस बांध गया और माना कि घोड़ा जीतकर भी वह हार गया, जबकि हारकर भी बाबा जीत गए।

पांच प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला

  • ड्राइवर अमन राज ने रिटायर्ड साइंटिस्ट ओमप्रकाश का भरोसा जीतकर उनके बैंक डिटेल्स ले लिए।

  • यूपीआई (UPI) को ओमप्रकाश के मोबाइल में चालू कर 58 दिन में 16 लाख 5 हजार रुपए चुराए।

  • ड्राइवर ने पैसे निकालने के बाद मैसेज डिलीट कर दिए, लेकिन एक गलती ने धोखाधड़ी का खुलासा किया।

  • बेटी और दामाद ने बैंक खाता फ्रीज कराया और पुलिस को सूचित किया।

  • यह घटना घरेलू कर्मचारियों के सत्यापन की महत्ता को उजागर करती है।

बाबा भारती जैसे साइंटिस्ट से 16 लाख की धोखाधड़ी

ठीक ऐसी ही कहानी ग्वालियर में दोहराई गई है, यहां एक रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट के साथ उनके ही ड्राइवर और उसकी पत्नी ने धोखाधड़ी की। 79 वर्षीय ओमप्रकाश सिंह, जो बीमार और अकेले थे। उनके साथ एक बड़ी धोखाधड़ी हुई जो चारो ओर चर्चा का विषय बन गई है।

ओमप्रकाश सिंह इस कदर ठगे गए कि उनके खाते से 16 लाख 5 हजार रुपए गायब हो गए। ये धोखाधड़ी (Fraud case) किसी और ने बल्कि उनके अपने ड्राइवर अमन राज ने की है। इस धोखाधड़ी को करने के लिए ड्राइवर अमन राज ने पहले ओमप्रकाश का भरोसा जीता। फिर उसने उनके मोबाइल में यूपीआई (UPI Fraud) चालू कर बिना उनकी जानकारी के लगातार पैसे निकालता रहा।

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ड्राइवर और परिवार ने रची साजिश

ओमप्रकाश सिंह की पत्नी का 4 साल पहले निधन हो चुका था। वह अकेले और बीमार भी रहते थे। इसी दौरान उनका ड्राइवर अमन राज और उसके परिवार ने सेवा के बहाने उनका दिल जीता। अमन और उसकी पत्नी ने ओमप्रकाश की देखभाल शुरू की।

फिर अमन ने ओमप्रकाश के बैंक पासबुक और मोबाइल को अपने कब्जे में लिया और मोबाइल में यूपीआई ऐप डाउनलोड कर दिया। इसके बाद, अमन ने 2 अक्टूबर से लेकर 30 नवंबर तक 21 ट्रांजेक्शन कर ओमप्रकाश के खाते से पैसे निकाल लिए।

एक गलती ने खोली अमन राज पोल

अमन ने जितनी भी रकम निकाली, उसने ओमप्रकाश को भनक तक नहीं लगने दी। वह बार-बार खाते से पैसे कटने के मैसेज भी डिलीट करता रहा। लेकिन 29 नवंबर को एक बार वह मैसेज डिलीट करना भूल गया। जैसे ही ओमप्रकाश ने यह मैसेज देखा, उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें ठगा गया है।

5 दिसंबर को ओमप्रकाश ने अपनी बेटी मंजू सिंह को फोन किया और पूरी घटना बताई। मंजू ने तुरंत बैंक खाता फ्रीज करा दिया और थाटीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई।

धोखाधड़ी सुनते ही बुजुर्ग की बिगड़ी तबीयत

रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट से ठगी के बाद तनाव में आ गए। उनकी हालत इतनी बिगड़ी कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उनकी बेटी मंजू सिंह और दामाद ने अस्पताल में उनका इलाज करवाया। ओमप्रकाश के दोनों बेटे अलग-अलग शहरों में रहते हैं और उनकी बेटी बेंगलुरु में आईटी सेक्टर में काम करती हैं। 

यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि घर में काम करने वालों का पुलिस सत्यापन (Police Verification) करना कितना जरूरी है। ऐसे कर्मचारियों का सत्यापन होने से पहले से ही उनके आपराधिक रिकॉर्ड और अन्य जरूरी जानकारियों की पुष्टि हो जाती है, जो परिवार की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।  

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