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Photograph: (thesootr)
जबलपुर जिले के गोरखपुर अनुभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जी तरीके से गरीबी रेखा (BPL) कार्ड बनवाने और उसका आदेश तैयार करने के आरोप में एक महिला सरिता उर्फ पीहू कोष्टा के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मच गया है, क्योंकि फर्जी BPL कार्ड जारी करने में सरकारी मुहर और एसडीएम के दस्तखत तक नकली पाए गए हैं।
पटवारी और तहसीलदार की जांच से खुलासा
योजनाओं का लाभ लेने के लिए कुछ हितग्राहियों के द्वारा नगर निगम के कछपुरा जोन में गरीबी रेखा (BPL) कार्ड जमा किए गए थे। नगर निगम के संभागीय अधिकारी ने जब इन्हें जांचा तो यह BPL कार्ड फर्जी पाए गए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुविभागीय अधिकारी के निर्देश पर नायब तहसीलदार राजेश मिश्रा और हल्का पटवारी प्रभात परौहा की संयुक्त जांच टीम गठित की गई।
समिति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वो नगर निगम कछपुरा क्षेत्र में बीपीएल कार्ड धारकों की जांच करे और स्पष्ट करे कि ये कार्ड असली हैं या फर्जी। जांच के दौरान समिति ने सात लाभार्थियों से पूछताछ की और उनके कथन दर्ज किए, जिसके आधार पर यह सामने आया कि कार्ड अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से अधिकृत रूप से जारी नहीं किए गए हैं।
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अधिकारी का प्रतिनिधि बताती थी जालसाज
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस फर्जीवाड़े की आरोपी महिला सरिता उर्फ पीहू कोष्टा ने खुद को अधिकारी से जुड़ा बताकर गरीबों को भरोसे में लिया और उनसे बीपीएल कार्ड बनवाने के नाम पर पैसे लिए। बाद में उसने खुद फर्जी आदेश तैयार कर, उस पर एसडीएम कार्यालय की नकली मुहर और हस्ताक्षर बनाकर कार्ड जारी कर दिए। कई आवेदकों ने बताया कि उन्होंने भरोसे में आकर महिला को 2,000 से 5,000 रुपए तक नकद राशि दी थी। यह महिला लोगों को बताती थी कि उसके ‘ऊपर तक लिंक’ हैं और वह ‘स्पेशल कोटे’ से कार्ड बनवा रही है।
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कंप्यूटर ऑपरेटर और उसके भाई की भूमिका संदिग्ध
जांच में सरिता कोष्टा ने यह भी बताया कि उसे अनुविभागीय कार्यालय में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर रितु रैकवार और उसके देवर राहुल बर्मन का सहयोग प्राप्त था। हालांकि, उनके खिलाफ प्रत्यक्ष कोई दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, सिवाय एक कॉल रिकॉर्डिंग के, जिसमें बातचीत के जरिए उनकी भूमिका पर शक जताया गया है।
लाभार्थियों के भी कथनों में इन दोनों के नाम सामने नहीं आए, लेकिन बीपीएल कार्ड बनाने की प्रक्रिया में इनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, इसलिए पुलिस अब तकनीकी पहलुओं और उनकी भूमिका की भी जांच कर रही है।
पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर शुरू की जांच
गोरखपुर थाना पुलिस ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए सरिता कोष्टा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने मामले को विवेचना में लेकर सभी दस्तावेज जब्त कर लिए हैं और आरोपी महिला को गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है। अन्य संदिग्धों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
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सरकारी योजना के नाम पर हुई लूट
फर्जी बीपीएल कार्ड बनवाने की इस योजना ने कई गरीब परिवारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लाभार्थियों को लगा कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, लेकिन असल में वे ठगी के शिकार हो गए। इन कार्डों के आधार पर लोग राशन, आवास, छात्रवृत्ति और कई अन्य योजनाओं में आवेदन करने की सोच रहे थे, लेकिन यह पूरा जालसाजी निकला। अब वे खुद भी पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं और अपने साथ हुई धोखाधड़ी का बयान दे चुके हैं।
ऑफिस स्टाफ की मिलीभगत की संभावना
इस प्रकरण ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। बिना किसी अंदरूनी सहायता के सरकारी मुहर और एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर की नकल करना भी गहरी सांठगांठ की ओर इशारा कर रही है। हालांकि अब पुलिस जांच के बाद ही इस मामले जुड़े हुए लोगों के नाम सामने आएंगे।
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अन्य कार्डधारकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
जांच अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार केवल आरोपी महिला ही नहीं, बल्कि कुछ लाभार्थियों की भी भूमिका संदेहास्पद है। जांच के बाद यह साफ हो सकता है कि कुछ लोग जानबूझकर पैसे देकर फर्जी कार्ड बनवा रहे थे या वे अनजान थे।
पुलिस अब लाभार्थियों के कॉल डिटेल्स, बैंक ट्रांजैक्शन और पुराने आवेदनपत्रों की भी समीक्षा कर रही है, ताकि सच्चाई पूरी तरह सामने लाई जा सके। लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद यह तो साबित हो रहा है कि जबलपुर में जाति प्रमाण पत्र हो या गरीबी रेखा कार्ड हर तरीके से जालसाजी कर लोगों को ठगने के लिए शहर में कई गैंग काम कर रही हैं।
SDM की फर्जी सील
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