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गर्मियों की शुरुआत के साथ ही किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। नई फसलों की बुवाई से पहले ही सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे किसानों को लागत तक नहीं मिल पा रही है। देशभर में सब्जियों की कीमतों में गिरावट का असर मध्य प्रदेश में भी दिख रहा है। इंदौर, बैतूल, छिंदवाड़ा समेत कई जिलों में सब्जियां मिट्टी के भाव बिक रही हैं। छिंदवाड़ा में टमाटर महज 2 रुपए प्रति किलो बिक रहा है, जबकि बैतूल में पत्ता गोभी की हालत इतनी खराब है कि किसान इसे बाजार में बेचने की बजाय सड़कों पर फेंकने को मजबूर हो गए हैं।
2 रुपए किलो बिक रहे टमाटर
छिंदवाड़ा में सब्जियों की थोक बिक्री करने वाले एक व्यापारी के अनुसार, इस बार न केवल छिंदवाड़ा बल्कि प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भी टमाटर समेत अन्य सब्जियों का भारी उत्पादन हुआ है। अत्यधिक उत्पादन के कारण मंडियों में टमाटर 2 से 3 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। 25 किलो की टमाटर की कैरेट महज 50 से 60 रुपए में बेची जा रही है।
किसानों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक बन गई है, क्योंकि स्टोरेज की उचित व्यवस्था न होने के कारण वे सब्जियों को बेचने के बजाय जानवरों को खिलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
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गोभी के दाम इतने गिरे कि किसान फेंकने पर मजबूर
बैतूल जिले के मुलताई ब्लॉक में बड़ी मात्रा में पत्ता गोभी की खेती होती है, लेकिन इस बार इसकी कीमत इतनी कम हो गई है कि इसे बेचकर लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। थोक व्यापारी गोभी को मात्र 20 पैसे प्रति किलो के भाव पर खरीद रहे हैं।
एक एकड़ में पत्ता गोभी की खेती करने में 40 हजार रुपए तक का खर्च आता है, लेकिन किसानों को एक ट्रक पत्ता गोभी की कीमत मात्र 6 हजार रुपए मिल रही है। लागत से भी कम दाम मिलने के कारण किसानों ने गोभी को खेतों और सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया है, जिसे अब मवेशी खा रहे हैं।
अन्य सब्जियों के दाम भी गिरे
मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी सब्जियों के दाम बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। टमाटर, पत्ता गोभी और फूल गोभी के अलावा बैंगन, लौकी, शिमला मिर्च और फ्रेंच बीन्स की कीमतों में भी भारी गिरावट देखी जा रही है।
विक्रेताओं के अनुसार:
- भिंडी और लौकी 3 से 4 रुपए प्रति किलो
- शिमला मिर्च 10 से 12 रुपए प्रति किलो
किसानों को उचित दाम न मिलने के कारण उन्हें सब्जियां बहुत कम कीमतों पर बेचनी पड़ रही हैं या फिर नष्ट करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
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नई फसलों की तैयारी बनी वजह
इंदौर की चोइतराम मंडी में भी सब्जियों की कीमतें लगातार गिर रही हैं। मंडी के एक थोक व्यापारी के अनुसार, नई फसलों की बुवाई के चलते किसान अपनी पुरानी फसल को जल्द से जल्द बेचना चाहते हैं, जिससे बाजार में सब्जियों की अधिक आवक हो रही है और कीमतों में गिरावट जारी है।
गर्मी के मौसम में खेतों की सफाई कर नई फसल की बुवाई की जाती है, इसलिए किसान पुरानी फसल जल्द निकालने की कोशिश में कम कीमतों पर भी सब्जियां बेचने को मजबूर हैं।
सब्जियों के दाम क्यों गिर रहे हैं
सब्जियों के दाम गिरने के पीछे मुख्य वजह अत्यधिक उत्पादन और बाजार में अधिक आपूर्ति मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, इस बार उत्पादन अधिक हुआ है, जिससे मंडियों में सब्जियों की भारी मात्रा में आवक हो रही है।
और क्या कारण हो सकते हैं
- हरी सब्जियों और अन्य अनाजों को किसान जल्द से जल्द बाजार में बेच रहे हैं।
- स्टोरेज की उचित सुविधा न होने के कारण किसान अपनी सब्जियां सस्ते दामों में बेचने के लिए मजबूर हैं।
- नई फसलों की बुवाई के लिए पुराने स्टॉक को नष्ट किया जा रहा है, जिससे बाजार में सब्जियों की कीमतें और गिर रही हैं।
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मालवा क्षेत्र में फरवरी से जारी है गिरावट
मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में पिछले एक महीने से सब्जियों के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है। एक सब्जी कारोबारी ने बताया कि कुछ महीने पहले हरा मटर 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा था, लेकिन अब इसकी कीमत 10 रुपए प्रति किलो से भी कम हो गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उत्पादन लागत निकाल पाना भी उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
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