किसान कल्याण के फंड से अफसरों ने खरीदीं लग्जरी गाड़ियां, CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सीएजी की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसने मध्य प्रदेश सरकार के किसान कल्याण के दावों की पोल खोलकर रख दी है। क्या है पूरा मामला... चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।

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Sourabh Bhatnagar
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Comptroller and Auditor General of India (CAG) की रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के किसान कल्याण के दावों को उजागर किया। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों कल्याण के लिए 5.31 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इनमें से 90%, यानी 4.79 करोड़ रुपए अफसरों ने लग्जरी गाड़ियां खरीदने में खर्च कर दिए। आपको बता दें राज्य इस समय विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और यह जानकारी गुरुवार को विधानसभा में पेश रिपोर्ट में दी गई।

अफसरों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य और जिला स्तर पर खाद के अग्रिम भंडारण की समीक्षा का जिम्मा अफसरों को सौंपा गया था, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे। इस कारण भंडारण का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका और सरकार को नुकसान उठाना पड़ा। भोपाल की अमरावत कला समिति में उर्वरक के स्टॉक में गड़बड़ी से सरकार को करीब 14 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं की गई।

शॉर्ट में समझें पूरी खबर

  1. किसान कल्याण के लिए 5.31 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।

  2. कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इनमें से 90% रकम अफसरों ने लग्जरी गाड़ियां खरीदने में खर्च की।

  3. 4.79 करोड़ रुपए का खर्च अफसरों की गाड़ियों पर हुआ।

  4. रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई, जिससे सरकार के दावों की पोल खुली।

किसानों के लिए जरूरी खाद की उपलब्धता में कमी

2017 से 2022 के बीच किसानों को जिस खाद की जरूरत थी, वह उपलब्ध नहीं हो पाई। इसके बजाय, जो खाद उपलब्ध थी, वही किसानों को दे दी गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत सैंपलिंग की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। 18 प्रयोगशालाओं की आवश्यकता थी, लेकिन केवल 6 प्रयोगशालाएं ही कार्यरत थीं, जिससे समय पर जांच नहीं हो पाई।

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वित्तीय असमानताएं

कैग की रिपोर्ट ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। सरकार ने 3.72 लाख करोड़ रुपए का बजट पारित किया। लेकिन खर्च सिर्फ 3.04 लाख करोड़ रुपए हुआ, जिससे 67 हजार 926 करोड़ रुपए वापस हो गए।

फिर भी, सरकार ने दो सप्लीमेंट्री बजट के जरिए 57 हजार 963 करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग की। आवश्यकता सिर्फ 28 हजार 885 करोड़ रुपए की थी। इस तरह 29 हजार 29 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया।

 इसके अलावा, 1 हजार 575 करोड़ रुपए का खर्च बिना कारण के पूंजीगत खर्च के रूप में दिखाया गया।

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इन विभागों में करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान

रिपोर्ट के अनुसार, खनन, वन और आबकारी विभागों में लगभग 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 2021-22 में 11 जिलों के 45 माइनिंग लीजधारियों ने अनुमत सीमा से अधिक खनन किया। इससे राज्य सरकार को 630.30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। आबकारी विभाग में करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह नुकसान वित्तीय स्थिति का गलत आकलन और शराब स्टॉक में गड़बड़ी से हुआ। वन विभाग में नियमों का उल्लंघन हुआ, जिससे 65 करोड़ रुपए की वसूली नहीं हो पाई।

क्या है Comptroller and Auditor General of India (CAG)?

CAG, जिसे के रूप में जाना जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है जो सरकार के वित्तीय लेखों की लेखा परीक्षा और निगरानी करता है। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है, और इसे "सार्वजनिक धन का रक्षक" माना जाता है।

CAG भारत का "सार्वजनिक धन का रक्षक" है, जो सरकार के वित्तीय प्रबंधन की निगरानी करता है। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है, और यह सरकार की सभी आय और व्यय की लेखा परीक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद द्वारा स्वीकृत बजट के अनुसार धन का उपयोग हो और कोई गड़बड़ी न हो।

CAG इन क्षेत्रों पर काम करता है:

  • केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों की लेखा परीक्षा।
  • सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वायत्त निकायों और निगमों की वित्तीय जांच।
  • उन कंपनियों की लेखा परीक्षा जहां सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी 51% से अधिक है।
  • लोकपाल जैसे विशेष निकायों की लेखा परीक्षा।
  • छठी अनुसूची के तहत जिला और क्षेत्रीय परिषदों के लेखों की जांच।

CAG की रिपोर्टें राष्ट्रपति या राज्यपाल को सौंपी जाती हैं, जो इन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। इन रिपोर्टों की समीक्षा लोक लेखा समितियों और सार्वजनिक उपक्रम समितियों द्वारा की जाती है।

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