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Photograph: (the sootr)
किसानों के कर्ज का मुद्दा देश की राजनीति में हमेशा से एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हुए कर्ज माफी के बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद अक्सर ये वादे अधूरे रह जाते हैं। इस बार नागौर लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा था।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने दिया स्पष्ट बयान
हनुमान बेनीवाल के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास किसानों की कर्ज माफी का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है, जिसके तहत किसानों के बकाया कर्ज को माफ किया जाए। इस जवाब ने किसानों के लिए कर्ज माफी की उम्मीदों को तोड़ दिया है। अब सवाल यह है कि किसानों का कर्ज माफ कैसे होगा?
किसानों की आत्महत्या पर भी उठे सवाल
कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याओं के बारे में पूछे गए सवाल पर वित्त मंत्री ने बताया कि एनसीआरबी (National Crime Records Bureau) अपनी रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्याओं के कारणों का खुलासा नहीं करता। इसके बजाय, रिपोर्ट में आत्महत्याओं के आंकड़े तो दिए जाते हैं, लेकिन कृषि कर्ज की वजह से आत्महत्या करने वाले किसानों का अलग से उल्लेख नहीं होता।
केंद्र सरकार की नीति पर सवाल
केंद्र सरकार का यह जवाब किसानों के कर्ज के मुद्दे पर न केवल एक असंगत बयान है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार के पास इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। हालांकि भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी वादों में किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन अब ऐसा लगता है कि यह सिर्फ एक चुनावी वादा था, जिसे सत्ता में आने के बाद भुला दिया गया। इससे स्पष्ट है कि सरकार की कोई कर्ज माफी नीति नहीं है। क्या किसानों का कर्ज माफ हो पाएगा?
किसानों पर कर्ज का बोझ
देश में किसानों पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। देशभर के बैंकों में किसानों के 17 करोड़ 62 लाख 96 हजार बैंक खाते हैं, जिनमें 28.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज बकाया है। राजस्थान में किसानों का कर्ज 1.87 लाख करोड़ रुपए के आसपास है, जिससे यह राज्य कर्ज के मामले में देश में छठे स्थान पर है।
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कर्ज के बोझ के साथ जीवन
किसानों के ऊपर बढ़ते कर्ज की मार के कारण आत्महत्या की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। इन घटनाओं से न केवल कृषि क्षेत्र की बदहाली झलकती है, बल्कि किसानों की स्थिति भी गंभीर होती जा रही है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों के पास इस समस्या का समाधान खोजने के लिए एक स्थायी और प्रभावी योजना होनी चाहिए, जिससे किसानों को राहत मिल सके।
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