नींदड़ के किसान ने खुद को जंजीरों में जकड़ खाटूश्यामजी की पदयात्रा शुरू की, सरकार को चेताया

राजस्थान में जयपुर जिले के नींदड़ गांव के किसान बंशीधर शर्मा ने खाटूश्यामजी में जंजीरों में जकड़कर सरकार को संदेश दिया। हम गुलाम नहीं, लेकिन सिस्टम ने मजबूर कर दिया है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के नींदड़ गांव के किसान बंशीधर शर्मा ने सरकार के खिलाफ अपने किसान आंदोलन के विरोध को एक नया मोड़ दिया है। उन्होंने अपनी जमीन बचाने के लिए 248 दिनों से चल रहे आंदोलन में अब एक भावुक कदम उठाया। बंशीधर ने खुद को जंजीरों में जकड़कर खाटूश्यामजी की ओर पदयात्रा शुरू की। उनका कहना है कि जब सरकार उनकी बात नहीं सुन रही, तो वे अब बाबा श्याम के दरबार में जाकर न्याय की प्रार्थना करेंगे।

1350 बीघा जमीन का अधिग्रहण और किसान

बंशीधर शर्मा और उनके साथी किसानों का विरोध 1350 बीघा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ है। सरकार के आवासीय योजना के तहत यह जमीन ली जा रही है। किसानों का कहना है कि अगर यह जमीन चली गई, तो उनका सब कुछ खत्म हो जाएगा। न खेती रहेगी, ना मवेशियों के लिए चारा मिलेगा। बंशीधर ने बताया कि पिछले आठ महीने से वे और उनके साथी धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं आया है। अहम बात यह भी है कि जंजीरों में जकड़ा किसान भी सरकार की आंखें नहीं खोल पा रहा है।

जंजीरों में खुद को क्यों जकड़ा?

बंशीधर ने खुद को जंजीरों में जकड़ने का कदम इसलिए उठाया, ताकि यह संदेश जाए कि किसान अब गुलाम नहीं हैं। सिस्टम ने उन्हें मजबूरी की बेड़ियों में बांध दिया है। उनका कहना है कि अब उनका आखिरी सहारा बाबा श्याम हैं, इसलिए उन्होंने रींगस से खाटूधाम तक की 17 किमी लंबी पदयात्रा शुरू की है। इस यात्रा में बंशीधर अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके साथ पांच और किसान भी शामिल हैं, जो अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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किसानों के आरोप और सरकार की चुप्पी

किसानों का आरोप है कि उन्हें बिना सहमति के नोटिस दिए गए हैं, मुआवजा तय नहीं किया गया और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। इसके बावजूद, सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। किसानों के संघर्ष को देखते हुए उनकी उम्मीद अब बाबा श्याम के दरबार पर टिक गई है।

FAQ

1. बंशीधर शर्मा ने खुद को जंजीरों में क्यों जकड़ा?
बंशीधर शर्मा ने सरकार और समाज को यह संदेश देने के लिए खुद को जंजीरों में जकड़ा कि किसान अब गुलाम नहीं हैं, बल्कि सिस्टम ने उन्हें मजबूरी की बेड़ियों में बांध दिया है।
2. किसान किस कारण से विरोध कर रहे हैं?
किसान 1350 बीघा जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, जो सरकार के आवासीय योजना के तहत ली जा रही है। उनका कहना है कि यह जमीन चली जाने से उनकी खेती और मवेशियों के लिए चारा दोनों खत्म हो जाएंगे।
3. क्या सरकार ने किसानों के विरोध पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
किसानों के आरोपों के बावजूद सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है, और उनका संघर्ष अभी भी जारी है।

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