BHOPAL. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ( High Court ) की इंदौर बेंच ने धार भोजशाला ( Bhojshala ) में ASI सर्वे के आदेश दिए हैं। भोजशाला में सर्वे कराने की मांग 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' ( Hindu Front for Justice ) की तरफ से की गई थी। ये एक ट्रस्ट है, जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रजिस्टर्ड है। इस ट्रस्ट ने हिंदुओं की आस्था के केंद्र रहे ऐतिहासिक मंदिरों के मामलों को अदालत में चुनौती दी है। इसी ट्रस्ट में शामिल अधिवक्ता हरिशंकर जैन और इनके बेटे विष्णु शंकर जैन की जोड़ी फिलहाल देशभर में पिछले 12 साल से भोजशाला-ज्ञानवापी जैसे करीब 110 केस लड़ रहे हैं।
'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' ट्रस्ट में शामिल है पिता पुत्र
'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' ( Hindu Front for Justice ) और हरिशंकर जैन-विष्णुशंकर जैन ( Harishankar Jain-Vishnushankar Jain ) ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (Shri Ram Janmabhoomi Temple ) मामले की भी पैरवी की थी। इसके अलावा ऐसे 110 मामले हैं, जो उनकी तरफ से अदालतों में दर्ज किए हैं। ये सभी ऐतिहासिक विवादों से जुड़े हैं। इनमें धार का भोजशाला-कमाल मौलाना का विवाद भी शामिल है। हरिशंकर बताते हैं कि इसके अलावा ऐसे कई मामलों पर अब भी काम जारी है। इसके लिए कई हिंदूवादी संगठन जमीन पर काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा मध्यप्रदेश में भोजशाला जैसे कम से कम पांच मामले अभी और खुलने वाले हैं। जल्दी ही उन पर काम शुरू किया जाएगा।
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भोजशाला और ज्ञानवापी जैसे 110
अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर की जोड़ी पूरे देश में पिछले 12 सालों से भोजशाला और ज्ञानवापी जैसे करीब 110 मामलों को कोर्ट में लड़ने के लिए एक मुहिम चला रखी है । इनमें मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि, वाराणसी में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी, कुतुब मीनार-विष्णु स्तंभ और ताजमहल को हिंदू मंदिर बताने वाले इतिहास के सबसे जटिल विवादित मामले शामिल हैं। हरिशंकर जैन कहते है कि मध्यप्रदेश में भोजशाला जैसे पांच और मामले हैं, जिन पर काम किया जा रहा है।
हिंदू महासभा के अधिवक्ता हैं हरिशंकर जैन
अधिवक्ता हरिशंकर जैन कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि मामले में 32 साल तक मैं हिंदू महासभा का वकील रहा। उस मामले की तैयारी के दौरान मैंने मंदिर-मस्जिद से जुड़े कानून, वेद-शास्त्र, इतिहास और पुरातत्व का गहरा अध्ययन किया। तब मुझे समझ आया कि कानूनी रास्तों से मंदिरों के अवैध कब्जे हटाए जा सकते हैं। वे कहते हैं कि मैंने मंदिर-मस्जिद से जुड़े कानून, वेद-शास्त्र, इतिहास और पुरातत्व का गहरा अध्ययन किया। तब मुझे समझ आया कि कानूनी रास्तों से मंदिरों के अवैध कब्जे हटाए जा सकते हैं।
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मां ने पिलाई थी धार्मिकता की घुट्टीः हरिशंकर जैन
हरिशंकर जैन बताते हैं कि उनके पिता नेमचंद जैन बेहद बौद्धिक और सेक्युलर विचारों के व्यक्ति थे, लेकिन उनकी मां विभावती जैन, वाराणसी की थीं और वैष्णव परंपरा को मानती थीं। वे भगवान राम की अनन्य भक्त थीं। वे कहते हैं कि उनका जन्म 8वें महीने में हुआ था, इसलिए बचपन में थोड़ा कमजोर भी थे। ऐसे में 10 वर्ष की उम्र तक उनकी पढ़ाई घर में ही मां के संरक्षण में हुई। उसी दौरान उनकी मां ने रामायण, पुराणों का अध्ययन कराया। वे उन्हें विदेशी आक्रमण के दौरान हुए अत्याचार की कहानियां भी सुनाया करती थीं।
क्या कहती हैं एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय में एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री का कहना है कि ट्रस्ट के जरिए वकीलों का समूह पूरे भारत में हिंदुओं की मदद करता है। इस संगठन ने देशभर की अदालतों में हिंदुओं के सम्मान की सुरक्षा के लिए मामले दायर किए हैं। इन मामलों की पैरवी हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन करते हैं वो भी निशुल्क।