आईआईटी जेईई की तैयारी कराने वाली FIIT JEE कोचिंग की अभिभावकों और बच्चों के साथ की गई धोखाधड़ी पर आखिरकर 12 जुलाई को इंदौर पुलिस ने केस दर्ज किया था। इसमें 67 पालकों ने लिखित शिकायत दी थी। लेकिन एक बार इंदौर में अपने दो सेंटर खोलते हुए पालकों और बच्चों को आकर्षित करने के लिए लंबा-चौड़ा दो पेज का (लाखों की कीमत का) विज्ञापन दे डाला है। इसमें कई ऐसे वादे किए जो गले नहीं उतरते हैं क्योंकि FIIT JEE घाटे में है। साथ ही अभी स्टॉफ को भी वेतन नहीं मिला है और ना ही धोखाधड़ी में उलझे पालकों को राशि लौटाई गई है।
यह किए वादे
कोचिंग ने इंदौर में अन्नपूर्णा और पलासिया में ब्रांच शुरू की है। इसके लिए विज्ञापन जारी कर दावा किया है कि वह 600 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप देने जा रही है। वहीं कैश स्कॉलरशिप 15 करोड़ रुपए की देंगे। इसके लिए FIIT JEE टैलेंट रिवॉर्ड एक्जाम लेगी।
करीब डेढ़ करोड़ नहीं दिए, पुलिस भी समझौते में इच्छुक
FIIT JEE ने इंदौर में अचानक अपने सेंटर बंद कर दिए थे, टीचर भी वेतन नहीं मिलने से चले गए थे। इसे लेकर 67 पालकों ने पुलिस को शिकायत की थी। इसके बाद कोचिंग के दिल्ली के मुख्य संचालक व मैनेजिंग डायरेक्टर दिनेश कुमार गोयल, फाइनेंस हेड राजीव बब्बर और एडमिनिस्ट्रेटिव हेड मनीष आनंद पर धोखाधड़ी की 420 धारा लगाई गई। बाद में कुल 101 पालक सामने आए जिनसे FIIT JEE ने करीब डेढ़ करोड़ रुपए लिया था। पुलिस ने भी कार्रवाई करने की जगह समझौते में अधिक रूचि दिखाई। पालकों और कोचिंग वालों की बात कराई, जिसमें 14 सितंबर को राशि की पहली किश्त लौटाने का वादा किया लेकिन कुछ नहीं मिला। उधर, यह लाखों का यह विज्ञापन जारी कर दिया है। वहीं अब वादा किया जा रहा है कि छुट्टियों के कारण देर हुई है, 19 सितंबर को पहली किश्त देंगे।
इनकी शिकायत पर हुआ था केस
अभिभावक तन्मय राजुकर, नीलेश खंडेलवाल, भूपेंद्र कुलकर्णी व अन्य की शिकायत पर यह केस हुआ था। FIIT JEE ने इंदौर में करीब 300 बच्चों से फीस लेकर एडमिशन दिया। यह राशि करीब 4 करोड़ रुपए आती है। लेकिन एक-एक कर अपने तीनों सेंटर बंद कर दिए। पालकों ने जनसुनवाई में यह शिकायत की थी। कलेक्टर आशीष सिंह ने कुछ दिन का समय कोचिंग संचालकों को दिया था वह मामला सुलझाकर बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करें या फीस दें, लेकिन इसके बाद भी कोचिंग सेंटर ने ध्यान नहीं दिया।
कलेक्टर तक गई थी शिकायत
कोचिंग ने मामला बिगड़ने और प्रशासन की कार्रवाई के बाद पालकों को एक एक्सेल शीट भेजकर तीन विकल्प दिए थे कि वह या तो बच्चे को दिल्ली शिफ्ट कर सकते हैं, या ऑनलाइन कोचिंग ले सकते हैं या फिर अप्रैल 2025 तक उन्हें रिफंड किया जा सकेगा। लेकिन यह विकल्प भी ऑफिशियल पत्राचार, ईमेल के जरिए नहीं किया और ना ही इस पर कहीं संस्थान की सील, साइन थे। तभी से यह पूरा मामला टालमटोली में चल रह है और पालक परेशान हैं।
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