इंदौर में लोकायुक्त ने नगर निगम में नियुक्ति पत्र देने के एवज में रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। इसमें आरोपी ने 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 5 हजार रूपए ले भी लिए थे। इसकी दूसरी किश्त लेने के लिए जैसे ही नगर निगम का ऑफिस अधीक्षक वर्ल्ड कप चौराहे के पास पहुंचा तो उसे लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया।
गौरतलब है कि नियुक्ति पत्र को लेकर नगर निगम में लगातार शिकायतें आ रही हैं। जनसुनवाई में भी निगमायुक्त शिवम वर्मा खुद कई बार शिकायतों पर कर्मचारियों को फटकार लगा चुके हैं। निगमकर्मी नियुक्ति पत्र देने को लेकर महीनों तक फाइल चलाते हैं।
यह है पूरा मामला
लोकायुक्त के कार्यवाहक उप पुलिस अधीक्षक आनंद चौहान, निरीक्षक राहुल गजभिये ने बताया कि संजय सिंगोलिया निवासी 38 चिटनीस का पुरा, लालाराम नगर इंदौर ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की थी। शिकायत में उसने बताया था कि वह वर्ष 2008 से जुलाई 2024 तक नगर निगम के झोन क्रमांक 11 और 18 में मस्टर ड्रेनेज कर्मी के रूप में कार्यरत था।
18 जुलाई 2024 को अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन के आदेश से उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया था। इसके बाद दिनांक 13 मई 2025 को उपायुक्त नगर निगम ने एक आदेश जारी कर उन्हें पुनः झोन क्रमांक 18 में ड्रेनेजकर्मी के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया।
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नियुक्ति पत्र के बदले मांगी रिश्वत
उन्होंने बताया कि जब संजय सिंगोलिया यह आदेश लेकर ऑफिस अधीक्षक संजय वेद के पास पहुंचे, तो अधीक्षक ने नियुक्ति के बदले 20,000 की रिश्वत मांगी। काफी निवेदन के बाद 15000 में बात तय हुई और 5000 उसी दिन ले लिए गए। बाकी 10000 में से 7000 बाद में देने पर ही नियुक्ति पत्र देने की बात कही गई।
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आरोप सही मिले, तब शुरू हुई ट्रैप की कार्रवाई
शिकायत की जांच में आरोप सही पाए जाने पर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय के निर्देश पर ट्रैप दल का गठन किया गया। योजना के तहत आरोपी को वर्ल्ड कप चौराहा पुल के नीचे बुलवाया गया, जहां उसने आवेदक से शेष 7000 लिए।
उसी समय ट्रैप दल ने नगर निगम इंदौर के झोन क्र. 18 में कार्यरत ऑफिस अधीक्षक संजय वेद को 7000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत कार्रवाई जारी है।
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कार्रवाई में शामिल ट्रैप दल
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