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जबलपुर के ग्राम मोहनिया में रविवार की दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब खेतों में खड़ी गेहूं की फसल में अचानक भीषण आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि किसानों के पास संभलने का भी समय नहीं मिला। देखते ही देखते लपटों ने करीब 40 एकड़ क्षेत्र में फैली फसल को अपनी चपेट में ले लिया। कुछ ही घंटों में लाखों रुपए की फसल राख में तब्दील हो गई।
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ग्रामीणों ने बुझाने की कोशिश की
जब खेतों से धुएं के गुबार और ऊंची लपटें उठती दिखाई दीं, तो ग्रामीणों ने अपने स्तर पर बाल्टियों और पाइपों की मदद से आग बुझाने की कोशिश शुरू की। महिलाएं, बुजुर्ग और युवा सभी मदद के लिए दौड़ पड़े। लेकिन आग की रफ्तार इतनी तेज थी कि किसी का प्रयास कारगर नहीं हो सका। आखिरकार, ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों को सूचना दी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। मझौली और सिहोरा से दमकल की कई गाड़ियां भेजी गईं, उन्होंने करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
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जबलपुर से पहुंचे वरिष्ठ अधिकारी
इस बड़े अग्निकांड की जानकारी मिलते ही जबलपुर से प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। खेतों में जली फसलें, झुलसे हुए पेड़-पौधे और दुखी किसानों को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है। आग के कारणों को लेकर फिलहाल स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। अंदाज़ यह है कि गर्मी के मौसम के कारण यह आग फैली है या फिर आग की शुरुआत किसी खेत में पराली जलाने से हुई हो सकती है।
क्या पराली जलाने से भड़की आग?
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले, 3 अप्रैल को जबलपुर की अनंतारा कॉलोनी फेस टू में भी पराली जलाने की घटना सामने आई थी। वहां खेत के मालिक शरद कनौजिया ने गेहूं की कटाई के बाद खेत में बची पराली को आग के हवाले कर दिया था। इससे कॉलोनी में घना धुआं फैल गया था, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। कॉलोनी वासियों की शिकायत पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए गोरा बाजार थाना पुलिस ने आरोपी किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यह घटना बताती है कि पराली जलाने की प्रवृत्ति अब एक गंभीर खतरा बन चुकी है, जिसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
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सपनों की फसल जल गई, किसान टूटे
मोहनिया गांव के जिन किसानों की मेहनत की फसल आग की भेंट चढ़ गई, उनके लिए यह घटना किसी सदमे से कम नहीं है। उन्होंने महीनों की मेहनत, पूंजी और उम्मीदें इन फसलों में लगाई थीं। लेकिन कुछ ही घंटों में सब कुछ जलकर खाक हो गया। कई किसानों की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब थी, और अब यह नुकसान उनकी रीढ़ तोड़ने जैसा है। कुछ किसानों ने बताया कि अब उन्हें अगली फसल बोने के लिए बीज और खाद के भी लाले पड़ जाएंगे।
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प्रशासन से मदद की उम्मीद, राहत की दरकार
किसानों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि इस अग्निकांड को प्राकृतिक आपदा मानते हुए उन्हें उचित मुआवजा और राहत सहायता दी जाए। साथ ही प्रभावित परिवारों को तत्काल अनाज, बीज और आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाए ताकि वे दोबारा खेती की दिशा में आगे बढ़ सकें।
सख्त नियम और जागरूकता ही बचाव का रास्ता
यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि खेतों में पराली जलाने जैसी लापरवाहियों से कितनी बड़ी आपदा खड़ी हो सकती है। प्रशासन मैं जब पर पराली जलाने के विरोध में आदेश निकाला था तो बड़ी संख्या में किसानों ने ही इसका विरोध किया था और कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन भी किया गया था, अब ऐसा लग रहा है कि पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू होना जरूरी है और यदि ऐसी घटनाएं पराली जलाने के कारण घटती हैं तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए। साथ ही फायर सेफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए ताकि ऐसी घटनाओं से समय रहते निपटा जा सके।
19 किसानों की 17 एकड़ फसल पर पड़ा असर
इस मामले में जबलपुर जिला जनसंपर्क के द्वारा देर रात एक बयान जारी किया गया जिसमें बताया गया कि आज मंझौली तहसील के अंतर्गत ग्राम मोहनिया एवं मंझौली में अज्ञात कारणों से खेतों में आग लग गई। इस आग से 19 किसानों की लगभग 17 एकड़ फसल में क्षति हुई है। फायर ब्रिगेड द्वारा आग पर काबू पा लिया गया है और मौके पर राजस्व अमले के द्वारा RBC के तहत प्रकरण तैयार कर लिए गए हैं।
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