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आयकर विभाग बाद सोमवार को वन विभाग ने भी बंडा से भाजपा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के ठिकाने पर सर्चिंग की। इस दौरान वन विभाग को राठौर के पास 45 विभिन्न वन्यजीवों की रजिस्टर्ड खालें और सींग मिले हैं। जिनमें बाघ, तेंदुआ, काला हिरण, चौसिंगा, सांभर और चिंकारा की खालें और सींग शामिल हैं। इसके अलावा, इन खालों और सींगों के साथ अन्य वन्य जीवों के अवशेष भी बरामद हुए हैं। हालांकि, वन विभाग ने पुष्टि की है कि इन सभी अवशेषों के वैधानिक दस्तावेज राठौर परिवार के पास मौजूद थे।
वन विभाग की जांच
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सर्च ऑपरेशन में उत्तर-दक्षिण वन मंडल, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व और सीसीएफ की टीम ने राठौर बंगला-1 सदर बाजार की जांच की। जांच सोमवार दोपहर 12:30 बजे से शुरू हुई थी। अधिकारियों के अनुसार, पुराने वन विभाग के नियमों के तहत रजिस्ट्री के आधार पर वन्य जीवों की खाल, सींग या अन्य अवशेष निजी आवासों में रखे जा सकते थे। आयकर विभाग द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, राठौर के बंगले में मगरमच्छ पाए गए थे। वन विभाग ने अब तक चार मगरमच्छों का रेस्क्यू किया है, और यह कार्रवाई गोपनीय तरीके से की जा रही है।
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बंगले के अंदर वन्यजीवों की खालें
राठौर के बंगले में स्थित डाइनिंग रूम की तस्वीरें सामने आईं हैं, जिनमें दीवारों पर बाघ की खालें और हिरणों के सींग टंगे हुए हैं। यह दृश्य किसी राजा-महाराजा के महल से कम नहीं है। पूर्व विधायक राठौर अपने अतिथियों का स्वागत इसी डाइनिंग रूम में करते थे। सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हुई हैं, जिनमें वन विभाग के कर्मचारी भी राठौर का स्वागत करते हुए नजर आ रहे हैं।
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तीन पीढ़ियों से वन्य जीवों के पालन का इतिहास
जानकारी के अनुसार, राठौर परिवार के बंगले पर तीन पीढ़ियों से वन्य जीवों को पाला जा रहा था। बंगले के अंदर एक छोटा सा चिड़ियाघर भी था। जिसमें मगरमच्छों के अलावा अन्य वन्य प्राणी भी रखे गए थे। साथ ही, वहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षी भी पाले गए थे। यह स्थान पहले सार्वजनिक था। जहां कोई भी शहरवासी आ-जा सकता था, लेकिन आयकर विभाग के सर्वे के बाद अब बंगले में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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हरवंश सिंह राठौर का राजनीतिक इतिहास
हरवंश सिंह राठौर भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री हरनाम सिंह राठौर के पुत्र हैं। उन्होंने 2013 से 2018 तक बंडा विधानसभा सीट से विधायक के रूप में अपनी सेवा दी। हालांकि, 2018 में वह कांग्रेस के उम्मीदवार तरवर सिंह लोधी से चुनाव हार गए थे और 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। इसके अलावा, वह दो बार जिला पंचायत के अध्यक्ष भी रहे हैं और भाजपा के बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं। उनके दादा दुलीचंद राठौर के समय से ही राठौर परिवार में वन्य जीवों के प्रति एक गहरी रुचि रही है।
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