/sootr/media/media_files/2025/10/07/former-president-anil-mishra-post-dr-bhimrao-ambedkar-gwalior-crime-branch-case-2025-10-07-11-14-02.jpg)
ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी थीं। वहीं, इस मामले को लेकर जूनियर अधिवक्ता और दलित समाज के संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। साथ ही, संगठनों ने पूर्व अध्यक्ष पर कार्रवाई की भी मांग की थी।
अनिल मिश्रा की विवादित टिप्पणी ने मचाई हलचल
ये खबर भी पढ़िए...ग्वालियर हाईकोर्ट में अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर वकील करेंगे आंदोलनग्वालियर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अनिल मिश्रा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। मिश्रा ने अपने बयान में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में कहा कि वह अंबेडकर को नहीं मानते और उनके योगदान को झूठा बताया। उन्होंने कहा था, मैंने जितना पढ़ा है, अंबेडकर कहीं कुछ नहीं हैं। अंबेडकर अंग्रेजों के एजेंट थे और उनका संविधान से कोई संबंध नहीं था। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इस पर विवाद पैदा हो गया।
जूनियर अधिवक्ताओं ने की थी कार्रवाई की मांग
इस टिप्पणी के बाद जूनियर अधिवक्ताओं और दलित समाज संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। साथ ही, ग्वालियर पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी। इन संगठनों ने प्रशासन से मामले में शीघ्र न्याय की उम्मीद जताई और क्राइम ब्रांच को आवेदन भी भेजा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए, ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने अनिल मिश्रा को पहले नोटिस भेजा था और बाद में मामला दर्ज किया।
पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा की खबर को पांच पॉइंट में समझें...
|
प्रशासन पर जातिगत भेदभाव के लगे आरोप
रक्षक मोर्चा के संयोजक अमित दुबे ने इस मामले को लेकर प्रशासन पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह एफआईआर अनुसूचित जाति और ओबीसी महासभा के 17-18 नेताओं के दबाव में की गई है, जो सरकार पर दबाव बना रहे थे। रक्षक मोर्चा ने इसे संविधान के विपरीत बताते हुए समानता के अधिकारों का उल्लंघन भी बताया।
HC परिसर में अंबेडकर प्रतिमा को लेकर विवाद
यह पूरा मामला ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा हुआ है। इस मुद्दे पर जूनियर और सीनियर अधिवक्ताओं के बीच पहले भी तनाव और झड़पें हो चुकी हैं। इसी विवाद के बीच, पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने अपनी विवादित टिप्पणी सोशल मीडिया पर की थी। इसने स्थिति को और तूल दे दिया।
समाज में कार्यवाही को लेकर मतभेद
इस विवाद ने न केवल ग्वालियर बल्कि पूरे प्रदेश में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। जहां कुछ लोग इस कार्यवाही को सही मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं। इस विवाद ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या प्रशासन को इस तरह के विवादों में हस्तक्षेप करना चाहिए, खासकर तब जब यह विषय संवेदनशील और जातिगत मुद्दों से जुड़ा हो।