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ग्वालियर में क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने एक फर्जी पुलिस गैंग का पर्दाफाश किया है। इस गैंग के सदस्य खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों से धोखाधड़ी करने में लगे थे। बुधवार, 01 अक्टूबर की रात को फर्जी टीआई, दो फर्जी कॉन्स्टेबल और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से फर्जी नियुक्ति पत्र (Fake Appointment Letters) और पहचान पत्र भी बरामद किए गए। इन आरोपियों का मकसद हाइवे पर RTO (Regional Transport Office) का स्क्वाड बनकर अवैध वसूली (Illegal Collection) करना था, लेकिन क्राइम ब्रांच ने समय रहते इन्हें पकड़ लिया।
वसूली के लिए बना रहे थे फर्जी दस्तावेज
यह मामला तब सामने आया, जब वैभव पाल (Vaibhav Pal) नामक एक ऑनलाइन शॉप संचालक ने इसकी सूचना दी। उन्होंने बताया कि एक युवक, शिवम चतुर्वेदी (Shivam Chaturvedi), जो खुद को एसपी ऑफिस में पदस्थ टीआई (TI) बताता था, उनके चाचा मुकेश पाल की ऑनलाइन दुकान से संपर्क कर अवैध तरीके से नियुक्ति पत्र (Appointment Letters) बनवाने की मांग कर रहा था। वैभव ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने तुरंत कार्रवाई की।
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गिरफ्तारी के बाद खुलासा
बुधवार को जब शिवम और उसके साथी एक और नियुक्ति पत्र बनवाने पहुंचे, तो ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में शिवम चतुर्वेदी (Shivam Chaturvedi), पवन यादव (Pawan Yadav), नीरज यादव (Neeraj Yadav) और रविंद्र यादव (Ravindra Yadav) शामिल थे। ये सभी सागर (Sagar) के रहने वाले हैं और करीब दो माह पहले ग्वालियर आए थे। वे बेरोजगार युवकों को पुलिस में नौकरी दिलवाने का झांसा देते थे और इसके बदले पैसे वसूलते थे।
ग्वालियर फर्जी पुलिस गैंग वाली खबर को एक नजर में समझें...
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पुलिस में नौकरी दिलवाने का झांसा
आरोपियों ने अब तक 20 से ज्यादा लोगों से पैसे लेकर लगभग 25 लाख रुपए की वसूली की थी। इन पैसों से उन्होंने फर्जी पुलिस वर्दी (Fake Police Uniform), जूते, स्टार और गाड़ी खरीदी थी। शिवम चतुर्वेदी इस गैंग का सरगना (Gang Leader) था और उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस साजिश को रचा था। इस गैंग ने एक स्कॉर्पियो गाड़ी भी खरीदी थी। इसमें लाल बत्ती और सायरन भी लगवाए थे।
रातों-रात वसूली करने की योजना
पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस से पूछताछ में बताया कि वे बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात को ही हाइवे पर RTO दल बनाकर अवैध वसूली करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही क्राइम ब्रांच ने उन्हें दबोच लिया। यह वसूली योजना उन लोगों से पैसे ऐंठने की थी, जो अपनी गाड़ियों के कागजात चेक करवाने आते थे।
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आरोपियों से जारी है पूछताछ
ग्वालियर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे पहले भी इस प्रकार की धोखाधड़ी (Fraud) में शामिल रहे हैं या नहीं। ग्वालियर के एसएसपी धर्मवीर सिंह (SSP Dharmvir Singh) ने कहा कि इस मामले की पूरी गंभीरता से जांच की जा रही है।
ग्वालियर से पहले भी आ चुके हैं इस तरह के मामले
ग्वालियर में फर्जी पुलिस और धोखाधड़ी के मामलों की यह एक लंबी श्रृंखला है, जो पहले भी कई बार सामने आ चुकी है।
मई 2025 में, राहुल नामक युवक को BSF की फर्जी वर्दी पहनकर घुमते हुए पकड़ा गया था।
जनवरी 2025 में, ग्वालियर व्यापार मेले में दो युवकों को फर्जी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की वर्दी पहने हुए पकड़ा गया था।
जुलाई 2025 में, ग्वालियर पुलिस ने मनोज नामक व्यक्ति को फर्जी CBI अधिकारी बनकर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
दिसंबर 2017 में, ग्वालियर में चार व्यक्तियों को पुलिस की वर्दी पहनकर नकली पुलिस स्टेशन चलाते हुए पकड़ा गया था।
2016 में, अंतरी थाने के फर्जी टीआई बनकर घूम रहे युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।