मुश्ताक मंसूरी@खंडवा
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में रविवार का दिन एक बार फिर नर्मदा नदी में हुए हादसों के नाम रहा। अलग-अलग घाटों पर डूबने की दो घटनाओं ने तीर्थ नगरी की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ही दिन में एक युवक की दर्दनाक मौत और एक का लापता हो जाने से श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
पहली घटना: अस्थियां विसर्जन के दौरान हुआ हादसा
महाराष्ट्र के मालेगांव नासिक जिले से आए 32 वर्षीय कृष्णा पवार, अपने परिवार के दो अन्य युवकों के साथ नर्मदा-कावेरी संगम घाट पर अस्थियां विसर्जन के लिए पहुंचे थे। जैसे ही वे नदी में उतरे, तीनों डूबने लगे। स्थानीय नाविकों और घाट पर मौजूद फोटोग्राफरों ने दो युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन कृष्णा पवार गहरे पानी में समा गए। अब तक उनकी तलाश गोताखोरों द्वारा की जा रही है, लेकिन वे अभी तक लापता हैं।
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दूसरी घटना: ब्रह्मपुरी घाट पर स्नान के दौरान युवक की मौत
वहीं दूसरी घटना ओंकारेश्वर बांध के सामने ब्रह्मपुरीघाट पर घटी, जहां 25 वर्षीय अनिल मीणा, जो जयपुर की एक फाइनेंस कंपनी में कार्यरत थे, स्नान करते समय गहरे पानी में चले गए और डूब गए। स्थानीय नाविकों ने उन्हें बाहर निकाला और तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टर रवि वर्मा ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
श्रद्धालुओं और स्थानीयों का फूटा गुस्सा
इन दोनों घटनाओं के बाद घाटों की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर लोग बेहद आक्रोशित नजर आए। श्रद्धालु और स्थानीय लोग कह रहे हैं कि ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर देश के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में से एक है। यहां लाखों लोग नर्मदा स्नान करने आते हैं, लेकिन घाटों पर सुरक्षा की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। न लाइफगार्ड हैं, न चेतावनी बोर्ड, न ही बैरिकेडिंग। यह लापरवाही और भी कई जिंदगियां लील सकती है।
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श्रद्धालु बोले, घाटों पर तैनात हों गोताखोर
ओंकारेश्वर तीर्थ स्थल पर देश के अलग-अलग क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। प्रयागराज की कविता मिश्रा ने कहा कि इतने बड़े तीर्थ स्थल पर न तो गोताखोर हैं न रेस्क्यू बोट। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इधर स्थानीय लोगों ने बताया कि घाटों पर लाइफ जैकेट है, न संकेतक बोर्ड न ही निगरानी दल, आए दिन यहां हादसे होते रहते हैं। मध्य प्रदेश
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