डेढ़ माह से अटकी श्रमोदय विद्यालय के मेस के भुगतान में पांच करोड़ की हेराफेरी की जांच

श्रमोदय विद्यालयों में मेस चलाने वाली कंपनियां हेराफेरी की शिकायत करके थक चुकी हैं। गड़बड़झाले की जड़ें श्रमोदय विद्यालयों की अकाउंट शाखा से लेकर तीनों संभागों के संयुक्त संचालक कार्यालयों तक फैली होने की आशंका के बावजूद जांच आगे नहीं बढ़ी है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. श्रमोदय आवासीय विद्यालयों की मेस के पांच करोड़ रुपए के गबन की जांच डेढ़ महीन बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इन आवासीय विद्यालयों के संचालन पर करोड़ों रुपए खर्च करने वाले मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल को भी डीपीआई इसकी जानकारी नहीं दे रहा है। गड़बड़झाले की जड़ें श्रमोदय विद्यालयों की अकाउंट शाखा से लेकर तीनों संभागों के संयुक्त संचालक कार्यालयों तक फैली होने की आशंका के बावजूद जांच आगे नहीं बढ़ी है।

डेढ़ माह में नहीं हो पाई अकाउंट शाखा की जांच

पांच करोड़ के फर्जीवाड़े की जांच में हो रही लेटलतीफी भी व्यवस्था पर सवाल उठा रही है। करोड़ों की हेराफेरी को लेकर कर्मकार मंडल डेढ़ माह से डीपीआई से जानकारी मांग रहा है लेकिन अधिकारी तथ्य उजागर करने से टालमटोल कर रहे हैं। इंदौर, भोपाल और जबलपुर के इन आवासीय विद्यालयों में मैस चलाने वाली कंपनियां भी डीपीआई, कर्मकार मंडल और श्रम विभाग से हेराफेरी की शिकायत करके थक चुकी हैं।

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भुगतान की जानकारी से उजागर गड़बड़ी

कर्मकार मंडल जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल और इंदौर में मजदूर- श्रमिक परिवार के बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय चलाता है। इनमें अनुबंध के माध्यम से मैस संचालित हैं। इंदौर और भोपाल श्रमोदय में मेस संचालन कनका फूड मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। जबकि जबलपुर श्रमोदय में के-स्टार फूड एंड हॉस्पिटेलिटी सर्विस मैस चला रही है। सितम्बर 2025 में कनका फूड मैनेजमेंट और के-स्टार फूड एंड हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज कंपनियों ने मप्र कर्मकार मंडल, डीपीआई और श्रम विभाग को पत्र भेजकर भुगतान नहीं होने की शिकायत की थी। जवाब में डीपीआई की ओर से दोनों कंपनियों को मासिक भुगतान का डिटेल उपलब्ध कराया गया। इसी से पांच करोड़ का गड़बड़झाला सामने आया। 

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अकाउंट डिटेल बदलने पर अधिकारी चुप

श्रमोदय विद्यालय इंदौर, भोपाल और जबलपुर ने दोनों कंपनियों को जो जानकारी भेजी थी उसमें पांच करोड़ रुपए का भुगतान दर्शाया गया था। श्रमोदय विद्यालयों से जिन बैंक खातों में भुगतान किया गया था वे दोनों कंपनियों के नामों से मिलते-जुलते लेकिन अलग थे। कंपनियों ने श्रमोदय विद्यालय और डीपीआई को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसी पत्र में कंपनियों की ओर से श्रमोदय विद्यालयों की अकाउंट शाखा और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए थे। जॉइंट डायरेक्टर स्तर पर जांच के लिए श्रमोदय विद्यालयों के प्राचार्य, पूर्व प्राचार्य और अकाउंट शाखा के कर्मचारियों को भी तलब किया जा चुका है। 

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कर्मकार मंडल से छिपाई जानकारी 

श्रमोदय विद्यालयों की मैस के पांच करोड़ के भुगतान में गड़बड़ी का मामला डीपीआई की जांच में अटका हुआ है। कंपनियां कर्मकार मंडल को 4 सितम्बर , 6 सितम्बर और 17 सितम्बर को तीन शिकायतें कर चुकी हैं। जिनके आधार पर मंडल ने 19 सितम्बर को पहली बार और 28 अक्टूबर को दूसरी बार ईमेल के जरिए पत्र भेजकर जानकारी मांगी है। मंडल के इन पत्रों पर डीपीआई ने चुप्पी साध रखी है। कर्मकार मंडल के सहायक सचिव ने डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता को ईमेल से पत्र भेजकर इस पूरे मामले की जानकारी मांगी है। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और श्रमोदय विद्यालयों के प्राचार्यों को भी ईमेल भेजा है। 

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अधिकृत व्यक्ति की भूमिका पर संदेह 

आवासीय स्कूल मेस के भुगतान में पांच करोड़ की गड़बड़ी के मामले में मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश पर जांच शुरू हो गई है। आयुक्त शिल्पा गुप्ता का कहना है श्रमोदय विद्यालयों से होने वाले भुगतान में सीधे तौर पर डीपीआई का कोई हस्तक्षेप नहीं है। केवल भुगतान में पारदर्शिता के लिए प्राचार्यों के साथ जॉइंट डायरेक्टर को अधिकृत किया गया है। उनके स्तर पर ही जांच कराई जा रही है। दोनों कंपनियां कई साल तक काम करती रही और उन्हें भुगतान भी हुआ है। कंपनियों की ओर से अधिकृत व्यक्ति के बिना अकाउंट में बदलाव संभव नहीं है। प्राथमिक स्तर पर इसी को लेकर संदेह है। जल्द ही जांच में सारी स्थिति सामने आ जाएगी। 

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