बिहार के बाद मध्यप्रदेश में फर्जी वोटर, 1600 से ज्यादा पते ऐसे जहां एक ही घर में 50 से ज्यादा वोटर रजिस्टर्ड

मध्य प्रदेश में फर्जी मतदाता रजिस्ट्रेशन के खुलासे के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग के जरिए पांच श्रेणियों में संदिग्ध पते चिह्नित किए गए हैं। इस पर जांच और सत्यापन का काम जारी है।

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Amresh Kushwaha
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मध्‍य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इसमें 1 हजार 696 पते ऐसे मिले हैं जहां एक ही घर में 50 से ज्यादा वोटर रजिस्टर्ड हैं। यह खुलासा राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के जरिए किया गया है। इस खुलासे ने राज्य की चुनावी प्रक्रिया और मतदाता सूची में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मुद्दा बिहार (Bihar) में हुए विवाद के बाद और भी प्रमुख हो गया है, जब वहां भी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगे थे।

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फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा

मध्यप्रदेश में हुए इस घोटाले की जानकारी तब मिली, जब राज्य निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव (By-elections) की तैयारी के तहत मतदाता सूची का डेटा अपडेट करवाया। इस दौरान एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) के सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया। साथ ही, मतदाता सूचियों का मिलान किया गया। इस मिलान के दौरान चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इसमें पाया गया कि 1 हजार 696 पते ऐसे हैं, जहां एक ही घर में 50 या उससे ज्यादा वोटर रजिस्टर्ड हैं।

इन पते में से 917 पते नगरीय निकाय क्षेत्रों (Urban Areas) से संबंधित हैं, जबकि बाकी पंचायतों (Panchayats) से जुड़ी हैं। सबसे अधिक फर्जी रजिस्ट्रेशन चंबल संभाग (Chambal Division) में पाए गए हैं, जहां नगर पालिकाओं और पंचायतों में एक ही घर में दर्जनों वोटर रजिस्टर्ड पाए गए।

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मध्यप्रदेश में फर्जी वोटर की खबर को पांच प्वाइंट में समझिए...

  • फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन: मध्यप्रदेश में 1,696 पते पर 50 या उससे अधिक वोटर रजिस्टर्ड होने का खुलासा हुआ है, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं।

  • सत्यापन प्रक्रिया: राज्य निर्वाचन आयोग ने इन संदेहास्पद पते पर फील्ड वेरिफिकेशन का आदेश दिया है और फर्जी नामों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

  • मुख्य कारण: फर्जी रजिस्ट्रेशन का मुख्य कारण चुनावी धांधली हो सकता है, जिससे चुनावी परिणामों को प्रभावित किया जा सकता है।

  • संदिग्ध पते: ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में सबसे अधिक संदिग्ध पते पाए गए हैं, जहां बड़ी संख्या में वोटर रजिस्टर्ड हैं।

  • आगे की प्रक्रिया: आयोग ने घर-घर जाकर सत्यापन करने, सॉफ्टवेयर की मदद से निगरानी रखने और पूरी पारदर्शिता के साथ जांच करने की योजना बनाई है।

कितने वोटर, कितने पते?

वोटर संख्यापते
11 से 20 वोटर7 लाख 95 हजार 545
21 से 30 वोटर67 हजार 741
31 से 40 वोटर9 हजार 533
41 से 50 वोटर2 हजार 354
50 से अधिक वोटर1 हजार 696

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सत्यापन के बाद हटाए जाएंगे नाम

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और इसे लेकर अपने अगले कदमों की घोषणा की है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन पते पर आवश्यकता से अधिक मतदाता रजिस्टर्ड हैं, उनकी फील्ड वेरिफिकेशन (Field Verification) कराई जाएगी। इसके बाद यदि यह साबित हो जाता है कि कोई फर्जी नाम मतदाता सूची में शामिल हैं, तो उन्हें सूची से हटा दिया जाएगा।

आयोग के सचिव, अभिषेक सिंह (Abhishek Singh) ने कहा, संदेहास्पद पते चिह्नित किए जा चुके हैं और सत्यापन के बाद नाम हटाए जाएंगे। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।

पहले पर ग्वालियर तो दूसरे पर इंदौर और तीसरे पर भोपाल

नगर निगम क्षेत्रसंदिग्ध पते
ग्वालियर नगर निगम16 हजार 426 पते
इंदौर नगर निगम15 हजार 293 पते
भोपाल नगर निगम13 हजार 122 पते
जबलपुर नगर निगम9 हजार 622 पते
उज्जैन नगर निगम5 हजार 472 पते
सतना नगर निगम2 हजार 642 पते
खंडवा नगर निगम2 हजार 352 पते
बुरहानपुर नगर निगम3 हजार 975 पते

क्यों हैं इतने फर्जी रजिस्ट्रेशन?

वोटर लिस्ट में फर्जी रजिस्ट्रेशन का मुख्य कारण चुनावी धांधली (Electoral Fraud) हो सकता है। ऐसे मामलों में लोग मतदाता सूची में बिना वास्तविक जानकारी के नाम दर्ज करवा सकते हैं ताकि वे चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकें। यह चुनावी प्रक्रियाओं में अनियमितता (Irregularities) का कारण बन सकता है और लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है।

विशेष रूप से, जब पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) या नगर निगम चुनाव (Municipal Elections) होते हैं, तो छोटी जगहों पर ऐसे फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा ज्यादा होता है। इससे चुनावी परिणामों पर गहरा असर पड़ सकता है।

जानें क्या होगा आगे?

राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह घर-घर जाकर फर्जी नामों का सत्यापन (Verification of Fake Names) करेगा। जिन्हें भी फर्जी पाया जाएगा, उन्हें चुनावी सूची से हटा दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

  • सर्वेक्षण और सत्यापन: आयोग ने स्वयं की टीमों का गठन किया है, जो घर-घर जाकर रजिस्टर्ड मतदाताओं के नामों का सत्यापन करेंगी।

  • स्वचालित निगरानी: एमपीएसईडीसी द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा, जो फर्जी रजिस्ट्रेशन का पता लगाने में मदद करेगा।

  • सूचना और कार्रवाई: निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब से हर पते पर रजिस्टर्ड मतदाता की जानकारी का पारदर्शी तरीके से सत्यापन किया जाएगा।

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