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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. रवीन्द्र भवन में गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शामिल हुए। इस अवसर पर सीएम मोहन यादव ने गौसंस्कृति और ग्रामीण जीवन के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण का 'गोपाल' रूप केवल नाम नहीं, एक जीवनशैली का प्रतीक है। सीएम ने कहा कि जो गाय पालता है वही सच्चा गोपाल है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब हम अपने मूल्यों से भटकते हैं, तो हमारी परंपराएं और देवी-देवता हमें सही राह पर लौटाते हैं। गौमाता और प्राकृतिक शक्ति के सम्मान से ही समाज में संतुलन बना रह सकता है।
क्या है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा, जिसे “अन्नकूट” भी कहा जाता है, हिन्दू‑धार्मिक पर्व है जो मुख्यतः शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे की कथा में कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक छोटी उंगली से उठाकर ब्रजवासियों व गौ‑माताओं को इंद्र के प्रलयकारी बरसात से बचाया था।
पूजा के अवसर पर गौ‑पालना (cow‑keeping) और प्राकृतिक खेती (organic farming) जैसे सामाजिक‑प्राकृतिक पहलुओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
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सीएम ने बताया, गोपाल कौन?
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि गोपाल वो है जो गाय पाले अर्थात गौ‑माता के पालन‑पोषण से वह व्यक्ति ‘गोपाल’ कहलाता है। उन्होंने कहा कि हम गलती‑से कृष्ण को ‘गोपाल’ कह देते हैं, पर असल में गोपाल वह है जो गाय‑पालन करता है। इस सम्बोधन में उन्होंने दूध‑उत्पादन (milk production) बढ़ाने और मध्य प्रदेश को दूध की राजधानी (dairy capital) बनाने के प्रयास को मुख्य प्राथमिकता दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ‑माता समान हमारी संस्कृति‑जीवन की महत्वपूर्ण धुरी है।
गौपालन और प्राकृतिक खेती का महत्व
गोपालन और प्राकृतिक खेती दोनों ही आज के समय में एक दूसरे से जुड़े हैं। सीएम ने कहा कि पिछले 40‑50 वर्षों में खेती में हम ‘उपज बढ़ाने’ के लिए एनपीके, यूरिया इत्यादि का बहुत उपयोग करते रहे। पर आज जब हम प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी फसल‑शक्ति अलग है। गौ‑माता तथा गोबर‑उपयोग‑के माध्यम से खेती‑सह‑पर्यावरण को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।
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गौ‑पालना से सामने आने वाले लाभ हैं‑
- दूध‑उत्पादन बढ़ना (milk production)
- गोबर‑उपयोग से कृषि में स्वावलंबन
- प्राकृतिक खेती की बढ़ती शक्ति जिससे भविष्य सुरक्षित
एमपी में गौ-माता से संबंधित योजनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश में गौ‑माता से सम्बंधित योजनाएं बनाई जा रही हैं और डेयरी क्षेत्र में भी प्रदेश तीसरे स्थान पर है। उनका कहना था की आज हमारा प्रयास है कि दूध‑उत्पादन में एमपी पहले नंबर का राज्य बने और जब भी दूध उत्पादन का नाम आए तो लोग एमपी को याद करें। उन्होंने कहा कि ‘वर्ष गाय‑संरक्षण एवं संवर्धन’ के रूप में माना गया है। गौशालाओं का निर्माण, गौ‑माता हेतु बजट वृद्धि, स्वावलंबी गौशालाओं की स्थापना‑ये सभी पहलें इस दृष्टि‑से हैं।
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उत्सव का सामाजिक‑संदेश
गोवर्धन पूजा का कोई सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि इसका संदेश है प्रकृति‑साथ, समुदाय‑साथ, मानव‑सहायता और सतत विकास‑का। जैसे कि कथा बताती है कि कृष्ण ने इंद्र के अहंकार का अंत किया और दिखाया कि साथी‑भक्ति और प्रकृति‑पर्यावरण की रक्षा में ही शक्ति निहित है।
इसलिए, आज जब सीएम ने इस अवसर पर गौ‑माता, प्राकृतिक खेती, दूध‑उत्पादन को जोड़ा है, तो यह सिर्फ कार्यक्रम नहीं बल्कि एक सामाजिक‑आंदोलन बन रहा है।
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दूध की राजधानी बनाने का सपना
सीएम डॉ मोहन यादव का संदेश स्पष्ट है‑ गौ‑पालना और प्राकृतिक खेती के माध्यम से ही मध्य प्रदेश को दूध की राजधानी बनाने का सपना सच होगा।
गोवर्धन पूजा जैसे पारंपरिक अवसर हमें सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि जिम्मेदारी का अहसास देते हैं‑ प्रकृति का सम्मान, गौ‑माता का पोषण और सामाजिक‑सुधार। यदि खेती और डेयरी दोनों को समाहित किया जाए, तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी, पशुपालन सुदृढ़ होगा और राज्य‑की‑छवि भी मजबूत बनती जाएगी।