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BHOPAL. मध्य प्रदेश में सरकारी सिस्टम की नई चूक सामने आना तय है। दिवाली पर सौगात देने की घोषणाओं के बीच सरकार अपने 24 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को वेतन देना ही भूल गई है।
जिन कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिला है उनमें 20 हजार रोजगार सहायक हैं और 4 हजार संविदा पर काम करने वाले हैं। इन्हें सरकार से मामूली वेतन मिलता है, लेकिन सरकार ये राशि भी उन्हें चार माह से नियमित नहीं दे पा रही है। दिवाली के त्योहार को चार दिन ही शेष रह गए हैं और वेतन न मिलने से इन कर्मचारियों में उदासी छाई हुई है।
करोड़ों खर्च, लेकिन नहीं दे रहे वेतन
मध्य प्रदेश सरकार की ज्यादातर व्यवस्था संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों पर टिकी हुई है। इसके बावजूद सबसे ज्यादा शोषण इन्हीं कर्मचारियों का हो रहा है। इन अस्थायी कर्मचारियों से अधिकारी काम पर जमकर लेते हैं, लेकिन हर माह वेतन देना भूल जाते हैं।
प्रदेश की पंचायतों में काम करने वाले 20 हजार से ज्यादा रोजगार सहायक बीते चार माह से बिना वेतन काम करने मजबूर हैं। सरकार इनके जरिए करोड़ों रुपए के काम करा रही है लेकिन उसके पास इन अस्थायी कर्मचारियों को मामूली सा वेतन देने बजट नहीं है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी भी बजट का रोना रोते हुए रोजगार सहायकों का वेतन रोके बैठे हैं।
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पीएस को दिलाई वेतन की याद
दिवाली से पहले सरकार कर्मचारियों को लुभाने के लिए सौगात देने की घोषणाएं कर रही है। तगड़ा वेतन पाने वाले और ऊंचे ओहदों पर बैठे अधिकारी बोनस का इंतजार कर रहे हैं। वहीं संविदा, आउटसोर्स और रोजगार सहायक जैसे कर्मचारी चार- चार माह से वेतन के लिए तरस रहे हैं।
मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौड़ ने प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के नाम मांग पत्र सौंपा है। राठौड़ ने चार माह से वेतन न मिलने के कारण अस्थायी कर्मचारियों के सामने आ रही दिक्कतों पर भी उनका ध्यान आकर्षित कराया है।
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वेतन ने मिलने पर होगा आंदोलन
महासंघ ने कर्मचारियों की समस्याओं को उठाते हुए सरकार से दिवाली से पहले पूरा वेतन देने की मांग की है। इसके साथ ही रोजगार सहायक और संविदा कर्मचारियों को वेतन ने मिलने की स्थिति में राजधानी भोपाल में आंदोलन करने की चेतावनी भी अधिकारियों को दी गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की बेरुखी के कारण चार माह से वेतन अटकने पर भी कर्मचारियों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है अधिकारी दिवाली के त्योहार पर घर सजा रहे हैं और उनकी स्थिति बच्चों को कपड़े खरीदकर देने की भी नहीं है।