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Indore. इंदौर के गुटखा किंग किशोर वाधवानी की मुश्किल में फंस गए हैं। दरअसल डायरेक्टर जनरल जीएसटी इंटेलीजेंस ने जून 2020 में उनके ठिकानों पर छापे मारे थे। इसके बाद जीएसटी और कस्टम ड्यूटी डिमांड की गई थी। अब इस डिमांड पर अंतिम फैसला होने वाला है। वाधवानी ने इस फैसले को रोकने के लिए बार-बार याचिकाएं लगाईं। हाईकोर्ट ने अब इस पर तल्ख आदेश जारी किया है।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह लिखा
हाईकोर्ट इंदौर जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी की बेंच ने वाधवानी ने कंपनी मेसर्स एलोरा टोबेको कंपनी लिमिटेड के जरिए लगाई याचिका को बेवजह माना।
आदेश में कहा गया कि उनकी यह याचिका पूर्व में लगी याचिका, उस पर हुए आदेश और फिर सुप्रीम कोर्ट में हुए आदेश के बाद लगाई गई है, ताकि मामले में विभाग द्वारा फैसला नहीं दिया जा सके। यह याचिका दुर्भावनापूर्ण इरादे से लगाई गई है। इसलिए याचिकाकर्ता पर दो लाख की कास्ट लगाई जाती है और याचिका को खारिज किया जाता है।
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151 और 76 करोड़ के नोटिस पर होना है अंतिम फैसला
डायरेक्टर जनरल जीएसटी इंटेलीजेंस ने बताया कि मई-जून 2020 में पान मसाला और तंबाकू उत्पाद निर्माताओं की जांच की गई। इस जांच में 200 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई। इसमें मास्टरमाइंड के रूप में किशोर वाधवानी सामने आए। इसके बाद 12 से 15 जून 2020 के दौरान कई ठिकानों पर छापे मारे गए। इसमें भारी अनियमितताएं मिली।
याचिकाकर्ता कंपनी में पाया गया कि यह हर दिन 12 हजार सिगरेट बनाते थे, लेकिन इसे केवल ढाई-तीन हजार ही दिखाते थे। बाकी माल जीएसटी चोरी करके बेचा जाता था। इस संबंध में उन्हें जीएसटी चोरी का 151 करोड़ का और फिर एक्साइज ड्यूटी चोरी का 76 करोड़ का नोटिस दिया गया।
कुल 22 लोगों को टैक्स चोरी को लेकर नोटिस जारी किए गए। बाकी मामलों में विभाग फैसला दे चुका है और इस कंपनी को लेकर भी अंतिम फैसला होना है, लेकिन इनके द्वारा याचिका लगाए जाने से यह रुका हुआ है क्योंकि हाईकोर्ट के मई 2025 में दिए अंतरिम आदेश के तहत इसे रोका गया है।
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वाधवानी इस तरह करा रहे मामले को धीमे
वाधवानी ने इस संबंध में पहले याचिका 12326/24 लगाई थी। जिसमें मांग थी कि उनके सभी मूल दस्तावेज विभाग ने छापे में जब्त कर लिए हैं, उन्हें जो नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके बचाव के लिए उनके पास दस्तावेज ही नहीं है। उन्हें साथ ही 76 अधिकारियों से भी पूछताछ करने दी जाए, जो उनकी फैक्ट्री के बाहर निरीक्षण पर ड्यूटी पर थे।
मामला सुप्रीम कोर्ट गया और याचिकाकर्ता को हल्की राहत मिली। इसके बाद विभाग ने 11 अधिकारियों का उनसे क्रास एक्जामिनेशन कराया और जरूरी दस्तावेज भी दिए। लेकिन इसके बाद फिर वाधवानी ने नई याचिका दायर कर दी और इसमें फिर नए सिरे से दस्तावेज दिलाने की मांग की। इस पर हाईकोर्ट ने मई 2025 में याचिका के निराकरण तक एक्शन पर रोक लगा दी। इसी के चलते विभाग का फैसाल भी रूक गया। लेकिन अभी सभी पक्षो को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इसमें अंतिम फैसला दिया और वाधवानी की कंपनी की याचिका खारिज कर कास्ट लगा दी।