इकलौती फूड सेफ्टी लैब को एनएबीएल एक्रीडीशन नहीं दिला पा रही सरकार

मध्‍य प्रदेश में नागरिकों की सेहत की सुरक्षा के सरकारी दावे कोरे साबित हो रहे हैं। भोपाल स्थित खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला चार माह से एनएबीएल एक्रीडीशन से वंचित है।

author-image
Sanjay Sharma
एडिट
New Update
Lab

BHOPAL. मध्य प्रदेश में नागरिकों की सेहत की सुरक्षा के सरकारी दावे कोरे साबित हो रहे हैं। सरकार एक ओर नागरिकों की सेहत को लेकर कैंपेन चला रही है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का अमला जिला और तहसील स्तर पर खाद्य सामग्रियों की सैंपलिंग कर रहा है लेकिन इन नमूनों की जांच करने वाली इकलौती सरकारी लैब में काम ही ठप पड़ा है।

जी हां, मध्य प्रदेश सरकार की इकलौती खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला चार माह से एनएबीएल एक्रीडीशन से वंचित है। फूड सेफ्टी एक्ट के तहत बिना एनएबीएल यानी राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड की मान्यता के बिना परीक्षण रिपोर्ट नहीं दी जा सकती। ऐसे में सरकार की प्रयोगशाला में बीते चार माह में 4000 से ज्यादा सैंपल जमा हो गए हैं।

चार माह से एनएबीएल एक्रीडीशन हासिल न कर पाने की लापरवाही छिपाने के लिए अब प्रयोगशाला प्रबंधन ने निजी लैब में सैंपल टेस्टिंग शुरू कराई है। जबकि इससे लाखों रुपए खर्च हो रहा है। इसके बावजूद अधिकारी इस गंभीर लापरवाही को नजरअंदाज कर रहे हैं।

नवीनीकरण कराना भूले

मध्य प्रदेश के नागरिकों को दूषित खाद्य सामग्री से बचाया जा सके इसके लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। विभाग की ओर से खाद्य सामग्री की लगातार सैंपलिंग कराई जाती है जिसकी जांच सरकार की भोपाल स्थित इकलौती प्रयोगशाला में होती है।

यहां से जारी होने वाली रिपोर्ट के आधार पर दूषित सामग्री पाए जाने पर दुकानदार और निर्माता पर कार्रवाई तय की जाती है। खाद्य सामग्री के सैंपलों के परीक्षण और उसकी जांच रिपोर्ट जारी करने खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत एनएबीएल सर्टिफिकेट अनिवार्य है। राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता के बिनाजांच रिपोर्ट वैधानिक रूप से मान्य नहीं होती।

ये खबर भी पढ़िए :

वीडियो कांफ्रेंसिंग से अधिकारी जानेंगे ई-अटेंडेंस ऐप की परेशानी

निजी लैब से जांच की मजबूरी

स्टेट फूड एंड ड्रग टेस्टिंग लैब को साल 2023 में एनएबीएल सर्टिफिकेट मिला था जिसकी अवधि दो साल की थी। मान्यता खत्म होने से पहले ही राज्य प्रयोगशाला को एनएबीएल को आवेदन करना था लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। नतीजा मई 2025 में मान्यता खत्म हो गई और सरकारी प्रयोगशाला से परीक्षण रिपोर्ट जारी करने का अधिकार छिन गया है।

मई 2025 से सरकार की इकलौती प्रयोगशाला बिना सर्टिफिकेट के चल रही है और यहां प्रदेश भर से आ रहे सैंपल परीक्षण के बिना जमा हो रहे हैं। खाद्य सामग्री के सैंपलों की जांच रिपोर्ट का अधिकार न होने के कारण परीक्षण रिपोर्ट के वैधानिक अस्तित्व पर भी सवाल उठ रहे हैं।

हालांकि इससे बचने के लिए राज्य प्रयोग शाला प्रबंधन ने निजी क्षेत्र की लैब से सैंपल टेस्ट कराना शुरू कर दिया है। यानी अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अब सरकारी खजाने को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि निजी लैब में सैंपल टेस्टिंग के लिए लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं।

ये खबर भी पढ़िए :

ESB एमपी शिक्षक वर्ग 2 के 10758 पदों का रिजल्ट अब किसी भी समय, आखिरी साइन बाकी

चार हजार सैंपल टेस्ट अटके

मध्य प्रदेश में सामान्य तौर पर हर माह 800 से ज्यादा सैंपल परीक्षण के लिए राज्य खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला पहुंचते हैं। इस लिहाज से एनएबीएल सर्टिफिकेट खत्म होने के बाद यानी मई 2025 से 16 सितम्बर 2025 के बीच ही 4000 से ज्यादा सैंपल जमा हो गए हैं। इन सैंपलों के अलावा लैब में पिछले महीनों के वे सैंपल भी अटके हुए हैं जिनका परीक्षण नहीं हो पाया था।

वैसे भी राज्य प्रयोगशाला में हर माह 800 सैंपलों की जांच करने के लिए एक्सपर्ट नहीं हैं। इस वजह से अब राज्य प्रयोगशाला से सैंपलों का भार कम करने और अपनी गलती को छिपाने निजी प्रयोगशालों को सैंपल भेजकर परीक्षण रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। 

ये खबर भी पढ़िए :

The Sootr की खबर का असरः भोपाल कारतूस केस में कलेक्टर का बड़ा एक्शन, 30 और लोगों के लाइसेंस निलंबित

देर से आई ऑडिट की सुध

एनएबीएल देशभर की खाद्य सुरक्षा प्रयोगशालाओं को मान्यता प्रदान करता है। इसके लिए सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं को कड़े मानक और परीक्षणों से गुजरना होता है। एनएबीएल अपने ऑडिट की रिपोर्ट में पास होने के बाद ही प्रयोगशाला को मान्यता देकर एक्रीडीशन सर्टिफिकेट जारी करता है।

मई में मान्यता खत्म होने के बाद राज्य प्रयोगशाला द्वारा एक्रीडीशन के लिए आवेदन किया गया था। आवेदन पर एनएबीएल द्वारा ऑडिट किया गया इस प्रक्रिया में भी काफी समय लगा। ऑडिट में कुछ कमियां सामने आने से एक्रीडीशन अटक गया और अब तक राज्य प्रयोगशाला एनएबीएल सर्टिफिकेट से वंचित है।

ये खबर भी पढ़िए :

टीचर ट्रांसफर मामला : पहले आदेश को माना, अब सीनियरिटी की कर रहे मांग, HC ने खारिज की याचिका

मिलावटखोर हुए बेखौफ 

त्यौहारी सीजन से ठीक पहले एनएबीएल सर्टिफिकेट खत्म होने के कारण राज्य प्रयोगशाला में खाद्य सामग्रियों के सैंपलों का परीक्षण बंद हो गया है। इस वजह से अगस्त में रक्षाबंधन से लेकर अब दिवाली की तैयारी के बीच मिलावटखोरों की मौज है। बाजार में इसी सीजन में खाद्य सामग्री की सबसे ज्यादा बिक्री होती है।

हालांकि मैदानी स्तर पर सैंपलिंग पर रोक नहीं है लेकिन प्रयोगशाला की बेबसी के चलते जमकर मिलावटखोरी हो रही है। वहीं मिलावटी खाद्य सामग्री की बिक्री से नागरिकों की सेहत को नुकसान हो रहा है।

मिलावटखोरी सर्टिफिकेट अनिवार्य खाद्य सुरक्षा एक्ट लैब भोपाल मध्य प्रदेश एनएबीएल एक्रीडीशन
Advertisment