टीचर ट्रांसफर मामला : पहले आदेश को माना, अब सीनियरिटी की कर रहे मांग, HC ने खारिज की याचिका

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि अभ्यर्थी विभागीय आदेश को मानकर कार्यवाही करता है, तो बाद में सीनियरिटी और वेतन के लाभ की मांग नहीं की जा सकती। यह फैसला ट्राइबल विभाग से DPI ट्रांसफर किए गए शिक्षकों पर लागू होगा।

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Neel Tiwari
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 टीचर ट्रांसफर मामला : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जबलपुर की सिंगल बेंच ने एक अहम फैसले में साफ कर दिया है कि अगर कोई अभ्यर्थी विभागीय आदेश को मान लेता है और उसके अनुसार कार्यवाही भी कर देता है, तो बाद में उसी आदेश के खिलाफ जाकर सीनियरिटी और पिछली सेवा के लाभ की मांग नहीं कर सकता।

ट्राइबल से DPI ट्रांसफर प्राथमिक शिक्षकों का मामला

मामला ईडब्ल्यूएस और ओबीसी वर्ग के उन अभ्यर्थियों से जुड़ा है जिन्होंने प्राथमिक शिक्षक पद के लिए चयन प्रक्रिया में उच्च मेरिट अंक हासिल किए थे। उन्हें पहले ट्रायबल डेवलपमेंट विभाग में पदस्थापना मिली, जबकि उनकी योग्यता के आधार पर उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग (डीपीआई) में नियुक्त होना चाहिए था।

इस विसंगति के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और अदालत ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग में समायोजित करने का आदेश दिया।

लेकिन विभाग ने 12 जून 2025 को आदेश जारी किया, जिसमें साफ शर्त रखी गई कि ट्रायबल विभाग से डीपीआई में आने वाले शिक्षकों को पहले इस्तीफा देना होगा और उसके बाद नई नियुक्ति दी जाएगी। अभ्यर्थियों ने यह शर्त मानकर इस्तीफा भी दिया और नई पोस्टिंग स्वीकार कर ली।

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100% सैलरी और सीनियरिटी की मांग

इस्तीफे और नई नियुक्ति के बाद इन अभ्यर्थियों को फ्रेश अपॉइंटमेंट माना गया। उन्हें शुरुआती एक वर्ष के लिए सिर्फ 70% वेतन दिया गया और पिछली सेवा की वरिष्ठता (सीनियरिटी) भी समाप्त हो गई। इसी को लेकर अभ्यर्थियों ने एक नई याचिका दायर की और मांग की कि उनकी पहली सेवा अवधि को भी गिना जाए तथा उनकी वरिष्ठता और वेतन लाभ बरकरार रखे जाएं।

अब नहीं कर सकते सीनियरिटी की मांग

जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच ने सुनवाई में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने स्वयं विभागीय आदेश को स्वीकार किया और उसी के अनुसार कार्यवाही की। ऐसे में अब वे उसी आदेश को चुनौती नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें सच में आपत्ति थी, तो उन्हें पहले डिवीजन बेंच के आदेश की व्याख्या या संशोधन के लिए याचिका लगानी चाहिए थी, न कि आदेश को मानने के बाद सीनियरिटी की मांग करनी चाहिए थी।

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जॉइनिंग लेने वाले शिक्षकों पर पड़ेगा असर

इस फैसले से यह साफ हो गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में अगर अभ्यर्थी विभागीय शर्तों को मानकर कदम उठाते हैं, तो बाद में उन्हीं शर्तों को चुनौती देकर लाभ नहीं पा सकते। यह फैसला उन कई अभ्यर्थियों पर असर डाल सकता है जो ट्रायबल विभाग से स्कूल शिक्षा विभाग में स्थानांतरित हुए हैं और अब अपनी पुरानी सेवा और वरिष्ठता बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

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