एमपी में विभागों की बेरुखी के बवंडर में हवा हो गया सरकार का दिव्यांग भर्ती अभियान

एमपी में सरकारी भर्ती और आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ रहा है। दिव्यांगों के लिए 36 हजार पद खाली हैं। सरकार के आदेश के बावजूद एक साल में 2700 पदों पर भर्ती हुई। अधिकारियों की लापरवाही और रवैया समस्या का कारण हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. सरकारी भर्ती और आरक्षण को लेकर जारी विवादों के बीच एमपी में सरकार की बड़ी चूक सामने आई है। प्रदेश में दिव्यांगजनों की भर्तियों के विशेष अभियान में विभाग ही रोड़ा अटका रहे हैं। दिव्यांगों को नौकरियों में हक दिलाने के लिए सरकार भले ही संवेदनशील है। लेकिन अधिकारियों का रवैया संजीदा नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि विशेष भर्ती अभियान केवल खेल बनकर रह गया है। 

प्रदेश में विभिन्न विभागों में दिव्यांग कोटे के 36 हजार पद खाली हैं। सरकार के आदेश के बावजूद बीते एक साल में केवल 2700 पदों पर ही भर्ती हो पाई है। विभागों में भर्ती निकलने के बावजूद कभी दिव्यांगजनों की नियुक्तियां टाली जा रही हैं। दिव्यांगों की नियुक्ति के संबंध में हाईकोर्ट और सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पूरी तरह स्पष्ट हैं।दिव्यांगजनों को सरकारी नौकरियों से दूर रखने की कोशिशें अधिकारियों की निष्ठुर नीयत को उजागर कर रही हैं।

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कोर्ट और जीएडी की आड़ में अटका रहे रोड़ा

मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों को 6 प्रतिशत पद सुरक्षित हैं। इसके बावजूद सालों तक विभागों में दिव्यांगों को मौका नहीं मिलने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिव्यांग कोटे में सुरक्षित पदों पर भर्तियों का विशेष अभियान साल 2024 में शुरू हुआ था। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागों को आदेश जारी किए गए थे।

आदेश में विभागों को 5 अप्रैल से एक माह में दिव्यांगों के लिए सुरक्षित पदों पर भर्ती नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश था। भर्ती प्रक्रिया 20 जून 2024 तक पूरी करनी थी। जीएडी के आदेश के बावजूद विभागों ने न तो नोटिफिकेशन जारी किया, न भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ी। जिन विभागों ने नोटिफिकेशन जारी किए, वे भी भर्ती में अटके हुए हैं।

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चल रहा भर्ती निकालने और रद्द करने का खेल

दिव्यांग कोटे में सुरक्षित पदों पर भर्तियों में विभाग के अधिकारी रोड़े अटकाते आ रहे हैं। अप्रैल 2024 में विशेष अभियान शुरू हुआ। अधिकारियों ने हाईकोर्ट के फैसले और दिव्यांगों की शिकायतें आधार बनाई। इस वजह से कुछ विभागों ने भर्ती जारी नहीं की। कुछ विभागों ने इंटरव्यू लिया, लेकिन परिणाम नहीं दिए। सुप्रिया यादव ने मकरोनिया नगर पालिका में सफाई संरक्षक के पद के लिए आवेदन किया। वरिष्ठता सूची में उनका नाम पहले नंबर पर था। वे 7 अक्टूबर 2024 को नगर पालिका पहुंची, लेकिन उन्हें टाल दिया गया। अब तक उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। इंदौर नगर निगम ने 306 पदों पर भर्ती निकाली। इंटरव्यू हुआ, लेकिन नियुक्ति अब तक अटकी है।

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हो रही जीएडी के निर्देशों की अनदेखी

 विभाग कैसे सरकार के आदेश, जीएडी की व्यवस्था का उल्लंघन कर रहे हैं। इस दिव्यांगजनों के विशेष भर्ती अभियान की स्थिति से समझा जा सकता है। प्रदेश के सरकारी विभाग हाईकोर्ट के जिस फैसले का हवाला देकर टालमटोल कर रहे हैं वह पूरी तरह स्पष्ट है।

यह फैसला इंदौर हाईकोर्ट बेंच में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर के न्यायालय द्वारा अभ्यर्थी सिद्धी पाल की याचिका पर फरवरी 2024 में सुनाया गया था। हाईकोर्ट बेंच ने एक साथ कई याचिकाओं को निपटारा करते हुए दिव्यांगता के अधिक प्रतिशत के आधार पर अभ्यर्थियों को भर्ती में प्राथमिकता देने का आदेश दिया था। 

वहीं मध्य प्रदेश में सरकारी विभागों की भर्ती के विज्ञापनों में जीएडी द्वारा साल 2018 में जारी निर्देशों की अनदेखी पर भी नाराजगी जताई थी। वहीं हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों के लिए सुरक्षित पदों पर जल्द भर्ती के निर्देश भी दिए थे लेकिन अधिकारियों ने आदेश के बाद भी गंभीरता नहीं दिखाई है। 

दिव्यांगता के प्रतिशत में भी पक्षपात 

अभ्यर्थियों का कहना है एक तो सरकार सालों से दिव्यांग कोटे के पदों पर भर्ती नहीं कर रही है। दूसरी ओर जब हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष अभियान शुरू किया गया तो उसमें भी अधिकारियों ने पक्षपात किया है। ज्यादातर विभाग और नगरीय निकायों ने भर्ती के दौरान दिव्यांगता के कम प्रतिशत वाले अभ्यर्थियों को मेरिट का हवाला देकर नियुक्ति दी है। 

जीएडी के 2018 में जारी पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि दिव्यांगता के अधिक प्रतिशत वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि अधिक दिव्यांगता प्रतिशत वाले अभ्यर्थी शैक्षणिक योग्यता में कम प्रतिशत वालों से स्पर्धा नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में इसी मंशा के साथ सरकार को निर्देशित किया था। विभागों ने न जीएडी के आदेश को माना न हाईकोर्ट की मंशा को तवज्जो दे रहे हैं। 

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6 फीसदी आरक्षण फिर भी नहीं मिला हक

दिव्यांग भर्ती अभियान: मार्च 2024 में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने दिव्यांगों की अनदेखी पर सवाल उठाया। सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने जवाब दिया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में 5711 दिव्यांगों के लिए सुरक्षित पद खाली हैं। प्रदेश के विभिन्न विभागों में 37 हजार से ज्यादा पद सुरक्षित हैं, जिनमें से 21 हजार खाली हैं। 

इन पदों को भरने के लिए सरकार ने विशेष भर्ती अभियान शुरू किया। अब तक 9000 पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। कई विभाग विज्ञापन जारी करने या आवेदन और इंटरव्यू के बाद भी भर्ती नहीं कर पाए। मध्य प्रदेश में स्पर्श पोर्टल पर 9 लाख से ज्यादा दिव्यांग पंजीकृत हैं, जिनमें 6 फीसदी 54 हजार दिव्यांगों के लिए पद खाली हैं। फिर भी सरकार भर्ती नहीं निकाल पा रही है।

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