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जिस जनप्रतिनिधि पर क्षेत्र के विकास का जिम्मा था, उसी के परिवार पर अब पर्यावरण को रौंदकर नियम विरुद्ध कॉलोनी बसाने के गंभीर आरोप हैं। बीजेपी के पूर्व विधायक राकेश गिरी के रिश्तेदारों ने टीकमगढ़ में ग्रीन जोन की जमीन को पाटकर उस पर पक्के मकान खड़े कर दिए,और प्रशासन देखता रह गया।
जिला मुख्यालय टीकमगढ़ से सटे ग्राम कारी में करीब 15 एकड़ ग्रीन ज़ोन, जिसे 2031 मास्टरप्लान में जलाशय व पौधारोपण हेतु चिन्हित किया गया था । अब यह “द मैनेजिंग गिरी ग्रुप ऑफ कंपनीज़” के नाम पर कॉलोनी में तब्दील हो चुकी है। कंपनी के कर्ताधर्ताओं में पूर्व विधायक के भाई यशराज गिरी और उनके मामा चंद्रप्रकाश गिरी शामिल हैं।
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हाईकोर्ट की सख्त रुख, 4 सप्ताह में रिपोर्ट तलब
मामला तब उजागर हुआ जब हाईकोर्ट ने इस ज़मीन पर हो रहे निर्माण को लेकर सख्ती दिखाई और चार सप्ताह में रिपोर्ट तलब की। हाईकोर्ट की सख्त रुख सामने आते ही जिम्मेदारों मे हड़कंप मच गया। न्यायालय ने प्रकरण में पार्टी बनाए गए आयुक्त ग्राम एवं नगर निवेश को मामले में एक्शन लेने के लिए कहा है।
इसके बाद ही ग्राम एवं नगर निवेश संचालनालय ने गत 6 जून को द मैनेजिंग गिरी ग्रुप ऑफ कंपनीज व इसके संचालकों के नाम नोटिस जारी किए। विभाग ने इन्हें भोपाल आकर अपना पक्ष रखने दस दिन की मोहलत दी,लेकिन बिल्डर कंपनी ने इसकी कोई परवाह नहीं करते हुए कोई जवाब नहीं दिया।
'जिसके नाम आदेश,वही करेगा जांच'
हैरत की बात यह कि न्यायालय की सख्ती के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी जांच का जिम्मा एक दूसरे पर थोप रहे हैं। आरोपियों को नोटिस जारी करने की औपचारिकता पूरी करने वाले टी एंड सी पी के संयुक्त संचालक विष्णु खरे ने दो टूक अंदाज में कहा-कोर्ट ने जिसके नाम आदेश जारी किया,वह जांच करेगा। ' हम'तो इसकी जांच नहीं कर रहे हैं।
नोटिस दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा अब हर बात फोन पर नहीं हो सकती,जबकि पूर्व में उनसे इसी मामले में व्यक्तिगत संपर्क किया गया तब भी उन्होंने बेपरवाह अंदाज में कहा-अभी तो संबंधित कंपनी ने कोई पक्ष रखा नहीं।
अधिकारी का यह अंदाज इस बात का संकेत है कि विभाग की कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन में कोई अधिक रुचि नहीं है। वहीं टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने कहा कि यह प्रकरण लैंड यूज से जुड़ा है। जो ग्राम एवं नगर निवेश के दायरे में आता है। संभवतया वही इसकी जांच कर रहा होगा।
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याचिकाकर्ता निराश,अवमानना केस की चेतावनी
जिम्मेदार अधिकारियों के इस रवैए से प्रकरण के याचिकाकर्ता गोवर्धन लाल कोरी खासे निराश हैं। उन्होंने द सूत्र से कहा कि चार सप्ताह छोड़िए,अदालत का आदेश आए दो माह बीतने को है। अब तक किसी भी विभाग की ओर से उन्हें,उनका पक्ष जानने नहीं बुलाया गया। कोरी ने कहा कि अधिकारियों का रवैया इसी तरह रहा तो आगे वह सरकार के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का केस दर्ज कराएंगे।
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नाम बीपीएल सूची में,सौदा लाखों का !
इसी प्रकरण का एक ओर हैरत पैदा करने वाला पहलू भी है। बिल्डर कंपनी के प्रमुख संचालकों में एक चंद्रप्रकाश गिरी का नाम सरकार की अति गरीबों की सूची में शामिल है। वह सरकार से सामाजिक सुरक्षा वृद्धावस्था पेंशन भी पा रहे हैं और मुफ्त का राशन भी लेते रहे। बीपीएल श्रेणी में रहते हुए उन्होंने महेश साहू से 98 लाख की जमीन खरीद ली। विधानसभा में यह मामला उठने पर घबराए चंद्रप्रकाश ने बीपीएल सूची से अपना नाम कटवाने का असफल जतन भी किया।
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पुलिस ने आयकर के पाले में गेंद डाली
अब इसे गिरी बंधुओं का रुतबा कहें या सियासी पकड़ कि पुलिस भी इस गड़बड़ी पर कार्रवाई से बच रही है। एक शिकायत पर इलाके के एसडीओपी राहुल कटरे ने चंद्रप्रकाश प्रकरण की जांच की। उसे दोषी भी पाया,लेकिन आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया। बल्कि अपनी रिपोर्ट में उन्होंने जमीन सौदेबाजी में हुए लेनदेन की जांच आयकर विभाग से कराने की सिफारिश की,जबकि उनका अभिमत मांगा ही नहीं गया था।
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सदन में भी गूंजा मामला,विधायक भी हैरान
पुलिस और प्रशासन के इस रवैए से टीकमगढ़ के मौजूदा विधायक एवं कांग्रेस नेता यादवेंद्र सिंह बुंदेला भी हैरान हैं। वह कहते हैं,यह बिडंवना ही है,ग्रीन जोन में कालोनी बनाने का यह मामला उन्होंने तीन बार मध्य प्रदेश विधानसभा में उठाया। जवाब में पुलिस ने जांच की,संबंधित को दोषी भी पाया,लेकिन कार्रवाई करने से वह बचती रही। यही रवैया अन्य जिम्मेदार अफसरों का है। वह सवाल उठाते हैं,कालोनी रातोंरात तो बनी नहीं? बीते दो साल से लगातार वहां निर्माण हो रहा है।
मामले में पूर्व विधायक व उनके भाई यशराज से भी उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया,लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।