बेच डाली 60 एकड़ सरकारी जमीन, पेशी से बच रहे 3 IAS को लोकायुक्त ने दी कड़ी चेतावनी

मध्यप्रदेश में नौकरशाही प्रमुख जांच एजेंसियों को लेकर गंभीर नहीं है। जमीन घोटाले से जुड़े एक केस में अफसरों को तलब करने लोकायुक्त को कड़ा रुख अपनाना पड़ा।

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Ravi Awasthi
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रूपेश जैन@टीकमगढ़/भोपाल।

जिले में करीब साठ एकड़ सरकारी जमीन तहसीलदार व पटवारी ने मिलीभगत कर 27 लोगों को बेच दी। प्रकरण की जांच कर रहे लोकायुक्त ने विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल, सागर कमिश्नर डॉ. वीरेंद्र रावत और टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक ​श्रोत्रिय के नाम समंस जारी कर 4 जुलाई को पेशी पर तलब किया। 

लोकायुक्त हुए नाराज, लिखा- तो वारंट जारी करना पड़ेगा

खास बात यह कि उक्त तीनों अफसरों का इस प्रकरण से सीधा कोई संबंध नहीं। सबकुछ करा-धरा तत्कालीन अधिकारियों का है,लेकिन मौजूदा पदस्थापना के चलते तीनों अफसर लोकायुक्त के निशाने पर आ गए। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है, लोकायुक्त के विधि सलाहकार चंद्रप्रकाश शर्मा के हस्ताक्षर से जारी समंस की भाषा काफी सख्त है।

इसमें लिखा गया कि संबंधित अफसरों ने पेशी की उपेक्षा की तो अगली बार वारंट जारी कर तलब किया जाएगा। इसकी वजह भी है, दरअसल, प्रकरण में लोकायुक्त की ओर से इससे पहले चार बार नोटिस जारी कर पेशी पर हाजिर होने के लिए कहा गया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी एक बार भी लोकायुक्त कार्यालय नहीं पहुंचे। इस उपेक्षा ने लोकायुक्त को नाराज कर दिया। इसके बाद ही तल्ख अंदाज में समंस जारी हुए।

NOTICE

करा-धरा किसी और का, तलब कोई और

सरकारी अफसरों व मैदानी अमले की मिलीभगत से जमीन की सौदेबाजी बीते साल मार्च में की गई। तब आईएएस अवधेश शर्मा टीकमगढ़ कलेक्टर थे। वर्तमान में वह स्कूल शिक्षा विभाग का दायित्व संभाल रहे हैं। जिम्मेदार, संबंधित एसडीएम भारती मिश्रा यथावत, तहसीलदार मंगलेश्वर सिंह जिला मुख्यालय राजस्व कार्यालय में कार्यरत हैं। जबकि सौदेबाजी में मुख्य किरदार निभाने वाले पटवारी प्रीतम लाल को दो दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं सागर​ कमिश्नर डॉ. वीरेंद्र रावत व प्रमुख सचिव विवेक ​पोरवाल सौदेबाजी व लोकायुक्त की ओर से जारी नोटिसों को लेकर अंजान बने रहे। 

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तहसीलदार, पटवारी की मिलीभगत सामने आई

मामला खरगापुर तहसील के बल्देवगढ़ विकासखंड का है। यहां एक सहकारी समिति को 70 के दशक में साठ एकड़ सरकारी जमीन लीज पर आवंटित की गई थी। इसमें मुख्य ​भूमिका इलाके के पटवारी व तहसीलदार रही। इलाके के पूर्व एसडीएम विजय कुमार सेन के फर्जी दस्तखत से पहले सरकारी जमीन को दस्तावेजों में निजी किया गया। इसके बाद इसे 27अलग-अलग लोगों के नाम ट्रांसफर कर राजस्व अभिलेख में भी दर्ज कर दिया गया। 

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दो पैग शराब में बिक गई 9 करोड़ में जमीन

मामले का खुलासा एक वायरल वीडियो से हुआ। इसमें पटवारी प्रीतमलाल भू-माफिया से जुड़े लोगों के साथ शराब पीता हुआ दिखाई दे रहा है। वीडियो में पटवारी को यह कहते हुए भी सुना गया कि जमीन नामांतरण में एसडीएम,कलेक्टर के आदेश की कोई जरूरत नहीं। वहीं उसके साथ मयकश लोग एकजाई जमीन नामां​तरित करने की बात कर रहे हैं। 

एफआईआर सिर्फ पटवारी के खिलाफ,गिरफ्तार

मामले का खुलासा होने पर जिम्मेदार अफसरों ने चंद माह पहले सिर्फ पटवारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया। वहीं,लोकायुक्त संगठन की ओर से समंस जारी होने पर दो दिन पहले उसकी गिरफ्तारी हुई। अन्य जवाबदेह अफसरों की जिम्मेदारी भी अब तक तय नहीं हुई। हालांकि जमीन का नामांतरण निरस्त किया जा चुका है। इधर,पटवारी की पत्नी ने मौजूदा कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय को पत्र सौंपकर प्रकरण में अन्य लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाया है। 

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          निवाड़ी में भी माफिया को लाभ पहुंचाने बदला खसरा

टीकमगढ़ की ही तरह निवाड़ी में भी भू-माफिया सक्रिय है। यहां भी सरकारी अमले की सांठगांठ से आदिवासियों की जमीन हड़पने का खेल जारी है। सूत्रों के अनुसार,मामला ओरछा तहसील के एक आदिवासी किसान की जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी से जुड़ा है।

लोकायुक्त संगठन में दर्ज शिकायत में मामले में संभागीय मुख्यालय के एक अपर आयुक्त,जिले के तत्कालीन कलेक्टर,तहसीलदार व पटवारी पर मिलीभगत के आरोप लगे। इसमें कहा गया कि किस तरह माफिया को लाभ पहुंचाने की गरज से अफसरों व मैदानी अमले ने जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी की।

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आवेदन पत्र ने खोली गठबंधन की पोल

उत्तरप्रदेश के लक्ष्मनपुरा निवासी गंसी सौर की लगभग साढ़े पांच एकड़ पट्टे की जमीन महेश सौर नामक व्यक्ति को 1991 में रजिस्ट्री के माध्यम से दी गई थी। यह दो खसरों में दर्ज रही। महेश सौर ने 33 वर्षों तक इस जमीन का नामांतरण नहीं कराया, न आगे ही कभी इसके लिए आवेदन ही दिया।

सागर राजस्व अपर आयुक्त भी जांच के दायरे में

बावजूद इसके मार्च 2024 में अपर कमिश्नर सागर  ने एक आदेश जारी कर एक अतिरिक्त खसरा नंबर को जोड़ते हुए दोनों खसरों की पूरी जमीन को इसमें मर्ज कर दिया। इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ, विशेष रूप से भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165(7)(ख) का।

गड़बड़ी उस वक्त उजागर हुई जब बीते साल मार्च में परिवर्तित खसरे की जमीन को बेचने के लिए एक आवेदन जिला कलेक्टर कार्यालय को मिला। एक आरटीआई एक्टिविस्ट ऋषभ जैन ने उक्त दोनों ही मामलों की शिकायत लोकायुक्त संगठन को की। निवाड़ी प्रकरण में भी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है। 

भोपाल लोकायुक्त पटवारी टीकमगढ़ आईएएस आरटीआई एक्टिविस्ट तहसीलदार