आमिर खान @ टीकमगढ़
अपराध की दुनिया में हनीट्रैप जैसे शब्दों का इस्तेमाल अक्सर संगठित गिरोहों द्वारा होता है, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। यहां पुलिस ही कथित तौर पर वर्दी में अपराधी बन गई। टीकमगढ़ जिले के एक थाना प्रभारी ने अपने रुतबे और वर्दी की आड़ में युवक को हनीट्रैप में फंसाने की साजिश रची। घटना का खुलासा तब हुआ, जब पीड़ित युवक के परिजनों ने प्रशासन के उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई।
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कैसे रची गई साजिश?
पीड़ित अंशुल यादव के परिजनों ने आरोप लगाया है कि देहात थाना पुलिस ने उन्हें एक हनीट्रैप मामले में फंसाने की साजिश रची। आरोप है कि पुलिस ने एक महिला के जरिए युवक को झूठे आरोपों में फंसाया और फिर उससे 3 लाख रुपए की मांग की। परिजनों के विरोध और वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाने पर मामला खुला। जांच में पाया गया कि थाना प्रभारी और कुछ अन्य पुलिसकर्मी इस षड्यंत्र में शामिल थे।
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खुद थाने का दरोगा निकला साजिशकर्ता
रिपोर्ट्स के अनुसार, थाना प्रभारी रवि गुप्ता और उनके सहयोगी प्रधान आरक्षक राहुल पटेरिया पर आरोप है कि उन्होंने एक महिला के जरिए युवक को झूठे हनीट्रैप मामले में फंसाने की योजना बनाई। पुलिस ने उस महिला का इस्तेमाल करके युवक को थाने बुलवाया। महिला के पति के साथ पुलिस पहले ही मिली हुई थी। युवक को वहां प्रताड़ित किया गया और उसे झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी गई।
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दबाव बनाने के लिए रिश्वत और धमकियां
परिजनों का कहना है कि पुलिस ने उनसे मोटी रकम की मांग की और ना देने पर मामले को और उलझाने की धमकी दी। पीड़ित पक्ष द्वारा इसका विरोध करने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की जांच करवाई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए।
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एसपी का सख्त कदम
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी मनीष सिंह मंडलोई ने थाना प्रभारी और प्रधान आरक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा, पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए है, ना कि किसी को प्रताड़ित करने के लिए। ऐसी हरकतों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या कहती है जनता?
इस घटना के बाद से इलाके में रोष व्याप्त है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर पुलिस ही अपराधियों की तरह काम करने लगे तो आम आदमी किस पर भरोसा करें? स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता इसे प्रशासनिक विफलता मान रहे हैं और मामले में पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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