BHOPAL. मध्यप्रदेश में बहुचर्चित हनीट्रैप का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है । दरअसल हनीट्रैप केस का मूल केस इंदौर के पलासिया थाने में 17 सितंबर 2019 को दर्ज किया गया था, और भोपाल में इसी से जुड़ा मानव तस्करी का केस 24 सितंबर 2019 को दर्ज हुआ था। पीड़िता ने सीआईडी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, कि आरोपी महिलाओं ने उसे रसूखदार लोगों के यहां भेजकर आपत्तिजनक वीडियो बनाए और उन लोगों से वसूली की गई। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने जल्द सुनवाई के निर्देश दिए थे, जिसके बाद आनन-फानन में तत्कालीन शिवराज सरकार ( Shivraj government ) ने SIT से मामले की जांच कराने का आदेश दिया था।
क्यों उठे SIT पर सवाल ?
SIT की जांच पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि साढ़े 3 साल से वह इस केस के सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर पाई है। हाल ही में पीड़िता और आरोपियों के बीच बातचीत को कोर्ट में साबित करने के लिए टेलीकॉम के नोडल अधिकारी की गवाही करानी थी, लेकिन उस दिन सरकारी वकील छुट्टी पर थीं। इससे नाराज कोर्ट ने साक्ष्य का अवसर ही खत्म कर दिया। यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसी से एसआईटी साबित कर सकती थी कि आरोपियों और पीड़िता के बीच पहचान थी और लंबी बातचीत होती थी। अहम बात ये है कि इतने वक्त में 105 पेशियां हुईं, लेकिन SIT महत्वपूर्ण गवाह तक पेश नहीं कर सकी।
SIT के रवैये से, पीड़िता ने बदला बयान !
जब SIT एक भी ब्यूरोक्रेट और नेता के नाम रिकॉर्ड में नहीं लिए। जिसका नतीजा ये हुआ कि पीड़िता ने खुद को आरोपियों से पहचानने से इनकार कर दिया। कानून के जानकारों का मानना है कि इतनी देरी की वजह से आरोपियों को फायदा मिल सकता है। आपको बताते चले कि पीड़िता ने कई प्रभावशाली लोगों के नाम पुलिस को बताए थे। एसआईटी 16 लोगों की गवाही करा चुकी है। 8 रसूखदारों को आरोपी बनाया है। इसका फैसला कोर्ट ने अंतरिम सुनवाई में करने का निर्णय लिया है। लेकिन, इस मामले में पीड़िता ने गवाही बदल दी और आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया।
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बदलते रहे SIT चीफ, आगे नहीं बढ़ी जांच
हनीट्रैप का मामला जब से SIT के पास आया है तब से लगातार SIT चीफ बदलते रहे, जिसका सीधा असर ये हुआ अच्छे से मामले की जांच नहीं की गई । साल 23 सितंबर 2019 को श्रीनिवास वर्मा SIT के चीफ बने। इसके बाद 24 सितंबर 2019 को संजीव शमी केवल 7 दिन तक के लिए SIT चीफ रहे । इसके बाद 1 अक्टूबर 2019 को राजेंद्र कुमार ने कमान संभाली। अगस्त 2020 में हट गए। कमलनाथ के भरोसेमंद माने जाते थे। इसके बाद 21 अगस्त 2020 विपिन माहेश्वरी को SIT की कमान तीन साल तक के लिए सौंपी गई, इस दौरान देरी और बढ़ी। हालांकि नवंबर 2023 में विपिन माहेश्वरी रिटायर हुए। इनके बाद आदर्श कटियार को नया एसआईटी चीफ की जिम्मेदारी दी गई है। साफ छवि के माने जाते हैं। चर्चा है कि अब हनीट्रैप केस में गति आएगी।
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