पीथमपुर वॉल्वो-आयशर की वीई कमर्शियल को 168 करोड़ की GST चोरी का नोटिस

वॉल्वो और आयशर की साझेदारी वाली वीई कमर्शियल व्हीकल्स को 168 करोड़ की जीएसटी चोरी का नोटिस मिला है। उज्जैन कमिशनरेट ने यह नोटिस भेजा है। इससे राहत पाने के लिए कंपनी हाईकोर्ट में भी पहुंची लेकिन राहत नहीं मिली है।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी आटो कंपनी वॉल्वो और आयशर के जाइंट एडवेंचर्स VECV (वीई कमर्शियल व्हीकल्स) पीथमपुर है। यह कंपनी अब GST चोरी में बुरी तरह उलझ गई है। टैक्स चोरी भी कोई छोटी-मोटी नहीं है। करोड़ों में हैं। इससे राहत पाने के लिए कंपनी अलग-अलग जगह गई। हाईकोर्ट में भी पहुंची लेकिन उसे राहत नहीं मिली है। 

168 करोड़ की जीएसटी चोरी

सेंट्रल जीएसटी उज्जैन ने कंपनी को 168 करोड़ 19 लाख 65 हजार 129 का नोटिस दिया। एडिशनल कमिशनर द्वारा जारी यह टैक्स नोटिस उज्जैन कमिशनरेट के अंतर्गत आता है। कंपनी ने इस बड़े नोटिस को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट इंदौर में याचिका लगाई थी।

मगर, हाल ही में आए कोर्ट के आदेश से कंपनी को बड़ा झटका लगा है। इंदौर हाईकोर्ट ने कंपनी की याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि कंपनी पहले उपलब्ध अन्य अपीलीय प्रावधानों का उपयोग करे। यह आदेश साफ करता है कि कंपनी को अब विभाग के पास ही अपील करनी होगी।

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जीएसटी चोरी भी इस तरह पकड़ी गई

दरअसल यह जीएसटी चोरी पकड़ने् की शुरुआत ग्वालियर आडिट विभाग के एक नोट से हुई। इसमें ऑडिट विभाग ने एक आपत्ति ली, जो जीएसटी विभाग के पास पहुंची। इसके बाद इसमें कंपनी के रिकार्ड खंगाले गए तो इसमें पहले साल 2017-18 के लिए गड़बड़ी निकली। कंपनी ने टैक्स को लेकर क्रेडिट, डेबिट नोट जारी किए थे।  लेकिन, इन्हें समय रहते हुए टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया गया। पहले इसमें करोड़ों की टैक्स चोरी की गफलत आई।

इसके बाद विभाग ने जनवरी 2025 में कंपनी से अगले साल के क्रेडिट, डेबिट नोट की जानकारी मांगी। यह रिकॉर्ड लेने के बाद जब इसकी कंपनी के रिटर्न से जांच की गई तो यह मामला और गंभीर निकला। इस जांच के बाद कंपनी के खिलाफ जून 2025 में विभाग ने 168.19 करोड़ रुपए का जीएसटी नोटिस थमा दिया। 

कंपनी सफाई में यह कह रही है

कंपनी ने इस नोटिस और हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया है। उनके अनुसार, यह पूरा मामला जीएसटी कानूनों की पेचीदगियों के कारण हुआ। कंपनी के अनुसार, उत्पाद पर टैक्स बढ़ने से डेबिट-क्रेडिट नोट जारी हुए थे। यह जानकारी जीएसटी रिटर्न में बाद में भरी गई थी, ऐसा कंपनी का दावा है। इनकम टैक्स जैसा जीएसटी में पुराने रिटर्न सुधारने का नियम नहीं है।

कंपनी ने कहा कि रिकॉर्ड मांगने पर कुछ भी छिपाया नहीं गया था। उनका स्पष्ट कहना है कि इस मामले में कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है। हालांकि, जीएसटी विभाग ने कंपनी के इन सभी जवाबों को खारिज कर दिया। विभाग अभी भी इसे टैक्स चोरी का गंभीर मामला ही मान रहा है। अब यह कानूनी लड़ाई अपीलीय प्राधिकरण के पास जाने की संभावना है।

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वॉल्वो-आयशर की वीई इतना टैक्स भरती है

आपको इस कंपनी के पीथमपुर प्लांट से ही हर साल भरे जाने वाले जीएसटी को सुनकर हैरानी होगी। कंपनी का साल 2024-25 का जीएसटी टैक्स 6 हजार करोड़ है। जी हां 6 हजार करोड़ का जीएसटी टैक्स कंपनी भर रही है।

साल 2017-18 में यह टैक्स 1323 करोड़, साल 2018-19 में 1924 करोड़ रुपए था। कंपनी मप्र में सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाली आटो कंपनी है। कंपनी का साल वित्तीय साल 2025 में टर्नओवर 23548 करोड़ रुपए रहा है और टैक्स के बाद नेट प्राफिट 1286 करोड़ रुपए रहा है।

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