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INDORE. इंदौर बीआरटीएस हटाने के आदेश फरवरी 2025 में होने के बाद भी बीआरटीएस नहीं हटा है। इसे लेकर इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ में एक दिसंबर (सोमवार) को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के आदेश पर कलेक्टर शिवम वर्मा और निगमायुक्त दिलीप यादव दोनों उपस्थित रहे। इंदौर में बीआरटीएस 11.70 किमी है।
अधिकारियों ने यह दिया जवाब
निगमायुक्त यादव ने बताया कि बीआरटीएस हटाने के लिए एजेंसी तय हो गई है। उन्हें 7 नवंबर को काम दे दिया गया है जो तीन माह में बीआरटीएस को हटाएगी। हटाने के बाद डिवाइडर बनाने के लिए एजेंसी तय करने का काम जारी है। वहीं बीआरटीएस की एक साइड 15 दिन में हटा दी जाएगी।
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हाईकोर्ट ने 15 दिन में मांगी रिपोर्ट
जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी ने अधिकारियों के पक्ष सुनने के बाद आज आदेश से 15 दिन में BRTS की एक साइड क्लियर करने के निर्देश दिए। साथ ही इस मामले में अधिवक्ताओं की एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। इसमें अधिवक्ता एनएस भाटी, कौस्तुभ पाठक, अजय राज गुप्ता, प्रद्युम्न किबे और जय शर्मा को नियुक्त किया।
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इन मुद्दों पर भी हुई बात
वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया ने अतिक्रमण, अवैध धार्मिक स्थल निर्माण, तेज लाउडस्पीकर और डीजे का मुद्दा उठाया। उन्होंने इंदौर के खतरनाक ट्रैफिक और कम पुलिसकर्मियों से हो रही परेशानी भी साझा की। हाईकोर्ट बेंच ने कहा, याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अगली सुनवाई पर शिकायतें प्रस्तुत करें। इससे सुनवाई संभव हो सकेगी।
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हाईकोर्ट में सुनवाई में यह भी हुआ
हाईकोर्ट में यह भी बात उठी कि भोपाल का बीआरटीएस 9 दिन में हट गया था। लेकिन इंदौर में फरवरी से ही मामला चलने के बाद भी नहीं हटा। साथ ही कहा गया कि जब किसी मकान, तोड़फोड़ के लिए बुलडोजर चलता है तो देरी नहीं होती है। ठेकेदारों पर निर्भरता का भी मुद्दा उठा, निगम के पास खुद का संसाधन नहीं है। इंदौर के ट्रैफिक को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता बागडिया ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि इंदौर के ट्रैफिक के हालात देखते हुए यही कहने का मन करता है मुस्कुराइए, आप इंदौर में हैं। इस पर सख्त काम नहीं हो रहा है।
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