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गुलाबी गैंग की कमांडर पूर्णिमा वर्मा ने शराब माफिया के खिलाफ लड़ाई छेड़ी। उन्होंने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में इस लड़ाई को बढ़ावा दिया। अब उन्होंने प्रशासन के सामने गंभीर चेतावनी दी है।
उनका कहना है कि अगर उन्हें सुरक्षा नहीं मिली और अवैध शराब कारोबारियों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे इच्छा मृत्यु की मांग करेंगी। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी एलान किया है कि आने वाले दिनों में वे छिंदवाड़ा के मानसरोवर चौक पर पांच महिलाओं के साथ आत्मदाह करेंगी।
14 साल से शराब माफिया के खिलाफ संघर्ष
पूर्णिमा वर्मा ने करीब 14 साल पहले शराब माफिया के खिलाफ अपनी लड़ाई की शुरुआत की थी। छिंदवाड़ा, सौसर और पांढुर्णा जैसे इलाकों में उन्होंने अवैध शराब की दुकानों और अहातों को बंद करने के लिए कई बार आंदोलन किए।
उनका कहना है कि इन शराब ठेकों से अपराध बढ़ते हैं और परिवार टूट रहे हैं। लेकिन लगातार शिकायत और विरोध प्रदर्शन के बावजूद अब तक प्रशासन ने उनकी एक भी मांग पर ध्यान नहीं दिया।
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धमकियों से घिरी गुलाबी गैंग कमांडर
हाल ही में जब पूर्णिमा वर्मा ने अवैध अहातों का खुलासा किया और शराबखोरी के खिलाफ मोर्चा खोला, तो शराब माफिया सक्रिय हो गया। तभी से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
इस डर और दबाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, लेकिन अब उन्होंने साफ कह दिया है कि अगर सरकार और प्रशासन चुप रहा तो वे अपनी जिंदगी खत्म करने का कदम उठाएंगी।
सुरक्षा की मांग लेकर पहुंचीं IG ऑफिस
लगातार मिल रही धमकियों से परेशान होकर पूर्णिमा वर्मा मंगलवार को जबलपुर आईजी कार्यालय पहुंचीं। वहां उन्होंने लिखित आवेदन देकर सुरक्षा की मांग की।
आवेदन में उन्होंने साफ कहा कि वे समाज के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रही हैं और ऐसे में प्रशासन का कर्तव्य है कि उन्हें सुरक्षा दे। लेकिन अगर उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे इच्छा मृत्यु की अनुमति चाहेंगी।
Gulabi Gang कमांडर ने दी आत्मदाह की चेतावनी
पूर्णिमा वर्मा ने प्रशासन को दिए अपने आवेदन में यह भी चेतावनी दी है कि वे छिंदवाड़ा के मानसरोवर चौक पर पांच अन्य महिलाओं के साथ आत्मदाह करेंगी। उनका कहना है कि जब सरकार शराब माफिया के सामने बेबस हो चुकी है और जनता की सुरक्षा नहीं कर पा रही, तो ऐसे हालात में जीने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री तक पहुंचाई शिकायत
पूर्णिमा वर्मा ने यह मामला केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रखा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और मध्यप्रदेश के डीजीपी तक अपनी शिकायत और सुरक्षा की गुहार भेजी है। उनका कहना है कि अगर समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ तो वे और उनके साथी महिलाएं खुद को जिंदा जला लेंगी।
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समाज के लिए चल रही लड़ाई
पूर्णिमा वर्मा का कहना है कि यह लड़ाई किसी व्यक्तिगत फायदे के लिए नहीं है। वे चाहती हैं कि शराब की दुकानों से युवाओं और महिलाओं का जीवन बर्बाद न हो। उन्होंने कहा कि शराब के कारण अपराध, घरेलू हिंसा और सामाजिक बर्बादी बढ़ रही है और इसे खत्म करना बेहद जरूरी है।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों 14 साल से लगातार शराब माफिया के खिलाफ लड़ रही एक महिला को सुरक्षा नहीं दी गई? क्यों अब तक अवैध शराब कारोबार पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई? अगर वाकई पूर्णिमा वर्मा आत्मदाह कर लेती हैं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
यह मामला अब सिर्फ छिंदवाड़ा या जबलपुर का नहीं है। यह सवाल पूरे प्रदेश का है। यहां पर सवाल खड़ा होंगे कि क्या समाज के लिए आवाज उठाने वाली एक महिला को शराब माफिया के सामने अकेला छोड़ दिया जाएगा, या प्रशासन उसकी लड़ाई में उसका साथ देगा?
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