चट मंगनी-पट ब्याह करा देते हैं यहां के अर्जी वाले गणेश जी, लगती है कुंवारों की भीड़

ग्वालियर के तीन सौ साल पुराने अर्जी वाले गणेश जी मंदिर में हर दिन सैकड़ों कुंवारे युवक-युवतियों की भीड़ होती है। पुरानी मान्यता है कि यहां अर्जी लगाने से विवाह में आ रही अड़चनों का समाधान होता है और युवक-युवतियों का विवाह जल्दी हो जाता है।

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Sanjay Dhiman
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gwaliyar ke arji wale ganesh ji

Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां आम भक्तों के साथ-साथ हर रोज सैकड़ों कुंवारे युवक-युवतियों की भीड़ उमड़ती है। तीन सौ साल से भी अधिक पुराने इस गणेश मंदिर को लोग अर्जी वाले गणेश जी के नाम से बुलाते हैं। पुरानी मान्यता है कि यदि युवक या युवती के विवाह में अड़चने आ रही है तो यहां अर्जी लगाने वाले युवक-युवतियों का विवाह जल्द हो जाता है।

यहीं कारण है कि यहां सालभर अविवाहित युवक-युवतियों की भीड़ देखी जाती है। यहां न केवल विवाह के लिए बल्कि लोग नौकरी और व्यापार में तरक्की के लिए भी खूब अर्जियां लगाते है। अर्जी लगाने का यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है, गणेशोत्सव के दौरान यहां भक्तों की जमकर भीड़ उमड़ती है। गणेशोत्सव पर जानिए इस मंदिर का इतिहास, और अर्जी लगाने की पुरानी मान्यता को।

अर्जी वाले गणेश जी का इतिहास

ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी इलाके में स्थित श्री अर्जी वाले गणेश जी का मंदिर एक ऐतिहासिक स्थल है। इस मंदिर की स्थापना सिंधिया रियासत काल में हुई थी, जो आज से लगभग 300 वर्षों पुराना है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, ज्ञान के देवता और शुभ कार्यों के आरंभकर्ता के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में हर दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो अपनी समस्याओं के समाधान और आशीर्वाद के लिए भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं।

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पत्थर से प्रकट हुई थी प्रतिमा

अर्जी लगाने की परंपरा

यह मंदिर खासकर उन भक्तों के लिए प्रसिद्ध है जो किसी खास मनोकामना को लेकर आते हैं। यहां पर एक विशेष मान्यता है कि जो भी भक्त अपनी समस्या या मनोकामना लेकर भगवान गणेश के दरबार में अर्जी लगाता है, उसकी वह मनोकामना पूरी होती है। खासतौर पर यहां कुंवारे युवक-युवतियां विवाह के लिए अर्जी लगाने खूब आते है। मान्यता है कि अर्जी लगाने के कुछ दिनों में इन युवक-युवतियों का विवाह हो भी जाता हैै। इसके साथ ही व्यापार, नौकरी,और अन्य कार्यों के लिए भी यहां भारी संख्या अर्जियां लगती है। यही कारण है कि इस मंदिर को "अर्जी वाले गणेश जी" के नाम से जाना जाता है। 

पत्थर से प्रकट हुई थी भगवान गणेश की प्रतिमा

ग्वालियर के अर्जी वाले गणेश मंदिर में विराजित प्रतिमा 45 साल पुरानी बताई जाती है। मंदिर के प्रबंधक पुजारी गोकुल प्रसाद के अनुसार सन 1980 से पहले यहां एक बडे़ पत्थर की लोग पूजा किया करते थे, इसी साल अचानक इस पत्थर ने चोला छोड़ दिया, इसका वजन एक क्विंटल से अधिक था।

इस पत्थर को हटाने पर भगवान गणेश की वर्तमान प्रतिमा प्रकट हुई, जिसके दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि भी विराजित है। तब से अब तक लोग इस चमत्कारी प्रतिमा के दर्शन कर अपनी अर्जिया लगाकर मनोकामनाएं पूरी कर रहे है। 

मंदिर में होते है विशेष आयोजन

कुंवारे युवक-युवतियों का श्रद्धालु स्थल

ग्वालियर के अर्जी वाले गणेश जी के मंदिर में विशेष रूप से कुंवारे युवक-युवतियों का आना-जाना बहुत अधिक होता है। यहां पर इन युवा भक्तों द्वारा भगवान गणेश से विवाह और अच्छे जीवनसाथी के लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में विशेष आशीर्वाद से उनकी यह इच्छा जल्दी पूरी हो जाती है। इसके अलावा, यहां पर शादीशुदा जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने की अर्जी भी दी जाती है। 

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गणेश चतुर्थी पर मंदिर में विशेष आयोजन

गणेश चतुर्थी के अवसर पर इस मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, और इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, भगवान गणेश के दर्शन करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए। गणेश चतुर्थी का पर्व इस मंदिर के लिए विशेष महत्व रखता है, और यहां का वातावरण भक्तिमय और उत्सवमय हो जाता है।

मंदिर की विशेषताएँ और आकर्षण

ग्वालियर के अर्जी वाले गणेश जी के मंदिर में कुछ विशेषताएँ हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं:

1. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

मंदिर की स्थापत्य शैली और इसके निर्माण की कहानी इसे एक सांस्कृतिक धरोहर बनाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक मूल्यवान है।

2. भक्तों की अर्जी पूरी करने की मान्यता

इस मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यहां हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है, विशेष रूप से व्यापार, नौकरी और विवाह से संबंधित इच्छाएँ। यही कारण है कि यहां अर्जी लगाने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

3. गणेश चतुर्थी का पर्व

गणेश चतुर्थी के दौरान यहां एक बड़ा मेला आयोजित होता है, जहां भक्तों का आना-जाना दिन-ब-दिन बढ़ता है। यह एक विशेष अवसर होता है जब मंदिर की सजावट, पूजा और भजन कीर्तन से भक्तिमय वातावरण होता है।

ग्वालियर के अर्जी वाले गणेश जी का महत्व

यह मंदिर न केवल ग्वालियर बल्कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के भक्तों के लिए एक आस्थात्मक और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है। यहां की विशेषता यह है कि यह उन भक्तों के लिए है जो किसी न किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं और भगवान गणेश से राहत और आशीर्वाद प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं।

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