ग्वालियर में अंबेडकर विवाद के बीच भीम आर्मी ने स्थगित किया आंदोलन, 15 अक्टूबर का था हल्ला बोल का प्लान

मध्यप्रदेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। हालात ये हैं कि अगर मामला सुलझा नहीं, तो बीजेपी को बिहार में नुकसान हो सकता है। यह मामला एक बयान से जुड़ा है। आइए जानते हैं...

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Sourabh Bhatnagar
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मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 15 अक्टूबर को होने वाला आंदोलन अब टल गया है। पहले आंदोलन के आयोजकों ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी थी। अब उन्होंने पुलिस को आवेदन देकर इसे वापस ले लिया है।

असल में, बाबा साहब अंबेडकर को लेकर दिए गए एक विवादित बयान के बाद अंबेडकर समर्थकों ने इस आंदोलन का ऐलान किया था। अंबेडकरवादियों ने इस मामले पर क्या कहा और ये पूरा मामला क्या है, चलिए जानते हैं...

स्थगन किसी समझौते का संकेत नहीं

भीम आर्मी (आजाद समाज पार्टी) के नेता सुनील अस्तेय ने आंदोलन को अस्थायी रूप से स्थगित करने का ऐलान किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि कानून, प्रशासन और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। 

उन्होंने आगे कहा कि यह स्थगन किसी समझौते का संकेत नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक विराम है। हमारी सभी मांगें और मुद्दे जस के तस हैं। जब भी वक्त और हालात सही होंगे, हम और भी ताकत से मैदान में उतरेंगे।

उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अपील है कि वे शांति, अनुशासन और संयम बनाए रखें। हमारी लड़ाई संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के दायरे में जारी रहेगी। 

इसलिए हो रहा था आंदोलन

हाल ही में, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और एडवोकेट अनिल मिश्रा के बयान ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया था। उन्होंने भीमराव अंबेडकर को अंग्रेजों का एजेंट बताया था और बी एन राव को असली संविधान निर्माता करार दिया।

इस बयान के बाद अंबेडकर समर्थकों ने पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ भड़काऊ बयान देने का मामला दर्ज किया।

मामले ने ऐसे पकड़ा तूल

अनिल मिश्रा डरने के बजाय अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने खुद ही थाने जाकर गिरफ्तारी दी। थाने में भी उन्होंने वही कहा कि संविधान अंबेडकर ने नहीं लिखा।

इस मामले में कांग्रेस ने अंबेडकरवादियों का समर्थन किया है। वहीं बीजेपी के लिए यह विवाद परेशानी बन गया है। बीजेपी वह पार्टी है, जो एक बार "माई का लाल" जैसे बयान की वजह से मुश्किलों में पड़ चुकी है।

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बयान ने गरमाई ब्राह्मण वर्सेज दलित की राजनीति

मिश्रा के इस बयान से उठी चिंगारी सोशल मीडिया के जंगल में आग की तरह फैल गई थी और आंदोलन तक पहुंच चुकी थी। इसने ग्वालियर चंबल में ब्राह्मण वर्सेज दलित की राजनीति को गरमा दिया है। बयान तो जमीनी स्तर पर हो रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर लॉबिंग तेज हो गई है। 

इसी वजह से मामला तेजी से फैल रहा है। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव पर हालात को काबू करने का दबाव बढ़ रहा है। दिल्ली से भी लगातार सवाल आ रहे हैं। डर इस बात का है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का संविधान बचाने का मिशन ग्वालियर चंबल में भारी न पड़ जाए।

हालात इस कदर चिंताजनक हैं कि बीजेपी को बिहार चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी चिंता के चलते बीजेपी आलाकमान मध्यप्रदेश के हालात को लेकर चिंतित है। खबरें हैं कि खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सीएम मोहन यादव से रोज रिपोर्ट ले रहे हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो मोहन यादव समेत पूरी सरकार के सिर में दर्द हो सकता है।

HC परिसर में अंबेडकर प्रतिमा को लेकर विवाद

यह पूरा मामला ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित ( अंबेडकर प्रतिमा विवाद ) करने को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा हुआ है। ग्वालियर अंबेडकर प्रतिमा के इस मुद्दे पर जूनियर और सीनियर अधिवक्ताओं के बीच पहले भी तनाव और झड़पें हो चुकी हैं। इसी विवाद (अंबेडकर मूर्ति विवाद) के बीच, पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने अपनी विवादित टिप्पणी सोशल मीडिया पर की थी। इसने स्थिति को और तूल दे दिया।

रैली और धरना-प्रदर्शन पर कलेक्टर की रोक

ग्वालियर के एसपी धर्मवीर सिंह यादव ने बताया कि आंदोलन के आयोजकों ने आंदोलन वापस ले लिया है। उन्होंने पुलिस को एक कॉल ऑफ ज्ञापन दिया है। बता दें कि कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिले में अगले आदेश तक प्रदर्शन, रैली और धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाई है।

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