ग्वालियर किला जाएगा निजी हाथों में, इंडिगो से किया गया इतने साल का करार

ग्वालियर किला अब निजी कंपनियों के संरक्षण में जाएगा। इंडिगो एयरलाइंस और आगा खान कल्चरल सर्विसेज फोरम के साथ एमओयू किया गया है। पांच वर्षों में किले का संरक्षण और सौंदर्यीकरण होगा। 

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Sandeep Kumar
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ग्वालियर का किला (Gwalior Fort) भारत के सबसे ऐतिहासिक किलों में से एक है। मध्य प्रदेश सरकार ने इसके संरक्षण के लिए निजीकरण की योजना बनाई है। भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पर्यटन-संस्कृति विभाग ने इंडिगो एयरलाइंस और आगा खान कल्चरल सर्विसेज फोरम (AKCSF) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

समझौते की शर्तें

समझौते के अनुसार, किले के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए पांच साल का करार किया गया है। यदि कार्य संतोषजनक रहा, तो इसे पांच साल और बढ़ाया जा सकता है। फंडिंग इंडिगो एयरलाइंस करेगी और संरक्षण कार्य AKCSF संभालेगी।

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संरक्षण कार्य का दायरा

इस परियोजना में किले के विभिन्न महलों जैसे विक्रम महल ( Vikram Mahal ), कर्ण महल (Karn Mahal), गूजरी महल (Gujari Mahal), जहांगीर महल (Jahangir Mahal), शाहजहां महल (Shahjahan Mahal), हुमायूं महल (Humayun Mahal) और जौहर कुंड (Johar Kund) का दस्तावेजीकरण और पुनरुद्धार शामिल है।

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पहले से जारी संरक्षण कार्य

ग्वालियर किले का संरक्षण पहले से चल रहा है। राज्य पुरातत्व विभाग ने 2016-17 में इस पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए थे। वर्तमान में भी 75 लाख रुपए से अधिक की लागत से नवीनीकरण कार्य जारी है।

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विरोध और विवाद

कुछ इतिहासकार और स्थानीय लोग किले के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। वे इसे ऐतिहासिक धरोहर का व्यावसायीकरण मानते हैं। 2022-23 में भीमसिंह राणा की छत्री पर होटल बनाने की योजना को जनता के विरोध के कारण रद्द करना पड़ा था।

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ग्वालियर किले की आय

ग्वालियर किला पर्यटन का बड़ा केंद्र है। हर महीने यहां से 50 लाख रुपए की आय होती है। विशेष अवसरों पर यह राशि और बढ़ जाती है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि निजी कंपनियों को ऐतिहासिक धरोहरों की पूरी समझ नहीं होती। ऐसे में क्या वे सही तरीके से संरक्षण कार्य कर पाएंगी, यह सवाल बना हुआ है।

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