BHOPAL. गैरकानूनी लिंग परीक्षण के आरोपों से घिरी संस्था को क्लीनिक का पंजीयन देना ग्वालियर सीएमएचओ की भूल साबित हुई है। प्रशासन को भ्रमित कर संस्था क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन पर नर्सिंग होम चला रही थी। जबकि दो महीने पहले ही लिंग परीक्षण की शिकायत और भारी गड़बड़ियों के चलते रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया था। इसके बाद भी सीएमएचओ ने संस्था को क्लीनिक चलाने के लिए महीने भर बाद ही रजिस्ट्रेशन कर अनुमति दे दी थी। जबकि अभी भी यह संस्था गर्भपात जैसे गंभीर आरोपों के घेरे में है। फिलहाल क्लीनिक को सील कर जिम्मेदारों को नोटिस जारी किए गए हैं।
रद्द हुआ था नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन
ग्वालियर के गोले का मंदिर क्षेत्र में एफपीएआई के नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन दो महीने पहले रद्द किया गया था। नर्सिंग होम के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण के गर्भपात के आरोप लगते रहे हैं। इसकी शिकायतें राष्ट्रीय बाल कल्याण आयोग, प्रदेश के मुख्य सचिव, हेल्थ कमिश्नर तक भी पहुंची थीं। साल 2024 में ग्वालियर कलेक्टर के आदेश पर सीएमएचओ और जिला प्रशासन की टीम ने नर्सिंग होम पर छापा मारा था। इस दौरान भारी गड़बड़ियां उजागर हुई थीं। नर्सिंग होम में संचालित सोनोग्राफी सेंटर से गर्भवती महिलाओं की जांचों का रिकॉर्ड गायब था।
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फिर किया गाइडलाइन का खुला उल्लंघन
नर्सिंग होम सील होते ही एफपीएआई ने एक अन्य कार्यकर्ता के नाम से क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन करा लिया था। सीएमएचओ कार्यालय ने भी सील किए गए नर्सिंग होम के स्थान पर क्लीनिक रजिस्टर करने से पहले पड़ताल जरूरी नहीं समझी। संस्था ने इसका फायदा उठाया और प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर उसी जगह क्लीनिक के नाम पर नर्सिंग होम शुरू कर दिया था। अनाधिकृत नर्सिंग होम में फिलहाल पांच बिस्तर लगाए गए थे और उन पर भर्ती मरीजों का उपचार किया जा रहा था। इसकी शिकायतें भी लगातार सीएमएचओ कार्यालय पहुंच रही थीं।
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क्लीनिक के नाम पर चल रहा था नर्सिंग होम
सीएमएचओ सचिन श्रीवास्तव का कहना है एफपीएआई से संबंधित संस्था भारतीय परिवार नियोजन संघ का रजिस्ट्रेशन इसी महीने कराया गया था। संस्था को क्लीनिक संचालन की गाइडलाइन के पालन के आधार पर रजिस्टर किया गया था। वहां नर्सिंग होम चलाने और मरीजों को भर्ती करने की शिकायत सही मिलने पर इसी सील कर दिया गया है। जिम्मेदारों को नोटिस जारी किए गए हैं। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इस रजिस्ट्रेशन को भी रद्द करेंगे।
गंभीर आरोपों के बाद भी रजिस्ट्रेशन क्यों
भले ही सीएमएचओ ने रजिस्ट्रेशन के 28 दिन बाद ही क्लीनिक के नाम पर चल रहे नर्सिंग होम को सील किया है लेकिन सवाल अब भी उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि गर्भपात, प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण के गंभीर आरोपों से घिरी संस्था की खामियां सामने आने पर नर्सिंग सील किया गया था। तब महीने भर के अंतराल में क्लीनिक चलाने का रजिस्ट्रेशन क्यों किया गया। जबकि ऐसे कई आवेदन प्रशासन के समक्ष महीनों से अटके हैं। एफपीआई की सहयोगी संस्था की जानकारी होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन करना जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों की चूक साबित हुई है।
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