ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी (Jiwaji University) में विकलांग भर्ती प्रक्रिया में बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रशासन ने नियमों को दरकिनार कर 17 वर्षीय नाबालिग (Minor) को चतुर्थ श्रेणी पद पर भर्ती कर लिया। इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन ऑडिट विभाग (Audit Department) ने वेतन भुगतान पर रोक लगा दी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जांच समिति गठित कर दी है।
ये खबर भी पढ़िए...350 करोड़ रुपए का DMF घोटाला... गांवों के विकास के लिए दिया था फंड
विवि में विकलांग भर्ती प्रक्रिया पर सवाल
ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी में विकलांगों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने चतुर्थ श्रेणी (Fourth Class Post) के एक पद पर नियमों को तोड़ते हुए एक नाबालिग उम्मीदवार (Minor Candidate) की भर्ती कर दी।
ये खबर भी पढ़िए...धान की खरीदी खत्म हुई तो सामने आने लगी गड़बड़ियां, सवा करोड़ का घोटाला
ऑडिट विभाग ने पकड़ी गड़बड़ी
ऑडिट विभाग (Audit Department) ने जब दस्तावेजों की जांच की, तो घोटाले का खुलासा हुआ। भर्ती किए गए उम्मीदवार की उम्र 17 वर्ष 8 माह 16 दिन (17 Years 8 Months 16 Days) थी, जबकि न्यूनतम आयु 18 वर्ष (18 Years) होनी चाहिए थी। ऑडिट शाखा (Audit Branch) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए वेतन जारी करने पर रोक लगा दी।
ये खबर भी पढ़िए...कोऑपरेटिव बैंक की 150 समितियों ने किया 100 करोड़ का घोटाला
स्क्रूटनी और इंटरव्यू कमेटी ने नहीं दिया ध्यान
भर्ती प्रक्रिया में शामिल स्क्रूटनी कमेटी (Scrutiny Committee) और इंटरव्यू कमेटी (Interview Committee) ने इस गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया। इससे यूनिवर्सिटी की भर्ती प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
ये खबर भी पढ़िए...राजस्व निरीक्षक परीक्षा में घोटाला, रिश्तेदार बन गए पटवारी से अफसर
कुलगुरु को नहीं दी गई जानकारी
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भी नए कुलगुरु (Vice Chancellor) प्रो. राजकुमार आचार्य को पूरी जानकारी नहीं दी गई। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन ऑडिट विभाग ने घोटाले का पर्दाफाश कर दिया।
जांच कमेटी गठित
इस मामले के सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब जांच समिति (Inquiry Committee) गठित कर दी है। इसके साथ ही विधिक राय (Legal Opinion) मांगी गई है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।