धान की खरीदी खत्म हुई तो सामने आने लगी गड़बड़ियां, सवा करोड़ का घोटाला
irregularities in paddy procurement : लोइंग खरीदी केंद्र में 1400 क्विंटल और तमनार खरीदी केंद्र पर 2611 क्विंटल धान कम पाई गई। महज दो खरीदी केंद्रों पर ही सवा करोड़ की धान कम पाई गई है।
irregularities in paddy procurement : छत्तीसगढ़ में धान खरीदी खत्म हो गई है। इसके साथ ही सरकार ने धान खरीदी और स्टॉक का मिलान शुरू कर दिया है। सरकार ने 31 जनवरी तक भले ही धान की रिकॉर्ड खरीदी की हो, लेकिन अव्यवस्थाओं के बाद अब गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं। खरीदी केंद्र से गोदाम में जो धान पहुंच रही है, ओ कागजों में ज्यादा और असलियत में कम है।
ऐसा ही एक मामला रायगढ़ जिले के खरीदी केंद्रों पर पकड़ में आया है, जहां पर सवा करोड़ से ज्यादा की धान कम पाई गई। सिर्फ दो खरीदी केंद्र के रिकॉर्ड मिलान करने पर ही इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने से सरकार के कान खड़े हो गए हैं। अब सभी खरीदी केंद्रों का भौतिक सत्यापन कराने की तैयारी है। सरकार ने साफ कर दिया है कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने सभी खरीदी केंद्रों पर बायोमेट्रिक डिवाइस के जरिए धान उपार्जन की व्यवस्था की थी, ताकि खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शी व्यवस्था बनी रहे। छोटे, सीमांत और बड़े किसानों की धान को निर्धारित मूल्य पर खरीदा गया। इसके लिए किसानों को अधिकतम दो टोकन और बड़े किसानों को अधिकतम तीन टोकन दिए जाने की व्यवस्था की गई। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए 2739 उपार्जन केंद्र बनाए गए। सरकार की फुल प्रूफ व्यवस्था में सरकारी अमले ने पलीता लगा दिया।
प्रदेश जिस समय धान खरीदी पीक पर थी, उस समय विष्णुदेव साय सरकार स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी में लगी थी। बड़े अफसरान भी चुनावी कवायद में व्यस्त थे। नतीजा ये हुआ कि खरीदी केंद्रों पर अव्यवस्था का आलम फैला हुआ था। इसका फायदा निचले अमले ने उठाया। इसकी बानगी रायगढ़ जिले के खरीदी केंद्रो पर उजागर हुई। यहां अफसरों ने जब भौतिक सत्यापन किया तो सवा करोड़ से ज्यादा की धान कम पाई गई।
रायगढ़ जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 105 केंद्र बनाए गए थे। बोगस धान खरीदी को रोकने के लिए पटवारियों के द्वारा किए गिरदावरी के बाद उसका भौतिक सत्यापन ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा कराया गया । इसके बाद जिला स्तर के अधिकारियों ने मौके पर जाकर रकबे का भौतिक सत्यापन किया। इसमें बड़ी संख्या में ऐसे खेत मिले जिनमें धान की फसल ही नहीं लगाई गई थी।
ऐसे किसानों ने भी धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया। अधिकारियों की ओर से उक्त रकबे को कम किया गया। इसके अलावा दूसरे जिले व राज्यों से धान की आवक रोकने के लिए कई स्थानों पर बेरियर लगाए गए। इसके बाद भी धान खरीदी में अनियमितता हो गई। लोइंग खरीदी केंद्र में 1400 क्विंटल और तमनार खरीदी केंद्र पर 2611 क्विंटल धान कम पाई गई। महज दो खरीदी केंद्रों पर ही सवा करोड़ की धान कम पाई गई है। इससे सरकार के कान खड़े हो गए हैं और सभी केंद्रों पर भौतिक सत्यापन कराया जाएगा।
धान खरीदी के संबंध में बघेल ने कहा कि धान खरीदी 160 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा था लेकिन 145 लाख मीट्रिक टन की ही खरीदी हुई इसका मतलब ये है कि किसानों की पूरी धान भी सरकार नहीं खरीद पाई। 15 लाख मीट्रिक टन कम खरीदी हुई। टोकन की कमी, बारदाने की कमी, अनावारी रिपोर्ट में कमी से किसानों को इस समय धान बेचने में काफी परेशानी हुई। कांग्रेस पार्टी लगातार किसानों के साथ खड़ी है।