2 महीने की प्लानिंग और 15 दिनों की रिहर्सल के बाद सड़क से उठाया था 6 साल के शिवाय गुप्ता को

ग्वालियर में छह साल के शिवाय गुप्ता के अपहरण की कहानी चौंकाने वाली है। अपराधियों ने इस वारदात की योजना दो महीने पहले बनाई थी और 15 दिनों तक इसकी रिहर्सल की।

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Sourabh Bhatnagar
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ग्वालियर में हुए छह साल के मासूम शिवाय गुप्ता के अपहरण की कहानी एक गहरी साजिश, प्लानिंग और क्राइम नेटवर्क की परतें खोल रही है। अपराधियों ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए दो महीने की योजना बनाई थी और 15 दिनों तक इसकी रिहर्सल की थी। लेकिन उनका यह प्लान ग्वालियर पुलिस की मुस्तैदी के कारण असफल हो गया।

2 महीने की प्लानिंग और 15 दिनों की रिहर्सल

अपहरणकर्ताओं ने इस अपराध को परफेक्शन के साथ अंजाम देने की ठानी थी। उन्होंने 15 दिनों तक शिवाय की दिनचर्या का अध्ययन किया, उसके घर के आसपास नजर रखी और फिर मुरैना लौट जाते। यह सब उनकी रणनीति का हिस्सा था। लेकिन जब असली दिन आया, तो वे पुलिस की सतर्कता का अंदाजा नहीं लगा पाए।

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खूनी मुठभेड़ और गिरफ्तारियां

इस अपहरण में कुल 7 अपराधी शामिल थे, जिनमें से 5 को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुरैना में हुए एक एनकाउंटर में राहुल गुर्जर और बंटी कंसाना पुलिस के हत्थे चढ़े। वहीं, मास्टरमाइंड भूरा और उसका भतीजा मोनू ग्वालियर पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं। तिघरा इलाके में पुलिस ने भोला गुर्जर को भी धर दबोचा। अब भी दो अपराधी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है।

अपराधियों का अजीब रवैया

गिरफ्तारी के बाद अपराधियों ने खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश की। भोला गुर्जर अस्पताल में भर्ती था, लेकिन जब भी पुलिस उससे सवाल पूछती, वह आंखें बंद कर लेट जाता, जैसे कुछ नहीं जानता। मगर जैसे ही पुलिस हटती, वह धीरे से आंखें खोलकर देखता।

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पुराना कर्ज और अपराध की ओर बढ़ते कदम

मामले की जांच में सामने आया कि अपराध का मास्टरमाइंड भूरा और राहुल कभी ट्रांसपोर्ट बिजनेस में साझेदार थे। घाटे और बढ़ते कर्ज ने उन्हें इस अपराध के लिए मजबूर कर दिया। उन्हें लगा कि पुरानी पहचान के कारण परिवार उनसे नरमी बरतेगा, लेकिन वे पुलिस और भीड़ के आक्रोश को आंक नहीं पाए।

पहले भी किया था अपहरण का प्रयास

जांच में यह भी पता चला कि एक साल पहले भी, शिवाय के मामा के बेटे माधव को अगवा करने की कोशिश की गई थी। तब अपराधी बच निकले थे, लेकिन इस बार वे पुलिस के जाल में फंस गए।

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पुलिस की मुस्तैदी से अपराधियों की हार

मास्टरमाइंड भूरा ने अपहरण के बाद पुलिस और परिवार की प्रतिक्रिया जानने खुद बच्चे के घर जाकर माहौल देखा। वहां पुलिस की घेराबंदी और भीड़ का आक्रोश देखकर वह घबरा गया। उसने अपने साथियों को यह बात बताई और बच्चे को छोड़ने की योजना बनाई गई।

अब भी दो अपराधी फरार

ग्वालियर के एसपी धर्मवीर सिंह ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी आरोपी पकड़े नहीं जाते, तब तक यह मामला खत्म नहीं होगा। पुलिस की चार टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं, और जल्द ही इस केस का अंतिम अध्याय लिखा जाएगा। 

FAQ

1. ग्वालियर में हुए इस अपहरण की पूरी कहानी क्या है?
ग्वालियर में छह साल के शिवाय गुप्ता का अपहरण एक सुनियोजित साज़िश थी, जिसे 2 महीने की प्लानिंग और 15 दिनों की रिहर्सल के बाद अंजाम दिया गया था।
2. अपराधियों ने इस अपहरण की योजना कैसे बनाई थी?
अपराधियों ने 15 दिनों तक बच्चे के घर के पास नजर रखी, उसकी दिनचर्या समझी और उसके बाद अपराध को अंजाम दिया।
3. ग्वालिय अपहरणर मामले का मास्टरमाइंड कौन था?
इस अपराध का मास्टरमाइंड भूरा और उसका साथी राहुल गुर्जर था, जो पहले ट्रांसपोर्ट बिजनेस में पार्टनर थे।

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