ग्वालियर का अनोखा मामला, कर्मचारी की दो बार 'मौत' से दो बेटों को मिली अनुकंपा नियुक्ति

ग्वालियर में अजीबो गरीब मामला सामने आया, जिसमें पीएचई विभाग के कर्मचारी भूप सिंह की दो बार मृत्यु दर्ज की गई। पहले बेटे को 2008 में नौकरी मिली, फिर 2021 में दूसरे बेटे को भी नियुक्ति मिली।

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Manya Jain
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फर्जी अनुकंपा नियुक्ति
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मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जो सरकारी व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। यहाँ पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग में एक कर्मचारी की दो बार मृत्यु दर्ज की गई और हर बार उसके बेटों को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई।

हैरानी की बात ये है कि इस मामले में भूप सिंह ने पहले बेटे की नियुक्ति के लिए अपनों मौत का झूठा नाटक करने के बाद नौकरी भी करता रहा।

पहली मौत: बड़े बेटे को मिली नौकरी

बता दें साल 2007-08 में पीएचई विभाग के कर्मचारी भूप सिंह की मृत्यु होने की सूचना दी गई। इसके आधार पर उनके बड़े बेटे रवि राजपूत को 5 सितंबर 2008 को हेल्पर के पद पर नियुक्त कर दिया गया।

 हैरानी की बात यह है कि नियुक्ति आदेश में भूप सिंह की मृत्यु की तारीख तक नहीं लिखी गई। और तो और, नौकरी मिलने के बाद भी भूप सिंह काम पर भी आते रहे।

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 दूसरी मौत: छोटे बेटे को भी मिली नौकरी

इसके बाद 30 अक्टूबर 2021 को भूप सिंह की दूसरी मौत दर्ज की गई। इस बार उनके छोटे बेटे पुष्पेंद्र राजपूत को चौकीदार के पद पर नियुक्त कर दिया गया।

जांच समिति ने फरवरी 2023 में इसकी पुष्टि भी की। मजे की बात यह है कि पहली बार भूप सिंह को कुली बताया गया था, जबकि दूसरी बार उनका पद पंप अटेंडर-कम-ड्राइवर दर्ज किया गया।

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कैसे संभव है एक व्यक्ति की दो बार मृत्यु?

यह मामला कई सवाल खड़े करता है।

  • क्या कोई व्यक्तिदो बार मरसकता है?

  • कैसेएक ही व्यक्तिके दो बेटों कोअनुकंपा नियुक्तिमिल सकती है?

  • क्या विभागीय अधिकारियों नेजानबूझकरइस घोटाले को अंजाम दिया?

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

इस मामले पर पीएचई विभाग के बीई (बीफ इंजीनियर) आरएलएस मौर्य ने कहा, "यह संभव ही नहीं है कि एक कर्मचारी की दो बार मृत्यु हो और हर बार उसके परिजन को नौकरी मिल जाए। मैं इसकी जांच करूंगा और कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।"

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🔍 क्या है अनुकंपा नियुक्ति?

अनुकंपा नियुक्ति सरकारी नियमों के तहत मृत कर्मचारी के आश्रित को दी जाती है। लेकिन इसके लिए स्पष्ट दस्तावेज और मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।

इस मामले में दो बार मृत्यु दर्ज होना साफ तौर पर दस्तावेजी धोखाधड़ी को दर्शाता है।

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