हरदा कलेक्टर का आइडियाः इनोवेशन ने बढ़ाया जैविक खेती लायक जमीन का रकबा, किसानों को हो रहे ये फायदे

एमपी कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में हरदा जिला कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने जैविक खेती को लेकर प्रेजेंटेशन दिया। उनके इस पहल को जमकर सराहा गया। जिले में जैविक खेती का रकबा 1,000 हेक्टेयर बढ़ चुका है और 2025-26 में इसे 2,500 हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

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Manish Kumar
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HARDA COLLECTOR SIDDHARTH JAIN

Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL.मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में मंगलवार, 7 अक्टूबर से दो दिवसीय कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई है। इस कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में कई कलेक्टरों और कमिश्नरों ने अपने आइडिया को लेकर प्रेंजेटेशन दिया। इनमें से 2 कलेक्टर और 1 कमिश्नर के आइडिया को सराहा गया।

इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर और उज्जैन के कमिश्नर आईएएस आशीष सिंह ने इंदौर जिले की हर ग्राम पंचायत में एक उद्योग इकाई स्थापित करने का प्रेजेंटेशन दिया। वहीं ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने ग्वालियर में खदान से निकलने वाले बेशकीमती पत्थरों को एक्सपोर्ट करने के लिए स्टोन पार्क बनाने का आईडिया शेयर किया। 

इसी तरह देवास कलेक्टर ऋतुराज ने रोजगार पोर्टल का प्रेजेंटेशन दिया। इन तीनों ही आइडिया को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस अभी चल रही है। वहीं, अभी और भी कलेक्टर्स के प्रेजेंटेशन होना बाकी हैं।

इन दो कलेक्टर में इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर और उज्जैन कमिश्नर आशीष सिंह का आइडिया भी शामिल है, जिसका प्रेंजेटेशन उन्होंने कॉन्फ्रेंस में दिया। उज्जैन कमिश्नर आशीष सिंह के दिए गए MSME आइडिया के प्रेजेंटेशन को एमपी सरकार ने खूब सराहा। इसके साथ ही उनके इस आइडिया को हरी झंडी मिल गई है। इसके साथ ही हरदा कलेक्टर आईएएस सिद्धार्थ जैन के जैविक खेती के आइडिया को भी काफी सराहना मिली है।

आइए आगे जानते हैं कि आखिर क्या है हरदा कलेक्टर का जैविक खेती का आइडिया... 

हरदा में जैविक खेती को बढ़ावा

हरदा कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने भोपाल में चल रहे कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में जैविक खेती को लेकर प्रेजेंटेशन दिया। इसकी काफी सराहना की गई। बता दें कि हरदा जिले में रासायनिक खेती की समस्याओं को देखते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिले में कुल 195,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से रासायनिक खेती से उत्पन्न समस्याओं जैसे मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के चलते जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है।

एक हजार हेक्टेयर बढ़ा जैविक खेती का रकबा

बीते सालों में जिले में जैविक खेती के रकबे में 1,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। 2025-26 के लिए 2,500 हेक्टेयर में जैविक खेती का टारगेट रखा गया है। इसके तहत शासकीय कृषि प्रक्षेत्र पानतलाई में जैविक कृषि सह प्रशिक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जहां किसानों को जैविक खेती की जानकारी दी जा रही है।

जैविक खेती को बढ़ावा देने कई प्रोग्राम चालू

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए, जिले में विभिन्न प्रचार गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं। विकसित कृषि संकल्प अभियान और पॉडकास्ट के जरिए किसानों को जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। अब तक 250 बड़े किसानों के साथ संवाद किया गया है।

जैविक खेती से समय के साथ बढ़ रहा फायदा

जैविक खेती के सर्टिफिकेशन और रिव्यू की प्रक्रिया भी आसान बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जैविक खेती से प्राप्त लाभ में समय के साथ बढ़ोतरी हो रही है, जिसमें तीसरे वर्ष तक जैविक गेहूं और चना से शुद्ध लाभ 1,10,000 और 93,000 रुपए है।

बनाए जाएंगे जैविक आउटलेट्स

आने वाले सालों में जिले में जैविक खेती के रकबे को बढ़ाकर 4,500 हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही, बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर और जैविक आउटलेट्स की स्थापना की योजना भी बनाई गई है, जिससे जिले में जैविक खेती को और बढ़ावा मिलेगा।

कॉन्फ्रेंस में सीएम ने दिए ये अहम सुझाव

कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों से अहम बात कही। उन्होंने कहा कि अफसरों को ड्राइविंग सीट पर आने की बजाय व्यवस्थाओं का संचालन करते हुए आस-पास रहकर काम करना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना अफसरों की जिम्मेदारी है और उनके सुझावों को ध्यान से सुनकर आवश्यकता के अनुसार अमल में लाना चाहिए।

जनता का विश्वास, हमारी सबसे बड़ी पूंजी- सीएम

सीएम डॉ.मोहन यादव ने कहा कि जनता का विश्वास हमारी सबसे बड़ी पूंजी है और हमें इसे बनाए रखना है। उन्होंने प्रदेश में जवाबदेह शासन व्यवस्था स्थापित करने के प्रयासों पर जोर दिया और कहा कि सुशासन और समावेशी विकास की दिशा में अफसरों को लगातार मेहनत करनी होगी। सीएम ने आगे कहा कि शासन का मुख्य उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और कल्याण की किरण पहुंचाना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार सबके साथ और सबके लिए खड़ी है।

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इंदौर (INDORE) में हर पंचायत में एमएसएमई इकाई यह योजना प्रत्येक ग्राम पंचायत में MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) इकाई की स्थापना का उद्देश्य रखती है, ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

योजना में प्रक्रिया के तहत, 160 पंचायतों में उद्योगों के लिए क्लस्टर स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, योजनाओं की जानकारी, हैंडहोल्डिंग व बैंक सहयोग, ऑनलाइन पंजीकरण (Udyam Portal) तथा सरकारी योजनाओं (PM Mudra, PMFME, PMEGP, CM Udhyam Kranti Yojna, MP MSME Policy) का लाभ देने की व्यवस्था की गई है।

308 नए इंडस्ट्री बनाए गए

जनपदवार आंकड़ों के अनुसार, इंदौर, महू, सांवेर व देपालपुर क्षेत्र में 308 नए इंडस्ट्री स्थापित हुए, जिसमें कुल 90.41 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश और 1954 रोजगार के अवसर पैदा हुए। उद्योगों में वेल्डिंग एवं फेब्रिकेशन, ब्रिक्स/पावर ब्लॉक निर्माण, डेयरी, फर्नीचर, रेडीमेड वस्त्र, नमकीन, आटा एवं मसाले मिल, डोना-पत्तल, मिट्टी के बर्तन, बेकरी, ठंडा तेल उत्पादन आदि शामिल हैं।

आने वाले समय में मिलेंगे ये फायदे

आने वाले समय में संतुलित आर्थिक विकास, क्रेडिट गैप दूर करने, MSME लोन में सुधार, योजनाओं की जानकारी का विस्तार और श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा को मुख्य रूप से प्राथमिकता दी गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की समग्र उन्नति हो सके।

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जानिए क्या है देवास का जॉब पोर्टल आइडिया 

देवास जॉब पोर्टल जिला प्रशासन द्वारा युवाओं को रोजगार से जोड़ने और स्थानीय अवसरों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यहां हर हुनर और स्किल का सम्मान करते हुए, यूथ्स और इम्पॉलयर्स का सेंट्रलाइज्ड रजिस्ट्रेशन किया जाता है।  

चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया ये प्लान

मुख्य चुनौतियां- जैसे कि स्किल और इंडस्ट्री की मांग में असंतुलन, लिमिटेड जॉब्स, माइग्रेशन, अवेयरनेस की कमी को दूर करने के लिए यह पोर्टल समाधान देता है। इसमें आसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, ऑटो-रिज़्यूमे, स्मार्ट जॉब मैचिंग, रीयल-टाइम अपडेट, डैशबोर्ड मॉनिटरिंग, SMS/ईमेल अलर्ट, स्किल स्कीम्स का एकीकरण (जैसे ITI, DDUGKY, PMKVY) और नियुक्ति के बाद निगरानी जैसी सुविधाएं दी गई हैं।  

इंडस्ट्रीज की मांग के हिसाब से स्किल डेवलेपमेंट करना है उद्देश्य

मुख्य रूप से इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, फार्मा, केमिकल, फूड एवं एग्रो-प्रोसेसिंग क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी की मांग है, खासकर तकनीकी व सेमी स्किल्ड कामों में।  

इस पोर्टल का उद्देश्य है स्थानीय रोजगार में वृद्धि, अल्परोजगार में कमी, इंडस्ट्रिज-वर्कर्स रिलेशनशिप मजबूत करना और डेटा-संचालित स्किल डेवलेपमेंट योजनाएं तैयार करना, जिससे यूथ्स अपने होम टाउन में ही बेहतर भविष्य बना सकें।

जानिए क्या है ग्वालियर का स्टोन पार्क का आइडिया 

एक जिला, एक उत्पाद योजना के अंतर्गत ग्वालियर के सैंडस्टोन को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है। ग्वालियर सैंडस्टोन मजबूती, सौंदर्य और पर्यावरण अनुकूलता के लिए प्रसिद्ध है। ये हाई स्टैंडर्ड वाले टाइल्स, मूर्तियां तथा अनूठे मिंट फॉसिल स्टोन के रूप में बनाए जाते हैं, जिनकी इंटरनेशनल लेवल भी काफी मांग है।

138 करोड़ का हो चुका है एक्सपोर्ट

MPIDC द्वारा ग्वालियर में डेवलप 49 एकड़ में फैला स्टोन पार्क, 74 इंडस्ट्रियल यूनिट्स के साथ, यूके-यूएसए, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देशों में एक्सपोर्ट करता है। 2021-2025 के बीच कुल 138 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट किया गया है।  

योजना के तहत जिला स्तर पर बायर्स-सेलर्स मीटिंग्स, बिजनेस पोर्टल्स से कनेक्ट करना, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कोड जारी और कई अवेयरनेस वर्कशॉप्स आयोजित की गईं। Walmart USA में स्थानीय कंपनी ने रजिस्ट्रेशन कर नए मार्केट के दरवाजे खोले हैं।

स्टोन पार्क की इन चुनौतियों से निपटने के लिए बना प्लान

स्टोन पार्क में आने वाली कई चुनौतियों में शामिल लॉजिस्टिक्स, उच्च माल भाड़ा, पर्यावरणीय स्वीकृति, गुणवत्ता नियंत्रण और विखंडित सप्लाई चेन को दूर करने के लिए इंसेंटिव योजनाएं, सामूहिक शिपिंग, डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्लेटफ़ॉर्म, ‘ग्वालियर स्टोन’ ब्रांडिंग और GI टैग तथा MSME/MPIDC द्वारा कॉमन फैसिलिटी सेंटर निर्माण जैसी कार्य योजनाएं बनाईं गई हैं।  
इसके साथ ही ग्वालियर कालीन को भी GI टैग मिला है, जिसमें 500 से ज्यादा कारीगरों की शिल्प परंपरा जीवंत है। एक्सपोर्ट सक्सेस स्टोरीज में भगवान श्रीराम तथा बुद्ध की प्रतिमा प्रमुख हैं।

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