समाज और सियासत का यह दौर भी गजब है। अफसरों के घर के हिसाब-किताब से लेकर मंत्रालय की राजनीति तक सब कुछ जनता के मनोरंजन के लिए खुली किताब बन चुका है। अब देखिए न, आईएएस मैडम 'पाई-पाई' का गणित लिए बैठी हैं। उनके पेट में बात ही नहीं पची। वहीं, कलेक्टर साहब की पार्टी की कहानियां तो और भी ज्यादा मसालेदार हैं। साहब की पत्नी ने पार्टी में जो सुरूर दिखाया, वह सुरापान से भी ज्यादा वायरल हो रहा है। पति, पत्नी और वो वाली यह कहानी हर कोई चटखारे लेकर सुन रहा है।
इधर, मंत्रालय में बड़े साहब की सीधे मुख्यमंत्री से समय मांगने वाली चूक ने उनके आत्मविश्वास पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खाकी वाले बड़े साहब ने पीएचक्यू में पोस्टिंग और तबादले के लिए चक्कर लगाने वालों के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं। एक युवा महिला आईएएस सोशल मीडिया के चक्रव्यूह में उलझ गई हैं। इन सबके बीच डॉक्टर साहब की सरकार का एक साल पूरा होने वाला है। उनकी टीम में फेरबदल की सुगबुगाहट माननीयों को रील बनाने और आशीर्वाद लेने तक ले गई है। तो जनाब! खबरें तो और भी बहुत हैं, आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
मैडम के पेट में बात नहीं पची, फैल गया रायता
कहते हैं ना कि 'रिश्ता भाई-भाई का…और हिसाब पाई-पाई का...।' यहां आईएएस बिरादरी में नई कहावत चरितार्थ हो रही है और है, 'रिश्ता पति-पत्नी का और हिसाब पाई-पाई का...! जी हां, यह एक आईएएस दंपती का प्रयोग है, जिसमें घर के सभी खर्चों को बराबरी से आधा-आधा बांटने की योजना है, लेकिन लगता है, दंपती के बीच ये हिसाब-किताब अब थोड़ा गड़बड़ा गया है। दरअसल, आईएएस मैडम का कहना है कि वह अकेले घर में रहती हैं, जबकि उनके साहब के माता-पिता उनके साथ रहते हैं। ऐसे में हिसाब-किताब पाई-पाई का नहीं बैठ रहा। उन्हें लगता है कि अगर उनके ससुराल वाले खर्चों में बराबरी से हिस्सा नहीं डाल रहे, तो उनके हिस्से का हिसाब तो बनता ही नहीं। अब ये मामला इतना निजी है कि कोई सोच भी नहीं सकता कि इसकी चर्चा सार्वजनिक रूप से हो सकती है। लेकिन महिला आईएएस हैं और जैसा कि कहा जाता है कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती...। बस, वे अपना दर्द कई बार शेयर कर चुकी हैं। अब बात जैसे ही बाजार में आई, तो चर्चा में भी आ ही गई।
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मैडम को साहब का बैचमेट पसंद है!
भोपाल के सबसे बड़े मॉल में हुई एक हाईप्रोफाइल पार्टी में कुछ ऐसा हुआ कि कलेक्टर साहब की मैमसाहब सुर्खियों में आ गईं। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या खास था? तो आपको जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है, लेकिन उस पार्टी में मैडम ने अपने पति के बैचमेट को अपनी बांहों में भर लिया। जी हां, ये सच है। यहां जो सबसे दिलचस्प है, वो ये कि भरी पार्टी में मैडम की यह हरकत बैचमेट के लिए तो किसी झटके से कम नहीं थी। बेचारे बैचमेट ने चाहकर भी कुछ नहीं किया, बस शर्म से लाल हो गए। हंसी-मजाक में उस पल को टाल दिया। असली मजा तो तब आया, जब कलेक्टर साहब का चेहरा देखने लायक था। वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। उल्टा मामले को हल्का करने की कोशिश में अपना ही मजाक उड़वाया। वैसे, अगर आप जानने के लिए बेताब हैं कि वो कलेक्टर साहब और उनके बैचमेट कौन हैं, तो आपको बस अपने सूत्रों को हल्का सा दौड़ाना होगा। सब पता चल जाएगा कि सुरापान करने वाली मैडम कौन हैं।
अरे ये क्या बोल गए बड़े साहब...
मंत्रालय की हॉट सीट पर बैठे बड़े साहब इन दिनों एक तरह से मंत्रालय के हर अफसर के चश्मे पर हैं। उनके हर कदम, उनकी हर बात, यहां तक कि उनका चलने-फिरने का तरीका भी अब बड़े ध्यान से देखा जा रहा है। ऐसा लगता है, जैसे हर अधिकारी उनके आत्म-विश्वास की जांच करने में लगा हो। हाल ही में एक बैठक में साहब ने बड़ा ही दिलचस्प बयान दिया। पूरी चर्चा के बाद, उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ रहे प्रमुख सचिव से कहा, इस मामले में आप मुख्यमंत्री से समय ले लीजिए। अब सवाल यह उठता है, क्या साहब को मुख्यमंत्री से सीधे मिलने का समय नहीं मिलता? और अगर किसी प्रमुख सचिव से इस बात का अनुरोध किया गया है तो इसका मतलब क्या है? बैठक में मौजूद बाकी अफसर तो आंखों ही आंखों में एक-दूसरे से सवाल पूछते नजर आए। अब मामला उठ चुका है तो जवाब ढूंढना तो बनता है। अगर आपको इस चौंकाने वाले घटनाक्रम का कोई राज पता हो, तो हमें भी बताइए। आखिरकार, मंत्रालय में इस तरह की हलचलें बहुत कम होती हैं।
खाकी वाले साहब की उठापटक तेज
खाकी वाले बड़े साहब ने पीएचक्यू में पोस्टिंग और तबादले के लिए चक्कर लगाने वालों के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं। अफसरों को अनुशासन और सुशासन का पाठ पढ़ाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है, लेकिन असली चुनौती तो यह है कि खाकी की छवि पहले ही चरम भ्रष्टाचार के गहरे गर्त में डूब चुकी है। अब सवाल यह है कि लोगों का खोया हुआ विश्वास कैसे वापस लाया जाए? खाकी वालों पर अक्सर एक शायरी कही जाती है कि बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था। अब गौर करने वाली बात है कि यहां तो हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा? हालांकि हम मानते हैं कि खाकी में अच्छे लोग भी हैं और अब जब बड़े साहब खुद ईमानदारी के ब्लू टिक वाले अफसर बनकर हॉट सीट पर बैठे हैं तो उम्मीद की जा सकती है कि भ्रष्टाचारी भी लाइन पर आ ही जाएंगे। आखिरकार, जब नायक ही सच्चा हो, तो भला बाकी सब कैसे दागदार रह सकते हैं?
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जुमे को डॉक्टर साहब का एक साल पूरा
अगले जुमे, यानी 13 दिसंबर को डॉक्टर साहब को सरकार संभाले हुए एक पूरा साल हो जाएगा। इस मौके पर सरकार अपने तमाम कामों की फेहरिस्त जनता के सामने पेश करने की तैयारी में जुटी है। इस जश्न के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट है। अब डॉक्टर साहब ने जंगल वाला महकमा फिलहाल किसी को नहीं सौंपा है तो ये संभावनाएं और भी बढ़ गई हैं कि सब कुछ एक साथ ही सेट कर दिया जाएगा, लेकिन ये सब तो अंदर की बातें हैं। फिलहाल कुछ माननीय हैं जो इस वक्त भारी टेंशन में हैं। वे अपनी मौजूदगी को साबित करने के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहे हैं। भोपाल के बगल वाले जिले से आने वाले माननीय तो इस कदर व्यस्त हैं कि रीलें बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं, एक मंत्राणी शारदा मैया के दरबार में पहुंच गई हैं, शायद वहां से कोई आशीर्वाद मिल जाए। अब इस फेहरिस्त में कुछ और नाम भी हैं। असल सवाल तो यही है कि कौन किसकी जगह लेगा और कौन बाहर होगा?
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सोशल मीडिया जो कराए सो कम है...
क्या ही गजब जमाना आ गया है। सोशल मीडिया का दौर ऐसा हो चुका है कि कब कौन, किसके खिलाफ षड्यंत्र रच दे, इसका अंदाजा ही नहीं लगता। अब तो हद ही हो गई है। मामला युवा आईएएस अधिकारी सृष्टि देशमुख से जुड़ा हुआ है। कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने उनके बारे में ऐसी अफवाह फैला दी कि सृष्टि अब इस दुनिया में नहीं रहीं। मजे की बात तो यह है कि इन अफवाहों को फैलाने के लिए वीडियो भी बनाए गए, फूल-मालाएं चढ़ाई गईं और सृष्टि के बारे में ऐसी तस्वीरें दिखाई गईं कि देखकर कोई भी घबरा जाए। जब इस मामले की खबर द सूत्र को मिली तो टीम ने हमेशा की तरह पूरी पड़ताल की। सृष्टि से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया, मैं जिंदा हूं, बस थोड़ी परेशान हूं। यह सुनकर तो ऐसा लगा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग केवल व्यूज के लिए किसी की भी इज्जत का धज्जियां उड़ा देते हैं। सृष्टि ने इस मामले की शिकायत पुलिस और साइबर सेल से की है।… तो आज के समाचार समाप्त हुए... अच्छी, सच्ची और सटीक खबरों के लिए देखते और पढ़ते रहिए आपका अपना पसंदीदा 'द सूत्र’
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